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RG कर केस से जुड़ी FAKE NEWS फैलाने का जरिया बना इंस्टाग्राम का ये फीचर

इंस्टाग्राम यूजर्स, कोलकाता रेप केस के बारे में ऐसी जानकारी शेयर करने के लिए इंस्टाग्राम के स्टोरी टेम्पलेट फीचर का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, जो वेरिफाइड नहीं है.

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कुछ महीने पहले, इंस्टाग्राम पर "All Eyes on Rafah" स्टोरी टेम्पलेट ने उस समय तूफान सा ला दिया था, जब लाखों यूजर्स ने उस दौरान मेटा कंपनी द्वारा लगाए गए सेंसरशिप और रोक को दरकिनार करने के लिए इसे अपनी स्टोरी के रूप में शेयर किया था.

कुछ महीने बाद, अगस्त में, हमने नोटिस किया कि इंस्टाग्राम पर इस फीचर का इस्तेमाल फिर से बढ़ गया है, लेकिन इस बार इसका इस्तेमाल गलत कारणों से किया जा रहा था - फेक और भ्रामक जानकारी फैलाने के लिए.

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9 अगस्त की सुबह, कोलकाता के RG कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी कर रही एक 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर का रेप और हत्या कर दी गई.

उसका शव पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के सेमिनार हॉल में सुबह मिला, जहां वो कथित तौर पर अपनी 36 घंटे की शिफ्ट के दौरान थोड़ा आराम करने गई थी.

इस घटना के बाद, सोशल मीडिया यूजर्स ने युवा डॉक्टर के रेप और हत्या के बारे में गलत सूचना, कॉन्सपिरेसी थ्योरी और कई अन्य दावों को फैलाने के लिए इंस्टाग्राम टेम्पलेट्स बनाए और उन्हें शेयर किया.

इस घटना के बाद, सोशल मीडिया यूजर्स ने युवा डॉक्टर के रेप और हत्या के बारे में गलत सूचना, कॉन्सपिरेसी थ्योरी और कई अन्य अनवेरिफाईड दावों को फैलाने के लिए इंस्टाग्राम टेम्पलेट्स बनाए और उन्हें शेयर किया.

हमने इंटरनेट फ्रीडॉम फाउंडेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, प्रतीक वाघरे से बात की, जिन्होंने कहा कि इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि इस मामले पर बहुत सी अधूरी जानकारी है, और यही कारण है कि लो-क्वालिटी वाली जानकारी इस कमी को पूरा कर रही है.

साल 2021 में लॉन्च हुए इस फीचर को वायरल होने के मकसद से ही डिजाइन किया गया था. "ऑल आइज ऑन राफा" टेम्प्लेट को 4.4 करोड़ से ज्यादा अकाउंट्स ने शेयर किया था. गलत और भ्रामक जानकारी के वायरल होने की कोई सीमा नहीं है, और जैसा कि उम्मीद थी, RG कर मामले पर ये स्टोरी टेम्प्लेट्स काफी ज्यादा वायरल हो रही हैं, जिनमें से कुछ टेम्प्लेट्स को लाखों बार शेयर किया गया है.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फीचर्स के बारे में बात करते हुए, वाघरे ने जोर देकर कहा कि "वायरल होना" भी अब एक फीचर है और इस स्टोरी टेम्प्लेट का अब गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, जो झूठी या अनवेरिफाईड जानकारी का साधन बन कर गया है.

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क्या है इंस्टाग्राम स्टोरी टेम्प्लेट?

इंस्टाग्राम ने साल 2021 में 'Add Yours' स्टिकर के टेम्पलेट को लॉन्च किया था. ये फीचर लोगों को एक पब्लिक स्टोरी थ्रेड में शामिल होने का मौका देता है.

हाल ही में प्लेटफॉर्म ने इस फीचर को अपग्रेड किया, जिसके बाद यूजर्स स्टोरी में GIFs, टेक्स्ट और इमेज भी जोड़ सकते हैं, जो प्रतिक्रिया के लिए एक टेम्पलेट बन सकता है.

