सोशल मीडिया पर रेसलिंग स्टार खली (Khali) का फल खाते हुए एक वीडियो वायरल हो रहा है.
दावा: वीडियो शेयर कर यह दावा किया जा रहा है कि खली ने मुस्लिम व्यापारियों से फल खरीद कर और खाकर 'नेम प्लेट वाले नियमों' का विरोध किया है.
यहां बता दें कि उत्तरप्रदेश में कांवड़ यात्रा के बीच कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने दुकानदारों को निर्देश दिए थे कि वो अपनी दुकान के बोर्ड पर अपना नाम जरूर सार्वजनिक करें, जिससे कि ग्राहकों को उनका धर्म पता चल जाए.
क्या यह दावा सही है ? नहीं, यह दावा सही नहीं है.
मीडिया में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश में नाम प्लेट लगाने का नोटिस पुलिस ने 17 जुलाई 2024 को जारी किया था.
X (पूर्व में ट्विटर) पर भी मुज्जफरनगर पुलिस ने यह नोटिस 17 जुलाई 2024 को अपलोड किया था.
जबकि खली ने फल खाते हुए अपना यह वीडियो अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर 11 जुलाई 2024 को अपलोड किया था, कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले.
हमने सच का पता कैसे लगाया ? वीडियो पर हमें खली के ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट का वॉटरमार्क दिखा.
यहां से अंदाजा लेकर हमने उनका इंस्टाग्राम अकाउंट चेक किया तो पाया कि खली ने यह वीडियो 17 जुलाई 2024 को अपलोड किया था.
हमने मुज्जफरनगर पुलिस का वो आदेश भी देखा जिसमें दुकानदारों से नाम लिखने को कहा गया था.
हमें मुजफ्फरनगर पुलिस का यह X पोस्ट मिला जिसमें नाम की प्लेट लगाने का नोटिस था, जिसे 17 जुलाई को पोस्ट किया था.
क्या था नेमप्लेट विवाद ? उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के मद्देनजर मुज्जफरनगर पुलिस ने जिले में दुकानदारों को नोटिस जारी कर उनसे उनकी दुकानों, ठेलों और रेहड़ी पर अपने नाम का बोर्ड लगाने का अनुरोध किया था. जिससे की सामान बेचने वाले का धर्म उजागर हो सके. बाद में यह आदेश सरकार ने पूरे प्रदेश में लागू कर दिया था.
हालांकि पुलिस ने इसे सिर्फ अनुरोध बताया था. लेकिन मीडिया में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक स्थानीय निवासियों ने कहा था कि पुलिस उनसे उनके नाम का बोर्ड लगाने का दबाव बना रही है.
इस फैसले का विपक्ष समेत अन्य पार्टियों ने भी विरोध किया था और अंत में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी थी.
निष्कर्ष: खली के पुराने वीडियो को उत्तर प्रदेश में हुए नेमप्लेट विवाद से जोड़कर भ्रामक दावों के साथ शेयर किया जा रहा है.
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