ADVERTISEMENTREMOVE AD

UP: इस गांव के आदिवासियों के पास नहीं है कोरोना वैक्सीन से जुड़ी जानकारी

उत्तर प्रदेश के वारी गांव के आदिवासी और ओबीसी परिवारों का कहना है कि वो वैक्सीनेशन अभियान के बारे में नहीं जानते

छोटा
मध्यम
बड़ा

वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

''पढ़े-लिखे लोग वैक्सीन लगवाते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाते, क्योंकि हमारे पास कोई जानकारी नहीं.''
जिलाजीत, मजदूर और दुकानदार

यूपी के भदोही जिले के कई ग्रामीणों ने इस बात की शिकायत की है कि गांव में उनके समुदाय में किसी को भी कोविड वैक्सीनेशन अभियान के बारे में कोई जानकारी नहीं है. 55 साल के जिलाजीत भी इन ग्रामीणों में से एक हैं, जो यही शिकायत करते हैं.

भदोही के वारी गांव में करीब 30 आदिवासी और ओबीसी परिवारों का कहना है कि कोविड के बारे में जानकारी देने के लिए, न तो आशा कार्यकर्ता ने उनसे मुलाकात की और न ही ग्राम प्रधान ने.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

गुड़िया कहती हैं, ''न तो आशा कार्यकर्ताओं ने और न ही किसी और ने हमें वैक्सीनेशन के बारे में कोई जानकारी दी है. हमने इसके बारे में नहीं सुना है और हम घर से बाहर नहीं निकलते.'' गुड़िया अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई हैं और एक छोटे से घर में अपने परिवार के 12 सदस्यों के साथ रहती हैं.

यहां रहने वाले लोगों ने रिपोर्टर को बताया कि ज्यादातर ग्रामीण दिहाड़ी मजदूर हैं. महामारी के बाद से उनका काम प्रभावित हुआ है, क्योंकि वो खुद को बचाने के लिए घर के अंदर ही रहते हैं.

''मुझे सुविधाओं से संबंधित सवाल क्यों नहीं पूछने चाहिए? आशा कार्यकर्ताओं को हमारे समुदाय के बीच आकर हमें जानकारी देनी चाहिए. उन्हें हमें शिक्षित करना चाहिए, ताकि हम आगे बढ़ सकें. अगर कोई सब्सिडी या अन्य सुविधा है, तो हमें इसके बारे में बताया जाना चाहिए. लेकिन, दुर्भाग्य से हमें कुछ भी नहीं मिल रहा है.''
जिलाजीत, मजदूर औप दुकानदार

जहां ये सभी परिवार उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं, वहीं आशा कार्यकर्ताओं और ग्राम प्रधान का दावा है कि बार-बार कोशिश करने के बावजूद, समुदाय हमारी बात नहीं मानता है.

हम थक चुके हैं, वो हमारी बात नहीं सुनते: आशा कार्यकर्ता

हमने दो आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कार्यकर्ताओं से बात की. उन्होंने बताया कि वो समुदाय के लोगों को समझा-समझा कर थक चुके हैं.

एक आशा कार्यकर्ता ने कहा कि ये लोग हमारी बात मानने से इनकार कर देते हैं.

''हम कई बार मुसहर समुदाय के बीच गए और उन्हें वैक्सीन से जुड़ी जानकारी बताई, लेकिन वे सुनते ही नहीं हैं. उन्हें लगता है कि वैक्सीन से उनकी मौत हो जाएगी. वो कहते हैं कि उन्हें राशन नहीं चाहिए. वो नहीं सुनते. हम थक गए हैं. एएनएम कार्यकर्ता, अधिकारी और ग्राम प्रधान उनसे बात करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वो किसी की भी नहीं सुनते. वो हमें देखकर अपने दरवाजे बंद कर लेते हैं.''
हंसा देवी, आशा कार्यकर्ता
ADVERTISEMENTREMOVE AD

ग्राम प्रधान विपिन सिंह का कहना है कि आधार कार्ड नहीं होने की वजह से भी लोग वैक्सीन लगवाने से मना कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ''यहां दो-तीन मुसहर समुदाय हैं और आशा कार्यकर्ता इन सबके पास गई हैं. यहां तक मैं भी वहां गया था और उनसे वैक्सीन लेने के लिए कहा था.''

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) गांव से तीन किमी दूर है. भदोही में 21 सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर हैं (CoWIN डैशबोर्ड में मिली जानकारी के मुताबिक). इसके अलावा वैक्सीनेशन से जुड़े अभियान अलग से भी आयोजित किए जाते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीनेशन की गति में सुधार करना ही इस महामारी से बचने का तरीका है. इसके लिए अलग-अलग समुदायों को आगे आकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है, ताकि स्थानीय स्तर पर वैक्सीन के प्रति झिझक और डर को दूर किया जा सके.

(रिपोर्टर: केशा देवी, वीडियो वॉलंटियर्स)

(ये स्टोरी क्विंट के कोविड-19 और वैक्सीन पर आधारित फैक्ट चेक प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×