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इंस्टाग्राम स्टोरी टेम्प्लेट पर फेक खबरें

केस 1:

एक बेहद वायरल स्टोरी टेम्प्लेट जिसे (इस स्टोरी को लिखे जाने तक) 6 लाख से ज्यादा बार शेयर किया गया था, में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल की बर्धवान यूनिवर्सिटी की अंकिता बाउरी नाम की स्टूडेंट का कथित तौर पर रेप किया गया और उसकी हत्या कर दी गई.

दावे में आगे कहा गया है कि ये घटना हाल ही की है, और ये मामला तब हुआ जब वो कोलकाता रेप केस की पीड़िता के लिए आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के बाद घर लौट रही थी.

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ये दावा झूठा है. हमें 'अंकिता बाउरी' नाम से रेप-मर्डर केस से जुड़ी कोई विश्वसनीय जानकारी या न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली.

  • हमने पूर्वी बर्धमान जिला पुलिस का आधिकारिक फेसबुक अकाउंट चेक किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि ये वायरल दावा झूठा है.

  • पुलिस ने साफ किया है कि बर्धमान में अंकिता बाउरी नाम की किसी लड़की के साथ रेप और मर्डर का कोई मामला सामने नहीं आया है.

  • दूसरे सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये, हमे पता लगा कि वायरल दावे में पीड़िता का नाम बदल दिया गया है, और इसका कोलकाता केस से कोई संबंध नहीं है.

  • इससे संकेत लेते हुए, हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च किया, जिससे हमें 17 अगस्त की द टेलीग्राफ और द स्टेट्समैन की रिपोर्ट्स मिलीं.

  • इन रिपोर्ट्स के मुताबिक, नांदुर गांव में एक आदिवासी छात्रा का शव मिला था, जिसकी गला रेतकर हत्या की गई थी (जैसा कि वायरल दावे में बताया गया है).

  • हालांकि, पूर्वी बर्धमान पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर स्पष्ट किया कि पीड़िता का रेप नहीं हुआ था.

  • हमने बर्धमान पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर से भी संपर्क किया, जिन्होंने वायरल दावों का खंडन किया और कहा कि अंकिता बाउरी नाम की किसी लड़की के लिए न ही कोई शिकायत मिली है और न ही कोई शिकायत दर्ज की गई है.

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केस 2:

तीन तस्वीरों का एक कोलाज, जिसमें खून से लथपथ एक शख्स ने अपने हाथ में कटा हुआ सिर पकड़ा हुआ है, इंस्टाग्राम के स्टोरी टेम्प्लेट्स पर वायरल हो रहा है. इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि चेन्नई में एक शख्स ने अपनी बहन का रेप करने वाले आदमी का सिर धड़ से अलग कर दिया.

इस खबर को लिखे जाने तक, इस टेम्प्लेट को 8 लाख से ज्यादा अकाउंट्स शेयर कर चुके थे.

लेकिन ये सच नहीं है. ये रहे फैक्ट्स:

  • तस्वीर पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें न्यूज18टाइम्स ऑफ इंडियाहिंदुस्तान टाइम्स और द न्यूज मिनट के कई पुराने आर्टिकल्स मिले.

  • इस फोटो में दिख रहे शख्स ने अपने दोस्त का सिर काट दिया था, क्योंकि वो उसकी मां के बारे में गलत बातें बोल रहा था, जिससे दोनों में लड़ाई शुरू हो गई थी.

  • ये घटना 29 सितंबर 2018 को कर्नाटक के मांड्या जिले में हुई थी, और इसका चेन्नई या रेप केस से कोई लेना-देना नहीं है.

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केस 3:

एक और तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें दावा किया गया है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में संजय नाम के एक शख्स ने 14 साल की एक लड़की का रेप किया. तस्वीर में शव सफेद कपड़े में लिपटा हुआ दिख रहा है.

इसमें ये भी दावा किया गया है कि उसके स्तन काट दिए गए थे, और उसके "निजी अंग पर 50 से ज्यादा चोटें" लगी थीं.

इस स्टोरी को लिखे जाने तक, इस टेम्पलेट को 59 हजार से ज्यादा अकाउंट पर शेयर किया जा चुका था.

हालांकि, ये दावा भ्रामक है.

