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बर्ड फ्लू नहीं, JIO की 5G टेस्टिंग से पक्षियों की मौत? सच जानिए

वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि रिलायंस Jio ने अब तक 5G ट्रायल शुरू ही नहीं किए

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सोशल मीडिया पर एक वायरल पोस्ट में ये दावा किया जा रहा है कि रिलायंस जियो भारत में 5 जी स्पेक्ट्रम की टेस्टिंग शुरू करने जा रही है. दावा है कि इस टेस्टिंग से पक्षियों की मौत हो रही है. भारत के कुछ राज्यों में हाल में फैले बर्ड फ्लू के पीछे भी वायरल मैसेज में 5जी टेस्टिंग को ही वजह बताया गया है.

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पड़ताल में सामने आया कि सरकार की तरफ से अब तक 5जी स्पेक्ट्रम का आवंटन ही नहीं हुआ है. रिलांंयंस के करीबी सोर्स ने वेबकूफ को बताया कि 5जी स्पेक्ट्रम को लेकर किए जा रहे सभी दावे निराधार हैं, क्योंकि अब तक 5जी स्पेक्ट्रम के ट्रायल शुरू ही नहीं हुए हैं.

दावा

12 जनवरी को पूर्व कांग्रेस विधायक चुन्नी लाल साहू ने ट्वीट किया -खबर फैल रही है कि Jio के 5G टेस्टिंग से पक्षी मर रहे हैं और बर्ड फ्लू का नाम दिया जा रहा है।

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पत्रकार और ब्लॉगर महेंद्र कुडिया ने भी ट्विटर पर ये दावा किया

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दावा फेसबुक पर भी किया जा रहा है

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कुछ सोशल मीडिया यूजर अखबार की 2 साल पुरानी एक कटिंग शेयर कर ये दावा कर रहे हैं कि 5जी टेस्टिंग से 297 पक्षियों की मौत हो गई.

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पड़ताल में हमने क्या पाया

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार 1 मार्च से स्पेक्ट्रम की दूसरे चरण की नीलामी के लिए बिडिंग शुरू करेगी. 7 बैंड में कुल 2,251 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम होंगे, इनकी रेंज 700 मेगाहर्ट्ज से 2500 मेगाहर्ट्ज के बीच रहेगी.

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हमें डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस की तरफ से जारी किया गया 6 जनवरी का एक नोटिस भी मिला. नोटिस में स्पेक्ट्रम की यही फ्रीक्वेंसी बताई गई हैं.

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फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार से ये स्पष्ट करने को कहा है कि 1 मार्च को नीलामी में खरीदे गए एयरवेव से 5जी लॉन्च किया जा सकता है या नहीं.

वहीं डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस ने सभी टेलीकॉम ऑपरेटर से कहा है कि वे 15 जनवरी से पहले अपनी सभी क्वेरी सरकार को भेज दें. इसके बाद डिपार्टमेंट एक स्पष्टीकरण जारी करेगा.

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भारत कब तक आएगा 5जी?

Qualcomm की दिसंबर 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अब तक एक भी 5 जी स्पेक्ट्रम का आवंटन नहीं हुआ है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरी दुनिया में कहां - कहां 5जी स्पेक्ट्रम आवंटित हो गया है.

रिपोर्ट में भारत में 5जी स्पेक्ट्रम की स्थिति के बारे में भी विस्तार से बताया गया है. सिंगापुर और थाइलैंड जैसे देशों में जहां 5जी स्पेक्ट्रम लग चुका है. वहीं वियतनाम में 5जी के ट्रायल्स चल रहे हैं. भारत में अगस्त 2018 में एक हाई लेवल फोरम ने 5जी की सिफारिश की थी, इसके आगे कुछ नहीं हुआ.

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रिलायंस का क्या कहना है ?

रिलायंस से जुड़े करीबी सोर्स ने वेबकूफ को बताया कि 5जी स्पेक्ट्रम से जुड़े सभी दावे निराधार हैं, अब तक स्पेक्ट्रम अलॉट ही नहीं हुआ है.

बिजनेस स्टैंडर्ड में अक्टूबर 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस इंडस्ट्री के चैयरमेन मुकेश अंबानी जुलाई में ही 5जी सॉल्यूशन डेवलप करने की घोषणा कर चुके हैं. हालांकि उन्होंने आगे यह भी कहा था कि स्पेक्ट्रम उपलब्ध होने के बाद ट्रायल शुरू हो जाएंगे.

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रिलायंस इंडस्ट्रीज की तरफ से 20 अक्टूबर, 2020 को जारी की गई प्रेस रिलीज के मुताबिक, क्वालकॉम टेक्नोलॉजी, इंक और जियो प्लेयफॉर्म्स लिमिटेड ने 5जीएनआर सॉल्यूशन के जरिए 1 जीबीपीएस की स्पीड हासिल कर ली है.

5जी सॉल्यूशन से जुड़े ट्रायल के बारे में पूछने पर रिलायंस जियो के करीबी सोर्स ने बताया कि ये ट्रायल भारत नहीं यूएस में हुए थे.

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5जी रेडिएशन से पक्षियों की मौत हो सकती है ?


