8 नवंबर को चंद्रग्रहण के बाद 8-9 नवंबर की दरमियानी रात को नेपाल और भारत के कुछ हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. अब सोशल मीडिया पर इन दोनों घटनाओं को जोड़कर कहा जा रहा है कि ये भूकंप के झटके चंद्रग्रहण का ही एक असर था.
क्या है दावा : सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि जब भी चंद्रग्रहण होता है, तो उसके बात भूकंप भी आता ही है. ये कोई इत्तेफाक नहीं है. वायरल मैसेजेस में यहां तक कहा गया है कि चंद्रग्रहण के बाद भूकंप की भविष्यवाणी कई ज्योतिषी पहले ही कर चुके हैं.
क्या ये सच है ? नहीं, एक्सपर्ट्स से लेकर तमाम साइंटिफिक रिसर्च स्टडीज यही कहती हैं कि चंद्रग्रहण या सूर्यग्रहण का भूकंप आने से कोई संबंध नहीं है. क्विंट ने खगोल भौतिकी वैज्ञानिक प्रोफेसर प्रज्जवल शास्त्री, होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एंड रिसर्च में एसोसिएट प्रोफेसर अनिकेत से इस दावे पर बात की, दोनों ही एक्सपर्ट्स ने कहा कि चंद्रग्रहण और भूकंप के बीच किसी संंबंध को साबित करता कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.
फिर सच क्या है ? : भूकंप आने के पीछे की वजह पृथ्वी की बाहरी सतह पर मौजूद टिक्टॉनिक प्लेट्स में आने वाला घर्षण है, न की चंद्रमा या चंद्रग्रहण.
चंद्रग्रहण और भूकंप के कनेक्शन पर वैज्ञानिकों की राय : खगोल भौतिक वैज्ञानिक प्रोफेसर प्रज्जवल शास्त्री से हमने संपर्क किया. उन्होंने वायरल हो रहे दावों को लेकर क्विंट से कहा कि वैज्ञानिक तौर पर चंद्रग्रहण के आधार पर भूकंप आने का आकलन या भविष्यवाणी करना बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है.
''भूकंप आने के पीछ कई सारे जटिल फैक्टर काम करते हैं. भूकंप आने के कारणों में से एक ज्वारीय तनाव भी हो सकता है, पूर्ण चंद्रमा और नए चांद वाले दिन ये तनाव सबसे ज्यादा होता. लेकिन, चंद्रग्रहण पूर्ण चंद्रमा वाले कुछ मौकों पर ही होता है, हर बार नहीं, इसलिए इसके आधार पर भूकंप की भविष्यवाणी करना तर्कसंगत नहीं है.''प्रोफेसर प्रज्जवल शास्त्री, खगोल भौतिकी वैज्ञानिक
होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एंड रिसर्च में एसोसिएट प्रोफेसर अनिकेत सूले से भी हमने संपर्क किया. उन्होंने सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों को लेकर कहा कि ये सरासर गलत हैं ''हर पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सूरज के उल्टी दिशा में होता है. इनमें से कुछ पूर्णिमा वाले दिनों चांद की छाया सूरज से गुजरती है, इसमें कुछ भी असाधारण नहीं है.''
अब धरती की तुलना में चंद्रमा थोड़ा नीचे है, इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं समझा जाना चाहिए कि उसकी वजह से अचानक भूकंप आ जाएगा. अगर आप हर साल का डेटा देखेंगे तो पाएंगे कि हर साल तीन से चार बार चंद्रग्रहण होता है. ऐसे कई सालों में होने वाले चंद्रग्रहण के डेटा पर नजर डालिए आपको बहुत कम ही ऐसे मामले मिलेंगे जब ग्रहण के बाद भूकंप हुआ हो. इन दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है.अनिकेत सूले, एसोसिएट प्रोफेसर, होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एंड रिसर्च
वैज्ञानिक शोध क्या कहते हैं? : दो माह में एक बार छपने वाले पीयर रिव्यूड फोरम Seismological Research Letters पर हमें 2018 में छपा सूजन ई होफ का एक रिसर्च आर्टिकल मिला. इसमें बताया गया है कि भूकंप का चांद के पृथ्वी के चक्कर काटने से कोई संबंध नहीं है. उन तारीखों से कोई संबंध सामने नहीं आया, जिन दिनों में ग्रहण हुआ.
