सोमवार 1 अप्रैल को महाराष्ट्र के वर्धा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये दावा किया कि कांग्रेस पार्टी ने 'हिंदू आतंकवाद' शब्द को जन्म दिया है. उन्होंने ये भी कहा कि कोई भी हिंदू कभी भी आतंकी गतिविधियों से जुड़ा नहीं पाया गया है. पीएम मोदी ने हाल ही में समझौता एक्सप्रेस केस से बरी हुए आरोपियों की ओर संकेत करते हुए ये बातें कहीं.
पीएम मोदी ने कहा, ‘’ कांग्रेस देश के करोड़ों लोगों को हिंदू आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल कर कलंकित कर देना चाहती है, आप मुझे बताइए कि क्या आप हिंदू आतंकवाद शब्द से दुखी नहीं हुए थे? क्या इतिहास में कोई भी घटना ऐसी है जिसमें कोई हिंदू आतंक की गतिविधियों में संलिप्त हुआ हो?’’
स्वामी असीमानंद, समझौता एक्सप्रेस केस में आरोपी, बरी होने की वजह- ‘सबूतों का न होना’
20 मार्च 2019 को एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में फैसला सुनाया. इस फैसले में स्वामी असीमानंद सहित सभी चारों आरोपी बरी हो गए. इस केस की सुनवाई कर रहे जज ने फैसला सुनाते वक्त कहा, ''मुझे पीड़ा है.''
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एनआईए कोर्ट के जज ने जांच कर रही एजेंसी पर भड़कते हुए कहा कि सबूतों को पेश नहीं किया गया.
बल्कि जज ने 160 पेज के ऑर्डर में कहा, ''प्रॉसिक्यूशन के पेश किए गए सबूतों में गैपिंग होल्स हैं और एक आतंकी घटना अनसुलझी रह गई. आतंक का कोई धर्म नहीं होता क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा नहीं सिखाता. कोर्ट की प्रक्रिया मौजूदा राजनीतिक माहौल के हिसाब से नहीं चलती. लेकिन केस के दौरान पेश किए गए सबूतों को ध्यान में रखते हुए इस नतीजे पर पहुंची है.''
2011 में एनआईए की चार्जशीट में ये दर्ज था कि स्वामी असीमानंद और सुनील जोशी के बीच मीटिंग हुई थी. सुनील जोशी की साल 2007 में ही मौत हो गई थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये मीटिंग वाराणसी में साल 2005 में हुई थी और स्वामी असीमानंद ने मुस्लिम धार्मिक स्थलों पर हमला कर हिंदू धार्मिक स्थलों पर हुए हमलों का बदला लेने की बात कही थी.
इसके बाद साल 2007 और 2008 में मक्का मस्जिद और अजमेर दरगाह शरीफ में बम धमाके हुए थे. अजमेर धमाके में पहली बार कोई आरएसएस से जुड़ा संदिग्ध आतंकी घटना में पकड़ा गया.
वहीं, दूसरी ओर सीआईए, दक्षिणपंथी संगठन बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद को धार्मिक उग्रवादी संगठन करार दे चुका है.
किसने गढ़ा था 'हिंदू आतंकवाद' शब्द?
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने ये शब्द गढ़ा है. उन्होंने पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के 2013 के एक बयान का हवाला दिया, उस वक्त शिंदे ने बीजेपी और आरएसएस को ‘हिंदू आतंकवाद’ को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार कहा था. हालांकि पीएम मोदी ये भूल गए कि मौजूदा ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने उस वक्त शिंदे के बयान का समर्थन किया था. जबकि कांग्रेस ने इस बयान से किनारा किया था.
लेखिका ऑड्री ट्रुश्के का यह है दावा
इस मामले पर लेखिका ऑड्री ट्रुश्के ने ट्वीट कर कहा, ''औपनिवेशिक काल में कई हिंदुओं ने अंग्रेजों के खिलाफ आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया था. इसके लिए दुर्बा घोष की किताब 'जेंटलमेनली टेररिस्ट' पढ़िए.'' इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''शायद भारत के इतिहास में आतंक की एक बड़ी विख्यात घटना तब हुई थी, जब नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी. जो भी भारत के इतिहास के बारे में कुछ भी जानता है, उसे पता है कि एक हिंदू ने गांधी को गोली मारी थी. मोदी को भी यह पता है.''
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