हमने बिहार के एक रिपोर्टर, महिप राज से संपर्क किया, जिन्होंने पुष्टि की कि ये तस्वीर बिहार से ही है, और इसमें एक नाबालिग दलित लड़की को दिखाया गया है, जिसकी बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक गांव में 12 अगस्त को हत्या कर दी गई थी.

उन्होंने हमें बिहार के एसएसपी राकेश कुमार की बाइट्स भी भेजीं, जिसमें उन्होंने साफ किया है कि नाबालिग लड़की के गैंगरेप की खबर गलत है. उन्होंने बताया कि पारू पुलिस द्वारा तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, और मुख्य आरोपी की पहचान संजय राय के रूप में हुई है.

ध्यान देने वाली बात: ये ध्यान रखना जरूरी है कि मुख्य आरोपी संजय रॉय, जिसे ट्रेनी डॉक्टर के कथित रेप और हत्या के लिए कोलकाता पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है, वो बिहार मामले का आरोपी संजय राय नहीं है.

वायरल दावे में हमले की जो जानकारी दी गई है, वो भी झूठी है. बिहार के एसएसपी राकेश कुमार के मुताबिक, पीड़िता के शरीर पर तीन बड़ी चोटें थीं, न कि 50, जैसा कि दावे में कहा गया है.

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केस 3:

एक और तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें दावा किया गया है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में संजय नाम के एक शख्स ने 14 साल की एक लड़की का रेप किया. तस्वीर में शव सफेद कपड़े में लिपटा हुआ दिख रहा है.

इसमें ये भी दावा किया गया है कि उसके स्तन काट दिए गए थे, और उसके "निजी अंग पर 50 से ज्यादा चोटें" लगी थीं.

इस स्टोरी को लिखे जाने तक, इस टेम्पलेट को 59 हजार से ज्यादा अकाउंट पर शेयर किया जा चुका था.

हालांकि, ये दावा भ्रामक है.

हमने बिहार के एक रिपोर्टर, महिप राज से संपर्क किया, जिन्होंने पुष्टि की कि ये तस्वीर बिहार से ही है, और इसमें एक नाबालिग दलित लड़की को दिखाया गया है, जिसकी बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक गांव में 12 अगस्त को हत्या कर दी गई थी.

उन्होंने हमें बिहार के एसएसपी राकेश कुमार की बाइट्स भी भेजीं, जिसमें उन्होंने साफ किया है कि नाबालिग लड़की के गैंगरेप की खबर गलत है. उन्होंने बताया कि पारू पुलिस द्वारा तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, और मुख्य आरोपी की पहचान संजय राय के रूप में हुई है.

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ध्यान देने वाली बात: ये ध्यान रखना जरूरी है कि मुख्य आरोपी संजय रॉय, जिसे ट्रेनी डॉक्टर के कथित रेप और हत्या के लिए कोलकाता पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है, वो बिहार मामले का आरोपी संजय राय नहीं है.

वायरल दावे में हमले की जो जानकारी दी गई है, वो भी झूठी है. बिहार के एसएसपी राकेश कुमार के मुताबिक, पीड़िता के शरीर पर तीन बड़ी चोटें थीं, न कि 50, जैसा कि दावे में कहा गया है.

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केस 4:

एक और वायरल टेम्प्लेट में दावा किया गया कि पॉर्न वेबसाइट पर ट्रेंडिंग सर्च में कोलकाता रेप केस की पीड़िता का नाम भी शामिल है.

इस टेम्प्लेट को एक यूजर ने बनाया था, जिसने कोलकाता केस से जुड़े कई दूसरे टेम्प्लेट्स भी बनाए थे. अकाउंट को एक नजर देखने पर यूजर के बारे में इससे ज्यादा कुछ मालूम नहीं चला कि वो लगभग रोज ही शायरी पोस्ट करता है. यूजर के हालांकि 1,600 ही फॉलोअर्स हैं, लेकिन उसके द्वारा बनाए गए एक टेम्प्लेट को 19 अगस्त तक, 1,36,000 से ज्यादा बार शेयर किया गया.

किन यहां कुछ बातों पर गौर किया जाना चाहिए.

