सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक शख्स लोहे की रॉड से एक महिला को पीटता दिख रहा है. इस विवाद में दो पुरुषों सहित कई महिलाएं दिख रही हैं. वीडियो में ये भी देखा जा सकता है कि आसपास खड़े लोगों में से जो इस घटना को मोबाइल पर रिकॉर्ड कर रहा है, उसकी ओर भी हाथ में रॉड लिए शख्स मारने के लिए दौड़ता है.
वीडियो को सांप्रदायिक (Communal) रंग देकर दावा किया जा रहा है कि UP के मिर्जापुर में कचरा फेंकने से मना करने पर मुस्लिम शख्स ने हिंदू महिलाओं की पिटाई कर दी.
पड़ताल में ये दावा भ्रामक निकला. पहला तो ये वीडियो हाल का नहीं, बल्कि जनवरी 2022 का है और दूसरा मिर्जापुर पुलिस ने पुष्टि की है कि ये मामला सांप्रदायिक नहीं है और दोनों पक्ष एक ही समुदाय से आते हैं.
दावा
इस वीडियो को Zee Hindustan के जर्नलिस्ट तुषार श्रीवास्तव ने शेयर कर कैप्शन में लिखा, ''मिर्जापुर के कटरा थाना क्षेत्र में अब्दुल ने कचरा फेंकने को मना करने पर हिंदू परिवार की महिलाओं के ऊपर जानलेवा हमला कर दिया वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस निर्दयता से अब्दुल महिलाओं की जान लेने पर आमादा है अब क्यों न अब्दुल को आतंकी कहा जाए इसी को तो आतंक कहते है''.
स्टोरी लिखते समय तक इस वीडियो 1 लाख 20 हजार से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं. इस वीडियो को यूपी बीजेपी के स्पोक्सपर्सन प्रशांत उमराव ने भी ऐसे ही दावे से रिट्वीट किया है.
वीडियो को ऐसे ही दावे से फेसबुक और ट्विटर दोनों जगह कई लोगों ने शेयर किया है. इनमें से कुछ के आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
पड़ताल में हमने क्या पाया
यहां से संकेत लेकर, हमने जरूरी कीवर्ड डालकर गूगल सर्च किया. हमें 17 जनवरी 2022 को ETV Bharat में पब्लिश एक वीडियो रिपोर्ट मिली, जिसमें वायरल वीडियो का इस्तेमाल किया गया था.
'मामूली विवाद में दबंगों ने मां-बेटी को लोहे की छड़ और हथौड़े से पीटा, वीडियो वायरल' हेडलाइन वाली इस रिपोर्ट के मुताबिक, मिर्जापुर के कटरा कोतवाली क्षेत्र के तकिया दानू शाह मोहल्ले में दबंगों ने लोहे की छड़ और हथौड़े से पीटकर मां-बेटी को घायल कर दिया. रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से बताया गया है कि ये विवाद कूड़ा डालने को लेकर हुआ था.
रिपोर्ट में मिर्जापुर एडीएसपी संजय कुमार वर्मा की बाइट का भी इस्तेमाल किया गया है, जिसमें वो मामले के बारे में बताते हैं और कहते हैं कि इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 151 (शान्ति भंग की आशंका की धारा) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है.
इसके अलावा, हमें घटना से जुड़ी एक और रिपोर्ट Dainik Bhaskar में मिली. इस रिपोर्ट में भी वायरल वीडियो का इस्तेमाल किया गया था. रिपोर्ट में इस मामले की जानकारी के साथ पीड़िता का नाम नसरीन बेगम बताया गया था.
इसके बाद, हमने मिर्जापुर के कटरा कोतवाली थाना पुलिस से संपर्क किया. पुलिस ने वीडियो को पुराना बताते हुए दावे को खारिज कर दिया. पुलिस के मुताबिक:
इस मामले में पीड़ित और आरोपी दोनों ही मुस्लिम समुदाय से हैं. प्रथम पक्ष जिसने ये मामला दर्ज कराया उनका नाम नसरीन है और जिनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ उसका नाम बाबा उर्फ सलमान.
मिर्जापुर में स्थानीय रिपोर्टर बृजेंद्र दुबे से ने भी हमसे बताया कि ये मामला सांप्रदायिक नहीं है. हमें मामले से जुड़ी जो एफआईआर कॉपी मिली, उसमें भी पीड़िता का नाम नसरीन बेगम लिखा हुआ है. इसके अलावा, आरोपियों में बाबा उर्फ सलमान, अंजुम, तशव्वुर पेंटर, बिट्टी उर्फ तमन्ना, छज्जू उर्फ आयशा के नाम दिए गए हैं.
ज्यादा जानकारी के लिए हमने पीड़िता नसरीन बेगम से भी संपर्क किया, जिन्होंने बताया
ये मामला हिंदू-मुस्लिम नहीं है. हम भी मुस्लिम हैं और जो लोग वीडियो में पीटते दिख रहे हैं वो भी मुस्लिम. मामले को गलत सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया जा रहा है.नसरीन बेगम, पीड़िता
इस मामले में मिर्जापुर एडिशनल एसपी संजय वर्मा ने 6 अप्रैल 2022 को एक स्टेटमेंट जारी कर बताया कि दोनों पक्ष एक ही समुदाय से हैं और ये घटना 16 जनवरी 2022 की है. उन्होंने कहा कि गलत अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
मतलब साफ है कि करीब 4 महीने पुराना वीडियो हाल का बता इस गलत सांप्रदायिक दावे से शेयर किया जा रहा है कि मुस्लिम शख्स ने हिंदू महिलाओं को पीटा, जबकि दोनों पक्ष मुस्लिम समुदाय से थे.
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