आयरिश न्यूज पब्लिकेशन TheJournal.ie का एक आर्टिकल का कथित स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर शेयर हो रहा है. आर्टिकल की हेडलाइन इंग्लिश में है, हिंदी इस प्रकार है, ''मंकीपॉक्स (Monkeypox) 120 साल तक दरवाजे के हैंडल और टॉयलेट सीट पर रह सकता है और 5 मील दूर से संक्रमित कर सकता है.''
हालांकि, हमने पाया कि वायरल स्क्रीनशॉट फेक है. इसके अलावा, पोस्ट में किए गए दावे भी झूठे हैं. पब्लिकेशन ने स्पष्ट किया है कि उसकी तरफ से कभी भी मंकीपॉक्स पर ऐसा आर्टिकल पब्लिश नहीं किया गया.
मंकीपॉक्स से जुड़ी रिसर्च के मुताबिक, संक्रमित लोगों के इस्तेमाल किए गए कपड़ों, लिनेन और सतह को छूने से इसका संक्रमण हो सकता है. लेकिन, ये दावा कि ये वायरस किसी सतह पर 120 सालों तक रह सकता है, गलत है.
हमें ऐसी कोई रिसर्च भी नहीं मिली जो इस दावे को प्रमाणित करती हो कि एक संक्रमित शख्स 5 मील दूर से वायरस फैला सकता है.
वायरल स्क्रीनशॉट के एक वर्जन में एक सब-हेडर भी है, जिसे देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये पोस्ट व्यंग्यात्मक हो सकता है.
दावा
वायरल स्क्रीनशॉट को कई लोगों ने शेयर किया है. इनमें से ज्यादातर लोगों ने बिना किसी कैप्शन के सिर्फ इमोजी का इस्तेमाल कर इसे शेयर किया है.
पोस्ट के दूसरे वर्जन में, एक सबहेडर देखा जा सकता है, जिसमें लिखा है, ''डर फैलाने वाला लगने के बजाय निश्चित रूप से ये घबराने का समय है.'' इस कोट के लिए ''एक UCD एक्सपर्ट को क्रेडिट दिया गया था जिसके पास पत्रकारिता की डिग्री है लेकिन उसने एक बार वायरोलॉजी पर एक बहुत अच्छी किताब भी पढ़ ली थी''. इसे देखकर ये कोई सटायर या पैरोडी लग रहा है.
इस तरह के और भी पोस्ट के आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं.
पड़ताल में हमने क्या पाया
हमने उस आयरिश पब्लिकेशन की वेबसाइट और सोशल मीडिया हैंडल्स चेक किए, जिसके नाम पर ये स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है. हमें ऐसा कोई भी आर्टिकल नहीं मिला.
हमने स्क्रीनशॉट के टाइटल को गूगल पर कीवर्ड की तरह इस्तेमाल कर सर्च किया. हमें इस हेडलाइन वाला कोई भी आर्टिकल नहीं मिला.
कीवर्ड सर्च के दौरान हमने पाया कि TheJournal.ie में असिस्टेंट न्यूज एडिटर स्टीफन मैकडरमोट ने न्यूज एजेंसी Associated Press को बताया है कि फोटो के साथ छेड़छाड़ की गई है. ऐसा कोई भी आर्टिकल पब्लिश नहीं किया गया.
Monkeypox वायरस सतह पर कितनी देर जीवित रह सकता है?
Monkeypox इसी नाम के वायरस की वजह से होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है. वायरस से संक्रमित शख्स को रैशेज और फ्लू जैसे लक्षण उभरते हैं. Monkeypox वायरस चेचक की ही तरह ऑर्थोपॉक्सवायरस (orthopoxvirus) कैटेगरी का ही एक प्रकार है.
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, एक शख्स से दूसरे शख्स तक इस वायरस का संचरण तब होता है जब आप किसी संक्रमित शख्स बहुत नजदीकी शारीरिक संपर्क में आते हैं. किसी संक्रमित शख्स के खांसने और छींकने और उसके घावों को छूने से भी इसका संक्रमण फैलता है.
CDC ने ये भी बताया है कि वायरस से इनफेक्टेड सामग्री (कपड़े, बिस्तर, संक्रमित का इस्तेमाल किया लिनेन) के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क भी लोगों को इस वायरस से संक्रमित कर सकता है.
CDC वेबसाइट के मुताबिक, ''एक स्टडी में जांचकर्ताओं ने पाया कि इस वायरस से संक्रमित शख्स के घर खाली करने के 15 दिन बाद भी वायरस उस घर में जीवित पाया गया.''
जर्मनी में हुए एक दूसरी रिसर्च में ये भी पाया गया कि आइसोलेटेड रूम में संक्रमित शख्स के चारों ओर सतहों पर अच्छा खासा वायरल लोड होता है. लेकिन किसी भी रिसर्च में ये नहीं कहा गया कि वायरस 120 सालों तक सक्रिय रहता है.
नॉर्थ कैरोलिना के ग्रीनविल में स्थित ईस्ट कैरोलिना यूनिवर्सिटी के एक वायरोलॉजिस्ट रेचल रोपर ने Nature Scientific Journal को बताया कि SARS-CoV-2 के उल्टा पॉक्सवायरस मानव शरीर के बाहर लंबे समय तक जिंदा रह सकता है.
हमने कीवर्ड सर्च की मदद से 5 मील दूर से संक्रमित होने वाले दावे से जुड़ी जानकारी सर्च की. लेकिन ऐसी कोई रिसर्च या स्टडी नहीं मिली .
मतलब साफ है ये दावा गलत है कि मंकीपॉक्स वायरस दरवाजे के हैंडल और टॉयलेट सीट पर 120 साल तक जीवित रहता है और पांच मील दूर से फैल सकता है. इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.
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