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कोरोना वैक्सीन में न गाय के बछड़े का सीरम होता है, न सुअर की चर्बी

covid vaccine में उपयोग होने वाली सामग्री को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार भ्रम फैलाए जा रहे हैं

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Coronavirus vaccine को लेकर किए जाने वाले झूठे दावों का सिलसिला जारी है. क्विंट की वेबकूफ टीम लगातार ऐसे भ्रामक दावों की पड़ताल कर रही है, जो इस जानलेवा वायरस के खिलाफ जंग को कमजोर करते हैं. वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर किए जाने वाले झूठे दावों जैसे कि पुरुषों की फर्टिलिटी कम होना , मैग्नेटिक पॉवर आ जाने का सच हम आपको बता चुके हैं. आज बताने जा रहे हैं वैक्सीन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री (Ingredients) को लेकर हो रहे दावों का सच.

कहीं दावा किया जा रहा है कि वैक्सीन के अंदर गाय के बछड़े का सीरम होता है, तो कहीं वैक्सीन में सुअर की चर्बी होने की बात कही जा रही है. जाहिर है ये ऐसे दावे हैं, जिनके चलते लोग वैक्सीन लेने से झिझक रहे हैं.

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दावा : कोरोना वैक्सीन में सुअर की चर्बी होती है?

पिछले साल से ही सोशल मीडिया पर ये दावा किया जा रहा है कि कोरोना वैक्सीन को स्टेबलाइज करने के लिए सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा है.

हमने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन कोविशील्ड में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की जानकारी के लिए इंस्टीट्यूट की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड की गई फैक्ट शीट चेक की. इस फैक्ट शीट में इंग्रिडिएंट्स की पूरी लिस्ट हमने देखी. लिस्ट में कहीं उल्लेख नहीं है कि वैक्सीन में सुअर की चर्बी या किसी भी जानवर की चर्बी का इस्तेमाल हुआ है.

भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन में इस्तेमाल होने वाली हर चीज की लिस्ट सार्वजनिक है. इस दस्तावेज में कहीं भी सुअर की चर्बी का जिक्र नहीं है.

पत्रकारों तक पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स द्वारा कोविड 19 से जुड़ी सूचनाएं पहुंचाने के लिए बनाए गए प्लेटफॉर्म HealthDesk पर दिसंबर 2020 में इस सवाल का जवाब दिया गया था. जिसमें बताया गया कि, फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन में सुअर की चर्बी होने का उल्लेख निर्माताओं द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों में नहीं है.

क्विंट की वेबकूफ टीम ने साल 2020 में भी इस दावे की पड़ताल की थी. पड़ताल में सामने आया था कि फाइजर, मॉडर्ना, एस्ट्राजेनेका और भारत में निर्मित कोवैक्सीन में सुअर की चर्बी होने वाली बात केवल अफवाह है.

ऐसी कोई विश्वसनीय रिपोर्ट हमें नहीं मिली जिससे पुष्टि होती हो कि कोविड वैक्सीन में सुअर की चर्बी होती है.

दावा : कोवैक्सीन में गाय के बछड़े का सीरम होता है?

सोशल मीडिया पर किया जा रहा अगला दावा है कि भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन में गाय के बछड़े का सीरम होता है. <

दावे से जुड़े कीवर्ड सर्च करने पर हमें इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर 16 जून 2021 को पब्लिश हुआ एक आर्टिकल मिला. इसके मुताबिक, केंद्र सरकार ने गाय के बछड़े के सीरम को कोरोना वैक्सीन में इस्तेमाल किए जाने वाले दावे को फेक बताया है.

क्विंट की वेबकूफ टीम इस दावे की पड़ताल कर चुकी है. पड़ताल में सामने आया था कि कोवैक्सीन में गाय के बछड़े का सीरम होने का दावा भ्रामक है.

दरअसल, कोवैक्सीन को डेवलप करने से पहले Vero CCL-81 सेल्स को लैब में विकसित करना होता है. इन सेल्स को शरीर से बाहर विकसित होने के लिए पर्याप्त पोषक तत्व की जरूरत होती है, जिसके लिए Dulbecco’s Modified Eagle Medium (DMEM) लगाया जाता है, इसमें 5-10% गाय के बछड़े का सीरम भी होता है. लेकिन, बाद में इन सेल्स को केमिकल के जरिए पूरी तरह साफ किया जाता है, जिससे गाय का सीरम इसमें बचा न रह जाए. गौर करने वाली बात ये है कि गाय के बछड़े का सीरम वैक्सीन के फाइनल प्रोडक्ट में नहीं होता.

कोवैक्सीन की फैक्ट शीट में इंग्रिडिएंट्स के बार में बताया गया है. कहीं भी बछड़े के सीरम का उल्लेख नहीं है. साफ है कि सीरम वैक्सीन विकसित होने की शुरुआती प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन वैक्सीन के अंदर सीरम नहीं होता.

ICMR के सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च इन वायरोलॉजी के प्रमुख रह चुके डॉ. जैकब टी जॉन ने भी क्विंट से बातचीत में कहा कि फाइनल वैक्सीन में बछड़े का सीरम नहीं होता.

मुझे नहीं लगता कि फाइनल प्रोडक्ट (वैक्सीन) में कोई भी सीरम होता है. क्योंकि वैक्सीन में सीरम से होने वाली किसी भी तरह की एलर्जी जैसा रिस्क नहीं लिया जा सकता. यही वजह है कि उसे साफ करना होता है. अंतिम प्रक्रिया तक कोई सीरम नहीं रहता.
डॉ. जैकब टी जॉन, वायरोलॉजिस्ट

सीरम लेने के लिए गाय के बछड़े को मारा नहीं जाता 

ICMR के सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च इन वायरोलॉजी के प्रमुख रह चुके डॉ. जैकब टी जॉन ने क्विंट से बातचीत में बताया था कि सेल्स को डेवलप करने के लिए उपयोग होने वाला सीरम उस नए जन्मे बछड़े से लिया जाता है, जिसने एक बार भी गाय का दूध नहीं पिया हो. क्योंकि इस सीरम में कोई भी एंटीबॉडी नहीं होनी चाहिए. इस प्रक्रिया के बाद बछड़े को पाला जा सकता है. ये बात और है कि बछड़े कई किसानों के किसी काम के नहीं माने जाते, इसलिए उन्हें स्लॉटर कर दिया जाता है. लेकिन, सीरम निकालने के लिए बछड़े को नहीं मारा जाता.

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का वह ट्वीट भी हमें मिला. जिसमें स्पष्ट किया गया है कि कोवेक्सीन में गाय के बछड़े का सीरम इस्तेमाल होने वाला दावा भ्रामक है.

मतलब साफ है - ये दावा झूठा है कि कोविड वैक्सीन के अंदर सुअर की चर्बी होती है.

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