हमने देखा कि ये स्क्रीनशॉट 15 से 16 अगस्त 2024 को गूगल ट्रेंडस का है, जहां इंटरनेट यूजर्स के सर्च के डेटा को दिखाया जाता है.

  • तो इससे साफ है कि ये स्क्रीनशॉट किसी भी पॉर्न साइट पर कोलकाता केस से संबंधित कोई ट्रेंड नहीं दिखाता है.

  • हम स्क्रीनशॉट में पीड़िता के नाम को छिपा रहे हैं, लेकिन दावे में और गूगल ट्रेंड पर हमारे फॉलो-अप में, पीड़िता का नाम शामिल किया गया था - 'पीड़िता वीडियो कोलकाता' और 'पीड़िता रेप वीडियो'.

  • ये साफ नहीं है कि स्टोरी टेम्प्लेट को कई बार शेयर किए जाने से इंस्टाग्राम यूजर का एंगेजमेंट या फॉलोअर्स बढ़ते हैं या नहीं.

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'स्टोरी' पर फेक न्यूज शेयर होने पर क्या करें?

प्रतीक वाघरे का कहना है कि किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके फीचर का गलत इस्तेमाल रोकने के लिए उन्हें डिजाइन के हर लेवल पर काम करना चाहिए, लेकिन इसे रोकने की जिम्मेदारी यूजर्स पर भी है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी जानकारी शेयर करने से पहले उसको वेरिफाई करना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा, "लोग साफतौर पर प्लेटफॉर्म पर ज्यादा से ज्यादा एंगेजमेंट चाहते हैं. इसलिए ऐसा नहीं है कि आपको कुछ कहना ही नहीं चाहिए, लेकिन जब आप किसी मुद्दे के बारे में बात कर रहे हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि जानकारी वेरिफाई की हुई हो या दूसरे इसका कोई अलग मतलब न निकाल लें."

मेटा कंपनी के किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अगर कुछ स्टोरी में शेयर किया जाता है, तो वो 24 घंटे बाद अपने आप हट जाता है.

कई यूजर्स की स्टोरीज पर काफी ज्यादा व्यूअरशिप आती है. 'Add Yours' टेम्प्लेट जैसे फीचर्स के आने के बाद, यूजर्स के लिए कंटेट को शेयर करना और उसका वायरल होना और भी आसान हो गया है.

हाल ही में, जब बांग्लादेश में हिंसा भड़क रही थी, तब कई भ्रामक और गलत जानकारी, पोस्ट, रील और स्टोरी के रूप में फैल रही थीं. तो स्टोरी पर फेक खबरों का शेयर किया जाना कोई नयी बात नहीं है. इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि ऐसा करने पर यूजर पर कोई फर्क नहीं पड़ता.

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'द एनाटमी ऑफ 'फेक न्यूज': स्टडींग फॉल्स मैसेजेस ऐज डिजिटल ऑब्जेक्ट' (2021) नाम से की गई एक स्टडी में ये भी बताया गया है कि इंस्टाग्राम स्टोरीज या दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इंटरैक्टिव स्ट्रक्चर और डेटा विज़ुअलाइजेशन, यूजर्स को फेक मैसेज के साथ अधिक गहराई से जुड़ने में सक्षम बनाते हैं, जिससे उनकी पहुंच और प्रभाव भी बढ़ जाता है.

इंफॉर्मेशन इकोसिस्टम में मौजूद इन समस्याओं के समाधान के लिए हम किस हद तक प्लेटफॉर्म पर भरोसा कर सकते हैं, इसपर बात करते हुए वाघरे ने कहा, "लोग ऐसी जानकारी शेयर करेंगे जो सनसनीखेज होंगी और जो उनके पूर्वाग्रहों को पुख्ता करेंगी. इसलिए ये सवाल उठता है कि प्लेटफॉर्म ने किस हद तक (फीचर के) गलत इस्तेमाल की आशंका जतायी थी और इन फीचर्स को लॉन्च करते समय वो बचाव के किस तरह के उपाय कर रहे हैं."

हमने इस फॉर्मैट के गलत इस्तेमाल के सिलसिले में मेटा और इंस्टाग्राम से भी संपर्क किया. उनका जवाब आने पर इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

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