NASA का क्या कहना है ? : नासा के मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर में सोलर एस्ट्रोनॉमर मिटजी एडम्स ने साल 2010 में एक हुए एक सवाल के जवाब में कहा था कि चंद्रग्रहण या सूर्यग्रहण का भूकंप से कोई संबंध नहीं है. इस सेशन में सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण से जुड़े कई सवाल एक्सपर्ट से पूछे गए थे, पूरी चैट आप यहां पढ़ सकते हैं.
क्यों आता है भूकंप ? : विज्ञान की एक थ्योरी कहती है कि पृथ्वी के बाहर की सतह पर टेक्टॉनिक प्लेट्स हैं और भूकंप की वजह इन्हीं टेक्टॉनिक प्लेट्स से जुड़ी हुई है. अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, टेक्टॉनिक प्लेट्स हमेशा काफी धीमी गति से चलती हैं, लेकिन कई बार घर्षण (FICTION) के कारण वो अपने किनारों की तरफ से चिपक जाती हैं.
जब कुछ वक्त के बाद धीरे-धीरे ये घर्षण कम होता है, तो कंपन होता है, अब ये कंपन तरंगों के जरिए उर्जा को धरती पर छोड़ता है जिससे हमें धरती पर कंपन महसूस होता है, इसे ही भूकंप कहते हैं.
ग्रहण क्यों होता है ? : सौरमंडल में पृथ्वी सूरज के और चांद पृथ्वी के चक्कर काट रहे हैं. अब इस प्रक्रिया में कई बार चांद पृथ्वी और सूरज के बीच में आ जाता है, जिससे सूरज की रोशनी धरती के कई हिस्सों पर काफी कम या नहीं पहुंचती, इसी संयोग को ग्रहण कहते हैं.
अब ग्रहण दो प्रकार के होते हैं: चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण. चंद्र ग्रहण के दौरान, पृथ्वी की छाया चंद्रमा को ढक लेती है. वहीं सूर्य ग्रहण के दौरान, चंद्रमा सूर्य की रोशनी को धरती तक पहुंचने से रोकता है. (सोर्स - नासा )
क्या चंद्रग्रहण से धरती पर कोई बदलाव होता है ? : डॉ. अनिकेत सूले इस सवाल के जवाब में कहते हैं ''नहीं, क्योंकि चंद्रग्रहण के वक्त भी चांद की पोजीशन नहीं बदलती है. वो बस धरती की परछाई से गुजर रहा होता है. अगर आपको कोई बदलाव दिखता है तो वो सिर्फ इतना होगा कि धरती पर आने वाली चंद्रमा की रोशनी में अंतर होगा. ये बहुत ही मामूली बदलाव है, जिससे धरती के वातावरण पर कोई फर्क नहीं पड़ता.''
फिर ग्रहण में खास क्या है ? : अब जब वैज्ञानिकों का ये मानना है कि ग्रहण महज एक घटना है, ये कोई भूकंप या किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा का संकेत नहीं है. तो सवाल ये उठ सकता है कि फिर इसमें खास क्या है? अगर ये सिर्फ एक सामान्य घटना है तो वैज्ञानिकों से लेकर आम लोगों तक की इसपर क्यों नजर रहती है ?
ग्रहण के वक्त सौरमंडल के हालात सामान्य दिनों से अलग होते हैं. इसलिए इस दौरान सूरज, धरती और सौरमंडल के वातावरण से जुड़ी नई खोजें करने के लिए ये सही मौका होता है. NASA ने ग्रहण के दौरान ऐसी कई खोजे भी की हैं, जिनके बारे में विस्तार से आप यहां पढ़ सकते हैं.
पड़ताल का निष्कर्ष : इस दावे का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि चंद्रग्रहण भूकंप के पीछे की वजह है. चंद्रग्रहण पृथ्वी का चक्कर लगाते चांद की प्रक्रिया का एक हिस्सा है जो निश्चित है कि होना है, जबकि भूकंप का आना निश्चित नहीं है. भूकंप आने के पीछे की वजह पृथ्वी की बाहरी सतह पर मौजूद टिक्टॉनिक प्लेट्स में आने वाला घर्षण है, न की चंद्रमा.
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