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Netflix अधिकारियों ने RSS नेताओं से मुलाकात की बात को किया खारिज

हाल के दिनों में ऐसी भी चर्चा हो रही थी कि सरकार डिजीटल कंटेंट को सेंसर करने के की तैयारी में है

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ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स की टॉप अधिकारी सृष्टि बहल आर्या ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं से मुलाकात की बात को खारिज किया है. ऐसी ‘खबरें’ आ रही थीं कि संघ के नेताओं से ये मुलाकात ‘हिंदू विरोधी’ और ‘एंटी नेशनल’ कंटेंट पर रोक लगाने के लिए होगी.

ऐसी भी खबरें थी कि इस सिलसिले में संघ के नेता नेटफ्लिक्स के अलावा अमेजन प्राइम और बाकी के ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म से भी मीटिंग करने वाले हैं.

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नेटफ्लिक्स इंडिया में इंटरनेशनल ऑरिजनल फिल्म की डायरेक्टर सृष्टि बहल आर्या से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे ‘फेक न्यूज’ करार कर दिया.

मुंबई में हो रहे जिओ मामी फिल्म फेस्टिवल के एक पैनल डिस्कशन ‘आर्टिस्टिक फ्रीडम: मैपिंग आउट द एंटरटेनमेंट स्टोरी’ में सृष्टि बहल आर्या भी मौजूद थीं. इस मौके पर आर्या ने कहा, ‘‘ये सही खबर नहीं है. ऐसी कोई मीटिंग हुई ही नहीं है.’’

अमेजन प्राइम की इंडिया ऑरिजनल्स की हेड अपर्णा पुरोहित, सोना महापात्रा और शोभिता धुलिपाला भी इस पैनल डिस्कशन का हिस्सा थे.

बता दें कि हाल के दिनों में ऐसी भी चर्चा हो रही थी कि सरकार डिजिटल कंटेंट को सेंसर करने की तैयारी में है.

अपर्णा पुरोहित से पूछा गया कि क्या ऐसा करना कंपनियों के लिए नुकसानदायक होगा तो पुरोहित ने कहा, ‘हम हर वक्त कानून का पालन करते रहेंगे.’

‘‘कानून तो कानून ही है. ऐसा नहीं होता कि मैं आपको पसंद नहीं करती तो मैं आपको मार दूंगा. जो भी कानून होगा हम वैसे ही काम करेंगे और बाकी सब कहानियों और कंटेंट तैयार करने वालों पर निर्भर करता है कि वो क्या दिखाना चाहते हैं.’’ 
सृष्टि बहल आर्या (डायरेक्टर, इंटरनेशनल ऑरिजनल फिल्म्स-नेटफ्लिक्स इंडिया)
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हाल ही में अमेजन प्राइम की सीरीज में मेड इन हेवन में नजर आईं शोभिता धुलिपाला ने कहा, ‘‘जब भी कोई आवाज दबाई जाती है तब अन्याय के विरोध में कई सारी आवाजें बाहर निकलकर आती हैं.’’

‘‘कई सारी कहानियां अलग-अलग तरीकों से कही जाएंगी. पहले के जमाने में जो फिल्में बनीं उनमें आदमी और औरत के बीच अंतरंग सीन नहीं दिखाए जाते थे तो वो गाने और किसी दूसरे पलोंं में दिखाया जाता था क्योंकि वो सब नॉर्मल तरीके से नहीं दिखाए जा सकते थे.’’
शोभिता धुलिपाला

शोभिता के मुताबिक बाद में ऐसा भी हो सकता है कि फिल्मों में राजनीतिक बयान ज्यादा चालाकी के साथ कहे जाएंगे. जैसे कि अनुराग कश्यप की फिल्मों में दबी आवाज में वो सब होता है लेकिन सीधे किसी के मुंह पर नहीं कहा जाता. लेकिन दर्शक को सोचने पर मजबूर कर देता है.

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