5जी रेडिएशन के पक्षियों पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने के लिए हमने फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. राधा कृष्ण वर्मा से संपर्क किया. डॉ. वर्मा ने वेबकूफ को बताया कि इस दावे का कोई भी ठोस प्रमाण नहीं है.

5जी रेडिएशन का पक्षियों पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता. उनके रीप्रोडक्टिव सिस्टम और इम्यून सिस्टम पर रेडिएशन के कुछ इंडायरेक्ट इफेक्ट देखे जा सकते हैं. हालांकि, अब तक इस संबंध में कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आए हैं.

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2018 में फैक्ट चेकिंग वेबसाइट Snopes ने नीदरलैंड्स हेल्थ काउंसिल के चेयरमैन डॉ एरिक वैन रॉन्गेन से इसी विषय पर बात की थी. डॉ. रॉन्गेन के मुताबिक, इलेक्ट्रॉमेग्नेटिक फील्ड के प्रभाव से पक्षियों की मौत तभी हो सकती है, जब इसका लेवल बहुत हाई हो और इससे काफी गर्मी पैदा हो. मोबाइल टेलीकॉम एंटीना से ऐसा नहीं होता. दुनिया में ऐसे लाखों एंटीना हैं, लेकिन अब तक पक्षियों के मरने का कोई मामला सामने नहीं आया.

एरिक ने आगे कहा कि 5जी स्पेक्ट्रम के संपर्क में आने से पक्षियों की मौत की संभावना नहीं है.

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बर्ड फ्लू कैसे फैलता है ?

वायरल मैसेज में बर्ड फ्लू को भी 5जी टेस्टिंग की वजह बताया गया है. इसलिए हमने बर्ड फ्लू के संक्रमण के बारे में जानने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस की रिसर्च कॉर्डिनेटर रीतिका सूद से संपर्क किया. उन्होंने वेबकूफ को बताया - पक्षियों की मौत रेडियो वेव से नहीं हो रही है.

बर्ड फ्लू एक संक्रामक बीमारी है. इसका संक्रमण रेडियो वेव के जरिए नहीं फैलता. फिर चाहे वह 3जी हो या 5जी. पक्षी रेडिएशन की वजह से नहीं मर रहे.

रीतिका सूद, रिसर्च कॉर्डिनेटर, NIMHANS

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द क्विंट की ही रिपोर्ट के मुताबिक, एविआन इंफ्लूएंजा जिसे आमतौर पर बर्ड फ्लू कहा जाता है, पक्षियों में फैलने वाला वायरस है.  सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक ये वायरस जंगली जलीय पक्षियों में प्राकृतिक रूप से ही पैदा होता है. इसके बाद फ्लू पोल्ट्री के पक्षियों समेत कई जानवरों को भी अपनी चपेट में ले लेता है.

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अखबार की कटिंग का सच .

कटिंग को ध्यान से देखने पर पता चला कि इसमें 7 दिसंबर, 2018 की डेटलाइन है और अखबार का नाम पंजाब केसरी है. ऑनलाइन चेक करने पर पता चला कि पंजाब केसरी में सच में इस तारीख के एडिशन में लेख प्रकाशित हुआ था.

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दरअसल, ये नीदरलैंड में 297 पक्षियों की मौत के मामले से जुड़ा लेख है. जहा कथित रूप से 5जी टेस्टिंग के दौरान 297 पक्षियों की मौत हो गई थी . हालांकि, दिसंबर 2018 में भी वेबकूफ समेत कई फैक्ट चेकिंग वेबसाइट्स ने इस दावे को फेक बताया था.

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अब हमने नीदरलैंड्स के मीडिया डच न्यूज से संपर्क किया. डच न्यूज की तरफ से ये पुष्टि की गई कि 5जी टेस्टिंग से पक्षियों की मौत का दावा अफवाह है. डच न्यूज के न्यूज एडिटर रॉबिन पैस्को ने कहा -  ये सिर्फ अफवाह है, पक्षियों को संभवतः जहर दिया गया था, लेकिन अब भी टेस्टिंग जारी है.

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Snopes के मुताबिक, जिस वायरल पोस्ट में 5जी एक्सपेरिमेंट से पक्षियों की मौत का दावा किया गाय, वो Health Nut News नाम के एक ब्लॉग पर छपा था, जो कि एक कॉन्पिरेसी ब्लॉग है.

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Snopes के मुताबिक, 5 जी स्पेक्ट्रम से पक्षियों की मौत का दावा करती रिपोर्ट सिर्फ फेसबुक पोस्ट का कम्पाइलेशन थी. जो कि जॉन खुलेस नाम के यूजर ने किया था. जॉन 5जी टेक्नोलोलॉजी के विरोधी हैं.  ये सच है कि 2 साल पहले नीदरलैंड्स के पार्क में पक्षियों की मौत हुई थी. लेकिन, फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ने जब कई सोर्सेस से इस दावे की पुष्टि की, तो ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला जिससे साबित होता हो कि उस पार्क में 5जी टेस्टिंग हुई थी जहां पक्षियों की मौत हुई.

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भारत में न तो अभी 5जी स्पेक्ट्रम उपलब्ध है , न ही रिलायंस जियो ने 5जी ट्रायल शुरू किए हैं. न ही पक्षियों की मौत रेडिएशन से हुई है. इस संबंध में सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा फेक है.

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