देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास चल रहे किसानों के प्रदर्शन के बीच एक बुजुर्ग महिला की तस्वीर सोशल मीडिया पर इस गलत दावे के साथ शेयर की जा रही है कि वह शाहीन बाग प्रदर्शन में शामिल होने वाली बिलकिन बानो हैं. बता दें कि दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान बिलकिन बानो काफी चर्चा में रही थीं.
सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही तस्वीर के बारे में हमें पता चला है कि इसमें बिलकिस बानो नहीं हैं और यह तस्वीर किसानों के हालिया प्रदर्शन के दौरान की भी नहीं है.
दावा
सोशल मीडिया पर एक बुजुर्ग महिला की तस्वीर, जिनके सिर पर पीला स्कार्फ है, के साथ बिलकिस बानो की तस्वीर शेयर की जा रही है और उस महिला को बिलकिस बानो बताया जा रहा है.
बॉलीवुड एक्टर कंगना रनौत ने इसी तरह से ट्वीट करते हुए लिखा, ''हा हा हा यह वही दादी हैं जिनका नाम सबसे ताकतवर भारतीय होने के लिए टाइम मैगजीन में आया.... और यह 100 रुपये में उपलब्ध हैं.'' इसके अलावा कंगना ने लिखा कि ''हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे लिए बोलने को हमारे अपने लोगों की जरूरत है.'' हालांकि, बाद में कंगना ने अपना यह ट्वीट डिलीट कर दिया.
इस वायरल फोटो को गौरव प्रधान ने भी गलत दावे के साथ शेयर किया, जिनके ट्विटर पर 40,000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.
पीले स्कार्फ वाली बुजुर्ग महिला को बिलकिस बानो बताते हुए फेसबुक पर भी पोस्ट किए गए हैं.
हमें क्या पता चला?
क्विंट ने बिलकिस बानो के बेटे मंजूर अहमद से संपर्क किया, जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि वायरल तस्वीर में दिख रही महिला बानो नहीं हैं.
‘’तस्वीर में महिला वह (बानो) नहीं हैं, हम जल्द ही प्रदर्शन में शामिल होने की योजना बना रहे हैं, लेकिन वह अभी तक किसानों से मिलने नहीं गई हैं.’’मंजूर अहमद, बिलकिस बानो के बेटे
जब हमने पीले स्कार्फ वाली महिला की तस्वीर को रिवर्स सर्च किया तो हमें 13 अक्टूबर के कुछ रिजल्ट्स दिखे. यही तस्वीर 13 अक्टूबर को ''Sant Baba Jarnail Singh Ji Khalsa Bhindrawale'' नाम के फेसबुक पेज पर अपलोड की गई थी.
हमें ''मेरा गांव मेरा स्वाभिमान'' नाम के एक फेसबुक पेज पर भी यही तस्वीर दिखी, जिसे 13 अक्टूबर को ही पोस्ट किया गया था. इससे यह साफ हो गया कि यह तस्वीर हालिया प्रदर्शन की नहीं है.
तस्वीर में बुजुर्ग महिला जो झंडा पकड़े हुए दिख रही है, वो भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) का है. हमें इस संगठन के फेसबुक पेज पर दूसरे फोटो मिले, जिनमें महिलाएं उसी तरह का पीला स्कार्फ पहने हुई दिख रही हैं.
क्विंट तस्वीर में दिख रही पीले स्कार्फ वाली बुजुर्ग महिला की पहचान नहीं कर पाया, लेकिन यह साफ है कि सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों में दोनों महिलाएं एक नहीं हैं और किसानों के प्रदर्शन के बारे में गलत धारणा बनाने की कोशिश की जा रही है.
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