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मुजफ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत की नहीं, शामली की 7 महीने पुरानी है ये फोटो

फरवरी में भी शामली में एक महापंचायत का आयोजन किया गया था, ये फोटो तब की है.

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मुजफ्फरनगर में रविवार, 5 सितंबर को किसानों की महापंचायत हुई. जिसमें हजारों किसानों ने हिस्सा लिया. लेकिन इसके तुरंत बाद ही सोशल मीडिया पर भीड़ दिखाती एक फोटो शेयर होने लगी. फोटो को इस महापंचायत की बता शेयर किया जा रहा है.

हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि ये फोटो हाल की नहीं बल्कि करीब 7 महीने पुरानी है और शामली की है, जब तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने बैठक की थी.

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दावा

इस फोटो को Tribal Army के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है. कैप्शन में लिखा गया है, ''Support Farmers & Farmer's Protest''.

साथ ही, #मुजफ्फरनगर_किसान_महापंचायत और #FarmersProtest #Muzaffarnagar हैशटैग भी इस्तेमाल किए गए हैं.

फरवरी में भी शामली में एक महापंचायत का आयोजन किया गया था, ये फोटो तब की है.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)

स्टोरी लिखे जाने तक इस ट्वीट को 2200 से भी ज्यादा रिट्वीट और करीब 5500 लाइक मिल चुके हैं.

Seema Meena नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा है, ''मुजफ्फरनगर में "खेला होबे खेला"👍 मैदान ही छोटा पड़ गया धरापुत्रो की भीड़ से। #हमारा_आगाज_किसान_राज #FarmersProtest #KisanMahaPanchayat''. इस ट्वीट का आर्काइव आप यहां देख सकते हैं.

ये फोटो National Herald ने भी 5 सितंबर के महापंचायत से जुड़ी अपनी एक रिपोर्ट में इस्तेमाल किया है. इसके अलावा, और भी कई यूजर ने इस फोटो को मुजफ्फरनगर महापंचायत की बता शेयर किया है. जिनके आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं.

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पड़ताल में हमने क्या पाया

हमने फोटो को Yandex पर रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. सर्च रिजल्ट में हमें The Tribune का 5 फरवरी का एक आर्टिकल मिला, जिसमें इसी फोटो का इस्तेमाल किया गया था. इस फोटो के लिए PTI को क्रेडिट दिया गया था.

फरवरी में भी शामली में एक महापंचायत का आयोजन किया गया था, ये फोटो तब की है.

ये आर्टिकल 5 फरवरी को पब्लिश हुआ था

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/वेबसाइट/The Tribune)

इसकी हेडलाइन थी, ''Defying prohibitory orders, thousands converge for ‘kisan mahapanchayat’ in UP’s Shamli'' यानी निषेधाज्ञा की अवहेलना करते हुए यूपी के शामली में हुई महापंचायत में हजारों किसाने इकट्ठा हुए.

आर्टिकल के मुताबिक, इस महापंचायत का आयोजन शामली में RLD ने किया था. ये महापंचायत सरकार द्वारा पेश किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में बिठाई गई थी, जिसमें हजारों किसान धारा 144 लागू होने के बावजूद शामिल हुए थे.

आर्टिकल में ये भी बताया गया था कि मुजफ्फरनगर, मथुरा और बागपत के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह चौथी बड़ी किसान बैठक थी.

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इस आर्टिकल में इस्तेमाल की गई फोटो के लिए PTI को क्रेडिट दिया गया था. इसलिए हमने, PTI के आर्काइव में भी जाकर देखा और हमें यही फोटो मिली. जिसे 5 फरवरी को ही अपलोड किया गया था. फोटो के कैप्शन में लिखा गया था, ''हजारों की संख्या में किसानों ने 5 फरवरी को यूपी के शामली में किसान महापंचायत में हिस्सा लिया.'' इस फोटो के लिए रविचौधरी को क्रेडिट दिया गया था.

फरवरी में भी शामली में एक महापंचायत का आयोजन किया गया था, ये फोटो तब की है.

ये फोटो 5 फरवरी को अपलोड की गई थी

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/PTI)

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इसके अलावा हमने The Tribune में इस्तेमाल की गई फोटो और वायरल फोटो में मिलान करके देखा. हमें दोनों फोटो में कई एक जैसे एलीमेंट देखने को मिले, जो आप नीचे देख सकते हैं.

फरवरी में भी शामली में एक महापंचायत का आयोजन किया गया था, ये फोटो तब की है.

बाएं वायरल फोटो, दाएं The Tribune के आर्टिकल का स्क्रीनशॉट

(फोटो: Altered by The Quint)

ऊपर फोटो में सबसे नीचे लाल शर्ट में कैप पहने एक शख्स को दोनों ही फोटो में देखा जा सकता है. इसके अलावा दोनों ही फोटो में इंडिया का झंडा भी एक ही जगह पर दिखाई दे रहा है. इसके अलावा, दोनों ही फोटो में सबसे पीछे घास दिख रही है.

हमें क्विंट और Aaj Tak की भी रिपोर्ट मिलीं, जिनके मुताबिक 5 फरवरी को शामली में किसान महापंचायत आयोजित की गई थी.

मतलब साफ है कि करीब 7 महीने पहले पहले शामली में हुई किसानों की महापंचायत की फोटो को हाल में मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत की बताकर शेयर किया जा रहा है.

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मुजफ्फरनगर में महापंचायत

तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं टिकरी, गाजीपुर बॉर्डर और सिंघु पर शुरू हुआ किसान आंदोलन दस महीने से चल रहा है. इस दौरान किसानों और सरकार के बीच कई बार बात भी हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया है.

यूपी में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों के बीच, मुजफ्फरनगर में हुई ये महापंचायत काफी अहम है. किसानों का कहना है कि लंबे समय से किसान अपनी मांग सरकार से रख रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है.

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