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PM मोदी के रोने की तुलना मगरमच्छ से करने वाला NYT का आर्टिकल फेक

New York Times ने अपने शुक्रवार के एडिशन में न तो ये फोटो लगाई थी और न ही पीएम मोदी पर कोई स्टोरी की थी

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सोशल मीडिया पर 21 मई को पब्लिश 'The New York Times' के फ्रंट पेज की एक फोटो वायरल हो रही है. जिसे सोशल मीडिया पर शेयर कर दावा किया जा रहा है कि भारत की हालिया स्थिति को New York Times ने अच्छे तरीके से पेश किया है. इस वायरल फोटो में एक मगरमच्छ की फोटो देखी जा सकती है. जिसके ऊपर लिखा है, ''India’s PM cried.'' यानी इस वायरल स्क्रीनशॉट में ये दावा किया जा रहा है कि न्यू-यॉर्क टाइम्स ने पीएम मोदी के रोने की तुलना मगरमच्छ के आंसुओं से की है.

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ये फोटो ऐसे समय में शेयर की जा रही है जब शुक्रवार को पीएम मोदी ये कहते हुए भावुक हो गए थे कि कोविड 19 की दूसरी लहर ने हेल्थ सिस्टम को प्रेशर में डाल दिया है और हमें कई मोर्चों पर लड़ाई लड़नी है.

हालांकि, पड़ताल में वायरल हो रही पेपर की कटिंग एडिटेड निकली. हमने पाया कि वायरल फोटो में जहां पर आंसू बहाते मगरमच्छ की फोटो लगी हुई दिख रही है, ओरिजिनल एडिशन में वहां पर सीरिया के एक शहर की फोटो का इस्तेमाल किया गया था. जिसे एडिट कर मगरमच्छ की फोटो लगा दी गई है.

दावा

सोशल मीडिया पर कई यूजर्स इस कटिंग को शेयर कर रहे हैं. इस कटिंग में आंसू बहाते एक मगरमच्छ की फोटो लगी हुई है और हेडलाइन में लिखा हुआ है, ''India's PM cried''

(हिंदी अनुवाद- भारत के पीएम आंसू बहा रहे हैं)

एडवोकेट प्रशांत भूषण ने भी इस वायरल फोटो को कैप्शन में “Crocodile tears!” लिखकर ट्वीट किया था. हालांकि, इस ट्वीट को बाद में हटा लिया गया.

कई लोगों ने इस फोटो को फेसबुक और ट्विटर दोनों जगह शेयर किया है. इनका आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

क्विंट की WhatsApp टिपलाइन में भी इस फोटो से संबंधित एक क्वेरी आई है.

पड़ताल में हमने क्या पाया

जरूरी कीवर्ड इस्तेमाल करके, हमने पीएम नरेंद्र मोदी के रोने पर New York Times का आर्टिकल सर्च किया. हमें ऐसा कोई भी सर्च रिजल्ट नहीं मिला.

वायरल इमेज में जो तारीख दी हुई है वो है शुक्रवार, 21 मई. साथ ही, इसे इंटरनेशनल एडिशन के तौर पर शेयर किया जा रहा है. इसलिए, हमने NYT की ऑफिशियल वेबसाइट पर इसी तारीख का संबंधित एडिशन खोजा. हमने पाया कि वायरल फोटो में दिख रही मगरमच्छ की फोटो और पीएम मोदी पर की गई कोई स्टोरी, दोनों ही NYT के ऑफिशियल एडिशन पर कहीं भी नहीं है.

आप यहां दोनों के बीच तुलना देख सकते हैं.

न्यूजपेपर में लीड फोटो के साथ लिखा है, ''“There is no alternative. Solar energy is a blessing from God.” (कोई और विकल्प नहीं है. सौर ऊर्जा ईश्वर का वरदान है)

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ऑफिशियल एडिशन की लीड फोटो पर कैप्शन में लिखा है: “Solar panels in Binnish, Syria. People whose lives have been upended by 10 years of war have embraced solar power simply because it is the cheapest source of energy around.”

(हिंदी अनुवाद: "बिन्निश, सीरिया में सौर पैनल. जिन लोगों का जीवन 10 सालों के युद्ध से प्रभावित हुआ है, उन्होंने सौर ऊर्जा को केवल इसलिए अपनाया है क्योंकि यह ऊर्जा का सबसे सस्ता स्रोत है."

हालांकि, वायरल फोटो में बाकी की स्टोरी वही हैं जो NYT के ऑफिशियल एडिशन में हैं. इन्हें आप यहां देख सकते हैं.

हमने दोनों फोटो में दी गई तारीख के लिखने के तरीके को भी ध्यान से देखा और पाया कि दोनों में अंतर है. इसे आप नीचे देख सकते हैं.

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इसके अलावा, हमें ‘The Daily New York Times’ नाम का एक ट्विटर अकाउंट मिला. इस अकाउंट ने अपनी पहचान पैरोडी हैंडल के तौर पर की है. इसी ट्विटर अकाउंट से इस वायरल फोटो को ट्वीट किया गया था. हालांकि, बाद में खुद इस हैंडल ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है कि इसे गंभीरता से न लें, ये केवल एक व्यंग्य था.

मतलब साफ है कि New York Times के इंटरनेशनल एडिशन में न तो मगरमच्छ की फोटो लगाई गई है और न ही पीएम मोदी के रोने को लेकर कोई स्टोरी की गई है. फोटो को एडिट कर गलत दावा किया जा रहा है.

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