सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि कश्मीर (Kashmir) में पिछले 70 सालों से लोगों को मुफ्त बिजली मिल रही थी, अब बिजली के मीटर लगाए जा रहे हैं तो उनका विरोध हो रहा है. दावे के साथ एक वीडियो भी वायरल है, जिसमें कुछ महिलाएं बिजली के मीटरों को सड़क पर फेंकती दिख रही हैं. हालांकि, हमारी पड़ताल में ये दावा गलत निकला.
जम्मू कश्मीर इलेक्ट्रिसिटी ऐक्ट 1997 में ही स्पष्ट लिखा है कि बिजली के लिए ग्राहकों को भुगतान करना होगा. इसके अलावा हमें कश्मीर के एक स्थानीय निवासी ने दिसंबर 2014 का बिजली बिल भी भेजा, जिससे पुष्टि होती है कि 70 सालों से जम्मू-कश्मीर के लोगों को बिजली मुफ्त में नहीं मिल रही थी..
बात करें वायरल वीडियो की तो ये कश्मीर में चल रहे स्थानीय लोगों के प्रदर्शन का है, जिसमें वो नए स्मार्ट मीटर का विरोध कर रहे हैं. कश्मीर में ऐसे एक नहीं कई प्रदर्शन हाल में हुए हैं, जिनमें लोगों ने सरकार की तरफ से लगाए जा रहे स्मार्ट मीटरों को तोड़ा. कश्मीर के लोकल न्यूज पोर्टल पर ऐसे कई वीडियो देखे जा सकते हैं.
रिपोर्ट्स से पता चलता है कि वीडियो में दिख रहे लोग बिजली विभाग की तरफ से लगाए गए स्मार्ट मीटर का विरोध कर रहे हैं. कश्मीर के राजबाग इलाके में स्थानीय लोग अपने पुराने मीटर निकाले जाने के बाद नए मीटर लगाए जाने को लेकर सहमत नहीं थे. रिपोर्ट्स में स्थानीय लोगों के कुछ बयान हैं, जिनसे पता चलता है कि लोगों को लगता है नए मीटर लगने के बाद से बिल ज्यादा आएगा.
दावा
वीडियो के साथ शेयर हो रहा कैप्शन है : बिजली के मीटर लगाने के लिये गये वाहन से श्रीनगर में खातूनों ने मीटर खींच कर सड़क पर पटक कर तोड़ डाले। इन लोगों को पिछले ७० सालों मे मुफ्त बिजली,पानी और अन्य नागरिक सुविधायें मुफ्त इस्तेमाल की आदत पड़ गई है कश्मीर मे कोई भी बिजली बिल का भुगतान नही करता देश है ना भुगतने के लिए.
कश्मीर में 70 सालों से मुफ्त बिजली मिल रही ?
जम्मू-कश्मीर में बिजली सप्लाई का बिल जम्मू-कश्मीर इलेक्ट्रिसिटी ऐक्ट में तय नियमों के मुताबिक वसूला जाता है. स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कमीशन कीमतें बढ़ाने का प्रस्ताव देती है, सरकार की मंजूरी मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर में कीमतें बढ़ाई जाती हैं.
जम्मू और कश्मीर के विधुत अधिकारियों ने भी क्विंट से बातचीत में पुष्टि की कि कश्मीर में फ्री बिजली मिलने के दावों में कोई सच्चाई नहीं है.
जम्मू और कश्मीर में बिजली के एक ही टैरिफ लागू होते हैं, लेकिन पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां अलग-अलग हैं. बिजली की आपूर्ति के लिए विद्युत विभाग की कई सब्सिडियरीज हैं. जम्मू एंड कश्मीर स्टेट पॉवर डिपार्टमेंट (JKSPDCL), जम्मू - कश्मीर पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JKPCL), जम्मू एंड कश्मीर पॉवर ट्रांसमिशन कमीशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JKPTCL), जम्मू पॉवर कॉर्पोरेशन डिपार्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JPDCL) और कश्मीर पॉवर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड KPDCL.
कश्मीर में दो तरह से बिजली बिल का भुगतान लोग करते हैं. पहला - ग्राहक ने जो अपनी खपत बिजली विभाग में रजिस्टर कराई है, उसके मुताबिक उससे हर महीने एक तय (Fixed) अमाउंट लिया जाता है. वहीं, जिनके यहां मीटर है उनसे बिजली की खपत के मुताबिक बिल लिया जाता है. केंद्र के निर्देशों के बाद बिजली विभाग सभी घरों में मीटर लगाने पर काम कर रहा है.KPDCL के अधिकारी ने क्विंट से बातचीत में कहा
जम्मू पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (JPDCL) के एमडी शिव अनंत तयाल ने भी क्विंट से बातचीत में पुष्टि की कि जम्मू-कश्मीर में हमेशा से बिजली सप्लाई की ऐवज में ग्राहकों से तय कीमत ली जाती है.
जम्मू-कश्मीर में हमेशा से जो टैरिफ तय होता है उस हिसाब से बिजली का बिल लिया जाता है. ये सच नहीं है कि बिजली का बिल पहली बार लिया जा रहा है.शिव अनंत तयाल, एमडी, JPDCL
कश्मीर में बिजली की कीमतों से जुड़े कीवर्ड सर्च करने पर हमें वहां के स्थानीय न्यूज पोर्टल Kashmir Observer की 10 मई, 2022 की रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कश्मीर में बिजली की कीमतें 12.46% बढ़ाई जा रही हैं.
