विराट कोहली के व्यवहार और देश में बिगड़ते भाईचारे के माहौल को लेकर नसीरुद्दीन शाह के बयान के बाद वो लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि वो अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं जिनकी परवरिश किसी भी खास धर्म के अनुयायी के तौर पर नहीं हुई है.
कारवां-ए-मोहब्बत को दिए अपने एक इंटरव्यू में नसीरुद्दीन शाह ने बुलंदशहर की घटना के बारे में बात करते हुए कहा कि एक गाय की मौत को इंस्पेक्टर की मौत से ज्यादा तरहीज मिलती है.
शाह के इस बयान के बाद से लगातार गलत जानाकारियों, अफवाहों और ट्रोलिंग की बाढ़ सी आ गई है. सोशल मीडिया पर बीजेपी और पीएम मोदी को सपोर्ट करने वाले पेज और सपोर्टर लगातार इस बेहतरीन एक्टर की छवि को खराब करने में जी जान से जुट गए हैं.
एक ‘आर्टिकल’ जिसकी हेडलाइन बिल्कुल ही गलत है
दैनिक भारत ने एक न्यूज आर्टिकल की हेडलाइन लिखी है- 'भारत रहने लायक देश नहीं है, मुझे तो अपने बच्चों के लिए डर लगता है, घटिया देश है भारत: नसीरुद्दीन शाह.’
यहां तक की इस आर्टिकल में दावा है कि नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि हिंदू संगठनों, गाय और बीजेपी की वजह से ये देश खराब हो गया है और अब यहां रहा नहीं जा सकता.
आपको हम साफ बता दें कि नसीरुद्दीन शाह ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा, सूबत के तौर पर आप ‘कारवां-ए-मोहब्बत’ का दो मिनट का वीडियो देख सकते हैं.
उन्होंने ये जरूर कहा कि उन्हें अपने बच्चों की ‘चिंता’ है और देश के हालात उन्हें सुधरते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं.
दैनिक भारत के आर्टिकल में यहां तक लिखा है कि नसीरुद्दीन ने देश को लेकर काफी अपशब्द भी कहे जबकि उन्होंने सिर्फ देश जिस तरह आगे बढ़ रहा है उसे लेकर चिंताएं व्यक्त की थीं. खासकर उन्होंने बुलंदशहर की घटना का जिक्र किया था.
नसीरुद्दीन ने ये भी कहा कि उन्हें डर नहीं लगता बल्कि इस तरह की घटनाएं देखकर उन्हें गुस्सा आता है.
..और मुझे लगता है कि किसी भी सही सोच वाले व्यक्ति को गुस्सा आना चाहिए, न कि डरना चाहिए. ये हमारा घर है, किसमें इतनी हिम्मत जो हमें यहां से निकाल दे.नसीरुद्दीन शाह का असल बयान
पाकिस्तान से तुलना
एक पेज है- PMO India: Report Card - इस पेज से एक वीडियो शेयर किया गया जिसे किसी आलोक प्रधान ने पोस्ट किया था. उस वीडियो ने 15 घंटों में ही 28 हजार व्यूज पाए.
इस वीडियो में नसीरुद्दीन शाह के हालिया बयान की तुलना उनके साल 2012 वाले बयान से की गई है, 2012 में वो पाकिस्तान गए थे और तब उन्होंने कहा था कि, “उनका यहां ऐसा स्वागत किया गया है जैसे कि वो अपने घर ही आए हों.” वो पाकिस्तान में फैज अहमद फैज फाउंडेशन के लिए दो नाटक परफॉर्म करने के लिए गए थे.
‘उन्होंने याकूब मेमन की दया याचिका पर साइन किया’
Post Card Fans नाम के एक पेज ने एक पोस्ट शेयर की जहां उनका कहना है कि नसीरुद्दीन शाह ने 2015 में याकूब मेमन की फांसी से पहले उनके लिए दया याचिका पर साइन किए थे.
आपको बता दें कि दया याचिका तब के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सामने रखी गई थी और उनसे याकूब मेमन को फांसी न देने की मांग की गई थी. उस याचिका पर कई बड़े वकीलों, राजनेताओं और फिल्म दुनिया के कई लोगों ने साइन किया था.
एक और पेज है- Narendra Modi - True Indian - इस पेज से भी कुछ इसी तरह की झूठी चीजें शेयर की गईं.
नसीरुद्दीन शाह vs हामिद अंसारी
इसी पेज ने एक वीडियो शेयर किया है जिसे 'Argumentative Indian' नाम के पेज ने बनाया है, इस वीडियो में नसीरुद्दीन शाह के बयान के बाद हामिद अंसारी के बयान को चलाया गया. हामिद अंसारी हाल ही में पाकिस्तान से 6 साल की सजा काटकर लौटे हैं.
वीडियो में दिखाया गया है कि किस तरह से हामिद अंसारी देशवापसी पर धरती को चूम रहे हैं और भारतीय सरकार की तारीफ कर रहे हैं.
पुराने वीडियो की खूब हुई एडिटिंग
'Argumentative Indian' नाम के इस पेज ने एक और वीडियो शेयर किया है जिसमें नसीरुद्दीन के कमेंट के बाद जावेद अख्तर ये कहते हुए सुनाई देते हैं कि, “मेरी आपसे एक request है, एक हफ्ते के लिए पाकिस्तान चले जाइये, वापस आएंगे तो इस धरती को चूमेंगे”
वीडियो का जो कैप्शन दिया गया है वो है- "नसीरुद्दीन शाह को मिला करारा जवाब” इस वीडियो में जावेद अख्तर के साल 2012 के बयान को चिपका दिया गया है. जावेद अख्तर का ये वीडियो साल 2012 में आजतक न्यूज चैनल के एजेंडा कार्यक्रम का है जहां वो दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को ये कह रहे थे.
इन पोस्ट के अलावा, ऐसे कई पेज हैं जो नसीरुद्दीन शाह पर उनकी निजी जिंदगी को लेकर अटैक कर रहे हैं और लगातार झूठ फैला रहे हैं. उनके बेटे और शादीशुदा जिंदगी को लेकर काफी कुछ गलत और झूठ कहा जा रहा है.
साफ है कि 2015 में आमिर खान ने भी कुछ इसी तरह का बयान दिया था जिसके बाद उन्हें हर लेवल पर ट्रोल का शिकार होना पड़ा, कुछ ये ही हालात अब नसीरुद्दीन शाह के साथ हैं.
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