प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने संसद में दिए अपने धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए कांग्रेस और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) पर निशाना साधते हुए कुछ टिप्पणियां कीं.
पीएम मोदी ने लोकसभा में दावा किया कि नेहरू को लगता था कि भारतीय लोग आलसी हैं. मोदी ने आगे कहा कि नेहरू ने ये बात 1959 में स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में कही थी.
इसके बाद प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में नेहरू की तरफ से उस वक्त के मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र का हवाला दिया. दावा किया कि नेहरू पर ने इस पत्र में आरक्षण विरोधी बातें कही थीं. क्या नेहरू ने सचमुच ऐसा कुछ कहा था?
पीएम मोदी ने क्या कहा ? : लोकसभा में दिए अपने भाषण में उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी लोगों की क्षणताओं पर भरोसा नहीं किया. उन्होंने हमेशा खुद को शासक समझा और जनता को कम कर के आंका.
अपने बयान को और पुख्ता करने के लिए पीएम मोदी ने नेहरू के एक भाषण का हवाला दिया जो उन्होंने 1959 में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिया था.
''हिंदुस्तान में लोगों को काफी मेहनत करने की आदत आमतौर पर नहीं है, हम इतना काम नहीं करते जितना यूरोप, जापान, चीन, रुस और अमेरिका वाले करते हैं. यह न समझिए कि वो कौमें कोई जादू से खुशहाल हो गईं, वो मेहनत से और अक्ल से हुई हैं. ''
इस बयान का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि नेहरू को लगता था कि भारतीय आलसी होते हैं.
टीम वेबकूफ ने पीएम मोदी के भाषण और नेहरू के असली बयान की तुलना कर ये पता लगाया कि क्या नेहरू ने ये बातें उसी संदर्भ में कहीं थीं जिनमें उन्हें आज कहा जा रहा है ?
नेहरू ने असल में 1959 में क्या कहा था ? : हमने प्रसार भारती अर्काइव्स के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया नेहरू का 1959 का भाषण मिला.
वीडियो में 11:20 मिनट पर नेहरू ने कहा था
''मुल्क दुनिया के खुशहाल हैं बाज़ (कुछ), तो बाज़ गरीब. खुशहाल मुल्कों को आप देखिए, कैसे हुए हैं वो ? मेहनत से और परिश्रम से. चाहे यूरोप के, चाहे अमेरिका के, चाहे एशिया के ऐसे जो खुशहाल हों, सबों के पीछे मेहनत है, दिन रात की मेहनत है और एकता है. दो चीजों ने उनको बढ़ाया, बगैर इसके कोई नहीं बढ़ सकता. हमारे यहां हिंदुस्तान में काफी मेहनत करने की आदत अभी आमतौर से नहीं हुई है. हमारा कुसूर नहीं, आदतें ऐसी पड़ जाती हैं वाकयात से. लेकिन बात ये है कि हम उतना काम नहीं करते जितना कि यूरोप वाले या जापान वाले या चीन वाले, अमेरिका वाले करते हैं. ये न समझिए कि वो कौमें जादू से खुशहाल हो गईं. मेहनत से और अक्लमंदी से हुई हैं. तो हम भी मेहनत और अक्ल से बढ़ सकते हैं, कोई चारा नहीं, कोई जादू से हम नहीं बढ़ सकते. क्योंकि दुनिया चलती है, इंसान के काम से. इंसान की मेहनत से सारी दौलत पैदा होती है. ''
क्या नेहरू आरक्षण के खिलाफ थे ?
पीएम मोदी का बयान : कांग्रेस पर जातिवाद का मुद्दा उठाने को लेकर निशाना साधते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि विपक्षी पार्टी दलित, पिछड़ा वर्ग और आदिवासियों की सबसे बड़ी दुश्मन है.
इस आरोप को और मजबूत दिखाने के लिए पीएम मोदी ने राज्य सभा में नेहरू की तरफ से मुख्यमंत्रियों को लिखे गए पत्र का जिक्र किया. मोदी ने कहा कि पत्र में नेहरू ने लिखा था.
''मैं किसी भी आरक्षण को पसंद नहीं करता. और खासकर नौकरी में आरक्षण तो कतई नहीं. मैं ऐसे किसी भी कदम के खिलाफ हूं,. जो अकुशलता को बढ़ावा दे, जो दोयम दर्जे की तरफ ले जाए.''
नेहरू ने असल में क्या कहा ? : टीम वेबकूफ को Way Back Machine पर एक किताब का अर्काइव मिला जिसका नाम था Letters For A Nation: From Jawaharlal Nehru To His Chief Ministers .
27 जून 1961 के पत्र में उन्होंने जो लिखा था उसका हिंदी अनुवाद कुछ यूं होगा ''राष्ट्रीय एकता पर विचार करने के लिए हमारी यहां हुई बैठक में, जिसमें मुख्यमंत्री मौजूद थे, यह तय हुआ कि मदद आर्थिक आधार पर दी जानी चाहिए, न कि जाति के आधार पर.''
नेहरू ने आगे लिखा
"यह सच है कि हम अनुसूचित जातियों और जनजातियों की मदद करने के बारे में कुछ नियमों और परंपराओं से बंधे हैं. वे मदद के हकदार हैं, लेकिन फिर भी, मैं विशेष रूप से सेवाओं में किसी भी प्रकार के आरक्षण को नापसंद करता हूं. मैं ऐसी किसी भी चीज के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करता हूं जो अक्षमता की ओर ले जाती है और दोयम दर्जे के मानक हैं. मैं चाहता हूं कि मेरा देश हर चीज में प्रथम श्रेणी का देश बने. जिस पल हम दूसरे दर्जे को प्रोत्साहित करते हैं, हम खो जाते हैं."
नेहरू ने कहा कि पिछड़े समूहों की मदद करने का असली तरीका अच्छी शिक्षा के अवसर प्रदान करना है जिसमें तकनीकी शिक्षा भी शामिल है. उन्होंने कहा कि सरकार ने दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं - सार्वभौमिक मुफ्त प्रारंभिक शिक्षा और बहुत व्यापक पैमाने पर छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप).
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