कश्मीर ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के मुताबिक
पुरानी कीमतों के मुताबिक, कश्मीर पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (KPDCL) 100 यूनिट तक के इस्तेमाल पर 1.69 रुपए प्रति यूनिट चार्ज करता था. वहीं 101 से 200 यूनिट के इस्तेमाल पर 2 रुपए प्रति यूनिट, 201 से 400 यूनिट के इस्तेमाल पर 3.30 यूनिट और फिर 400 यूनिट के ऊपर 3.52 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली के बिल का भुगतान करना होता था.
रिपोर्ट में KPDCL के चीफ इंजीनियर जावेद यूसुफ का बयान भी है. जावेद ने बिजली की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी को लेकर कहा ''बिजली की कीमतों का पुराना टैरिफ प्लान 2015-17 था, तबसे ही कीमतें नहीं बढ़ाई गईं. बिजली की कीमतों में ये बढ़ोतरी 5 साल से नहीं हुई थी.''
बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी के बयान से ही स्पष्ट हो रहा है कि कश्मीर में बिजली मुफ्त नहीं थी.
जम्मू - कश्मीर के स्थानीय पत्रकार सैय्यद जुनैद हाशमी ने एक स्थानीय निवासी का लगभग 8 साल पुराना यानी दिसंबर 2014 का बिजली बिल की तस्वीर हमें भेजी, तस्वीर में देखा जा सकता है कि ग्राहक को 439 रुपए के बिजली बिल का भुगतान करना है.
(पहचान गोपनीय रखने के लिए हम ग्राहक का नाम, पता समेत अन्य निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं कर रहे. इसलिए तस्वीर के कुछ हिस्सों को ब्लर किया गया है)
हमें जम्मू कश्मीर सरकार के अर्काइव्स में Jammu and Kashmir Electricity Act 1997 की एक कॉपी मिली. इस ऐक्ट के पेज नंबर 35 पर बिजली की कीमतों के बारे में लिखा है. पांचवें पॉइंट में लिखा देखा जा सकता है ''अगर ग्राहक बिजली का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करता है, तब भी उससे कुछ न्यूनतम कीमत वसूली जाएगी.''
जम्मू-कश्मीर में बिजली की कीमतें State Electricity Regulatory Commission तय करती है. इस कमीशन के अक्टूबर 2016 में बिजली की कीमतों को लेकर जो दस्तावेज जारी किया था वो भी हमने चेक किया. यहां पता चला कि कमीशन ने 2016 में ही बिजली की कीमतें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था.
1997 का जम्मू-कश्मीर इलेक्ट्रिसिटी ऐक्ट, क्विंट को मिले साल 2014 के बिजली बिल की कॉपी और स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कमीशन के प्रस्तावित टैरिफ रेट्स से साफ होता है कि जम्मू-कश्मीर में 70 सालों से बिजली मुफ्त नहीं है. सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा ये नैरेटिव सही नहीं है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों से पहली बार बिजली बिल वसूलने के लिए मीटर लगाए जा रहे हैं.
फिर वायरल वीडियो में लोग मीटर क्यों तोड़ रहे हैं?
वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स को गूगल पर रिवर्स सर्च करने पर हमें दूसरे ऐंगल से शूट किया गया यही वीडियो कश्मीर के एक क्षेत्रीय यूट्यूब चैनल पर मिला. वीडियो में वही महिला लोडिंग ऑटो से मीटर निकालकर तोड़ती दिख रही है, जो वायरल वीडियो में हैं. वीडियो में कहा जा रहा है कि जागरुकता की कमी होने की वजह से लोग मीटर तोड़ रहे हैं.
अब हमने अलग-अलग कीवर्ड्स सर्च कर कुछ रिपोर्ट्स खंगालनी शुरू कीं, जिनसे समझ सकें कि कश्मीर में मीटर तोड़े जाने का ये माजरा क्या है. हमें पता चला कि कश्मीर के एक नहीं कई इलाकों में लोग बिजली कंपनी द्वारा लगाए जाने वाले नए स्मार्ट मीटर्स का विरोध कर रहे हैं. लोगों का मानना है कि जब उनके यहां पुराने मीटर हैं तो नए क्यों लगाए जा रहे हैं. कश्मीर के कई स्थानीय न्यूज चैनलों पर अलग-अलग इलाकों में मीटर तोड़ते लोगों के वीडियो हैं.
Greater Kashmir की रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे ही पॉवर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (PDD) के अधिकारी श्रीनगर के राजबाग इलाके में स्मार्ट मीटर लगाने पहुंचे, लोग विरोध में सड़कों पर आ गए और मीटर तोड़ते हुए PDD के खिलाफ नारेबाजी भी करने लगे.
रिपोर्ट के मुताबिक लोगों का मानना है कि इन स्मार्ट मीटर के लगने के बाद उनका बिल ज्यादा आएगा और वो अफोर्ड नहीं कर सकते.
मतलब साफ है कि सोशल मीडिया पर कश्मीर में मीटर तोड़ते स्थानीय लोगों का वीडियो गलत दावे से वायरल है. ये दावा गलत है कि कश्मीर में 70 सालों से लोगों को बिजली मुफ्त में मिल रही थी. वायरल वीडियो में दिख रहे लोग नए तरह के मीटर का विरोध कर रहे हैं.
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