वीडियो एडिटर - अभिषेक शर्मा
इलस्ट्रेशन - अरूप मिश्रा
अफवाहें और गलत जानकारी फैक्ट चेक (Fact Check) की तुलना में बहुत तेजी से फैलती हैं. ऐसे में फैक्ट चेकर्स पहली से चली आ रही धारणाओं और पूर्वाग्रहों पर नजर रखते हैं और अफवाहें फैलने से रोकने की कोशिश करते हैं.
गलत सूचनाओं के खिलाफ वैक्सीन है प्री-बंकिंग
सोचिए जरा अगर किसी फेक न्यूज (Fake News) के फैलने से पहले ही उसे रोकने की कोशिश की जाए तो कितना फायदेमंद होगा? लोगों को पहले से ही आगाह कर दिया जाएगा तो वो फेक न्यूज फैलाने से बच जाएंगे.
फेक न्यूज तब सबसे ज्यादा फैलती है जब कोई बड़ा हेल्थ क्राइसिस हो या फिर प्राकृतिक आपदा आई हो. या कोई बड़ी राजनीतिक घटना हुई हो. ऐसे में फैक्ट चेकर्स को अंदाजा होता है कि कैसी अफवाहें फैल सकती हैं.
कैसे काम करती है प्री-बंकिंग?
प्री-बंकिंग यानी गलत सूचनाओं के फैलने से पहले दी गई सही जानकारी कुछ इस तरह से लिखी जाती है कि वो लोगों की चिंता और डर को दूर करती है. और जानकारी की कमी भी पूरी करती है. जब लोगों के पास सही जानकारी होती है तो वो गलत जानकारी पर सवाल उठाते हैं. फैक्ट चेकर्स और पत्रकार प्रीबंक को ऐसे पेश करते हैं.
चुनावों से पहले, किसी राजनीतिक पार्टी के पिछले प्रदर्शन से जुड़ी जानकारी वाली डेटा स्टोरी. अगर कोई नेता गलत सूचना फैलाता है तो इन स्टोरीज की मदद से उससे लड़ने में मदद मिलती है.
गलत जानकारी फैलाने वाले सोर्स के बारे में नियमित रूप से बताते हैं. जिससे लोग ज्यादा जागरूक बनते हैं.
ऐसी अफवाहों और मिथ को दूर करते हैं, जो बार-बार फैलते रहते हैं. जैसेकि हेल्थ क्राइसिस के दौरान
उन तरीकों के बारे में जागरूक करते हैं जिनका इस्तेमाल कर लोगों को गलत नैरेटिव के जाल में फंसाया जाता है.
(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं)
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