रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी और नीता अंबानी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक फोटो सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ वायरल हो गई है कि पीएम अंबानी के पोते से मिलने अस्पताल पहुंचे.
हालांकि, हमने पाया कि ये 2014 की एक फोटो का मिरर्ड वर्जन है, जब पीएम मोदी ने मुंबई में एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल का उद्घाटन किया था.
दावा
इस फोटो का इस्तेमाल पीएम मोदी पर निशाना साधने के लिए किया जा रहा है कि किसानों से मिलने कि बजाय वो अंबानी के पोते से मिलने पहुंचे. यूजर्स ने फोटो शेयर कर लिखा: "हे साहब! अम्बानी के नवासे को देखने आप हॉस्पिटल पहुंच गये, लेकिन पोषक(अन्नदाता) से मिलने की ज़हमत तक नहीं की, जो 17 दिन से ऐसी ठंड और बरसात में खुले आसमान के नीचे बैठे हैं? इतनी निष्ठुरता क्यूं???"
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने ट्विटर और फेसबुक पर इसी दावे के साथ फोटो शेयर की.
हमने जांच में क्या पाया?
हमने गूगल पर 'मोदी अंबानी अस्पताल' कीवर्ड से सर्च किया, जिसके बाद हमें पीएम नरेंद्र मोदी, मुकेश अंबानी और नीता अंबानी की उन्हीं कपड़ों में कई तस्वीरें मिलीं.
सर्च की मदद से, हमें फाइनेंशियल एक्सप्रेस का 2014 में पब्लिश हुआ एक आर्टिकल मिला, जिसका टाइटल था: ‘PM Narendra Modi at inauguration of HN Reliance Foundation Hospital.’
ट्रांसलेशन: 'एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल के उद्घाटन में पीएम नरेंद्र मोदी'
आर्टिकल में कई तस्वीरें हैं, जिसमें से एक वायरल तस्वीर से काफी मिलती-जुलती है. फोटो का क्रेडिट न्यूज एजेंसी PTI को दिया गया है और लिखा है कि मुंबई में एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल के उद्घाटन में अंबानी, पीएम मोदी का वेलकम कर रहे हैं.
वायरल तस्वीर और 2014 की फोटो की तुलना करने पर, हमें दोनों में कई समानताएं दिखीं. दोनों तस्वीरों में पीएम मोदी, मुकेश और नीता अंबानी और अस्पताल के स्टाफ, सभी के कपड़े एक जैसे हैं.
हमने ये भी देखा कि दोनों तस्वीरों में सभी के हैंड मूवमेंट एक जैसे हैं, बस फर्क ये है कि वायरल फोटो, 2014 की मिरर इमेज है.
अगर आप ध्यान से देखेंगे, तो पाएंगे कि नीता अंबानी पीएम मोदी के दाईं ओर खड़ी हैं. वहीं 2014 की फोटो में, वो पीएम मोदी के बाईं ओर खड़ी हैं.
इस इवेंट की तस्वीरें और फुटेज नरेंद्र मोदी की ऑफिशियल वेबसाइट और उनके यूट्यूब चैनल पर भी अपलोड किया गया था.
मुकेश और नीता अंबानी के पोते के जन्म की खबर 10 दिसंबर को सामने आई थी. वहीं, ये तस्वीरें साल 2014 की हैं. इससे साबित होता है कि पुरानी तस्वीरों के जरिए सोशल मीडिया पर गलत दावे किए जा रहे हैं.
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