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कश्मीर में प्रशासन ने तोड़ी रोहिंग्याओं की बस्ती? झूठा है ये दावा

असल में ये वीडियो कोरोना महामारी के दौरान हुए अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई का है

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

क्या ये वीडियो जम्मू कश्मीर में प्रशासन द्वारा रोहिंग्या मुस्लिमों की बस्ती तोड़े जाने का है ? सोशल मीडिया पर तो वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.

लेकिन सच क्या है?

वीडियो असल में जम्मू कश्मीर का ही है. इसमें टूटती दिख रही इमारतें भी जम्मू कश्मीर की हैं. लेकिन इस वीडियो का रोहिंग्या मुस्लिमों से कोई संबध नहीं है.

चूंकि वायरल वीडियो में जम्मू लिंक न्यूज का लोगो था. हमने इस यूट्यूब चैनल पर अलग-अलग कीवर्ड्स के जरिए ये वीडियो खोजने की कोशिश की. 5 जून को अपलोड किया गया यही वीडियो हमें मिला.

वीडियो के डिस्क्रिप्शन से पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर की लेक्स एंड वॉटरवेज डेवलपमेंट अथॉरिटी ने लश्करी मोहल्ला, दोजी मोहल्ला, समेत पांच इलाकों में अवैध निर्माण को हटाया था.

इस कार्रवाई से जुड़ी कई अन्य मीडिया रिपोर्ट्स और वीडियो भी हमें मिले.रिपोर्ट्स से पता चलता है कि ये कार्रवाई कोरोना महामारी के दौरान हुए अवैध निर्माण को हटाने के लिए की गई थी.

हमने जम्मू-कश्मीर के लेक्स एंड वॉटरवेज डेवलपमेंट अथॉरिटी के इंफोर्समेंट ऑफिसर अब्दुल अजीज कादरी से भी संपर्क किया. क्विंट से बातचीत में उन्होंने बताया कि वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर किया जा रहे दावे में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है.

ये रुटीन कार्रवाई थी. जो हम इलाके से अवैध निेर्माण हटाने के लिए करते हैं. हम डल झील और इलाके के बाकी ग्रीन बेल्ट के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. इसके लिए हम उन जगहों पर हुए निर्माण को हटाते हैं, जहां कंस्ट्रक्शन की अनुमति नहीं है.
अब्दुल अजीज़ कादरी, इंफोर्समेंट ऑफिसर, जम्मू -कश्मीर लेक्स एंड वॉटरवेज अथॉरिटी

जम्मू कश्मीर के एक स्थानीय पत्रकार ने भी क्विंट से बातचीत में बताया कि वीडियो कि रोहिंग्याओं से कोई संबंध नहीं है.

साफ है कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा ये दावा झूठा है कि जम्मू कश्मीर में प्रशासन ने रोहिंग्याओं की बस्ती को तोड़ दिया.

(ये उन कई भ्रामक दावों में से महज एक है, जिनकी पड़ताल लगातार क्विंट की वेबकूफ टीम कर रही है. अगर आपके पास भी ऐसी कोई सूचना आती हो जो आपको थोड़ी अटपटी लग रही है. या जिसके सच होने पर आपको शक है तो हमारे वॉट्सएप नंबर 9643651818 या फिर हमारी मेल आइडी webqoof@thequint.com पर हमें भेजें. तब तक हमारी अन्य फैक्ट चेक स्टोरीज को पढ़ने के लिए फेसबुक और ट्विटर पर क्विंट हिंदी को फॉलो करें और वेबकूफ न बनें)

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