पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पहले से ही कई यूजर्स सोशल मीडिया पर ये दावा कर रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) कैंडिडेट सायनी घोष कथित रूप से ''अपनी पार्टी के सदस्यों से परेशान होकर'' आसनसोल में चुनाव प्रचार के दौरान दौड़ने पर मजबूर हो गईं.
हालांकि, घोष ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर कई वीडियो डाले हैं जिनमें वो अलग-अलग दिनों में चुनाव प्रचार के दौरान कई बार दौड़ी हैं. इसके अलावा, क्विंट के ग्राउंड रिपोर्टर देबायन दत्ता ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने खुद सायनी को चुनाव प्रचार में दौड़ते हुए देखा है.
दावा
राइट विंग वेबसाइट Opindia के सोमवार, 22 मार्च को प्रकाशित एक आर्टिकल की हेडलाइन थी: "बंगाल: आसनसोल से TMC कैंडिडेट एक्टर सायनी घोष अपनी ही पार्टी के सदस्यों से परेशान होकर दौड़ने पर हुईं मजबूर.''
रिपोर्ट में ETV Bharat के हवाले से लिखा गया था कि रविवार को बर्नपुर में चुनाव प्रचार के दौरान TMC कैंडिडेट को ''उनकी ही पार्टी के सदस्यों ने परेशान किया''.
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने ट्विटर और फेसबुक पर ETV Bharat के वीडियो को ये दिखाने के लिए शेयर किया है कि घोष कथित रूप से परेशान किए जाने के बाद दौड़ने लगीं.
पड़ताल में हमने क्या पाया
TMC कैंडिडेट सायनी घोष ने आसनसोल में अपने चुनाव प्रचार से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया हैंडल्स पर अपलोड किए हैं. नीचे दिए गए वीडियो के 2 मिनट 39 सेकंड पर उन्हें चुनाव प्रचार के दौरान दौड़ते हुए देखा जा सकता है.
फेसबुक पर बुधवार 24 मार्च को अपलोड किए गए एक अन्य वीडियो में भी उन्हें दौड़ते हुए देखा जा सकता है. इस वीडियो में आप उन्हें अलग कपड़ों में देख सकते हैं. वीडियो का कैप्शन था: “My feet my will.”
मीडिया आउटलेट Anandabazar Patrika के यूट्यूब चैनल पर भी आसनसोल में चुनाव प्रचार के दौरान घोष के दौड़ने के विजुअल देखे जा सकते हैं.
सायनी क्या संदेश देना चाहती हैं?
हमने सायनी घोष के प्रेस नोट को देखा. हमें घोष के चुनाव प्रचार को लेकर किए जा रहे दावों पर उनका दिया जवाब मिला.
प्रेस नोट में लिखा है ‘’लोगों तक पहुंचने के लिए हमें सिर्फ चलना नहीं है बल्कि हम दौड़ भी सकते हैं. पार्टी के सभी सदस्यों - बूढ़े और जवान - एक-दूसरे से तालमेल बनाए रखने के लिए चलो और दौड़ो. मैं फैसला करूंगी कि मुझे चलना है या दौड़ना. दिल्ली में बैठे लोग मेरे आंदोलन को रिमोट कंट्रोल से कंट्रोल नहीं करते.’’
उन्होंने आगे कहा कि कुछ मीडिया हाउसेस की कवरेज में ''फैक्चुअल न्यूज'' की कमी है.
प्रेस नोट में ये भी लिखा है कि ''दीदी और हमारी पार्टी के सदस्यों ने मुझे अपने चुनाव प्रचार को जिस तरह करना चाहूं वैसे करने की आजादी दी है. मुझे विपक्ष की टिप्पणी हास्यास्पद लगी. वे किसी को अपने पक्ष में लाने में सक्षम नहीं हैं. इसलिए, वो कुछ भी कह रहे हैं. कुछ मीडिया हाउस की कवरेज देखकर मुझे हैरानी हुई. इनमें फैक्चुअल और सही न्यूज की कमी है.''
ग्राउंड रिपोर्टर का क्या है कहना
क्विंट के रिपोर्टर देबायन दत्ता मंगलवार, 23 मार्च को आसनसोल मे निगा इलाके में सायनी के चुनाव प्रचार को कवर कर रहे थे.
उन्होंने बताया ‘’इस इलाके में वो कई बार अपने चुनाव प्रचार के दौरान दौड़ीं. उनके आस-पास हर समय काफी सुरक्षा मौजूद थी. यहां तक कि उनके पार्टी के सदस्यों ने भी उनके चारों ओर सुरक्षा घेरा बना रखा था.’’
ETV Bharat के जिस आर्टिकल का Opindia ने अपनी रिपोर्ट में हवाला दिया था उस आर्टिकल में ये दावा नहीं किया गया था कि घोष को उनकी ही पार्टी के लोगों ने परेशान किया. ETV Bharat के आर्टिकल और वीडियो में दावा किया गया था कि वह परेशान हो गईं जब उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक उनके नजदीक आ गए.
सायनी घोष के प्रेस नोट में ऐसा कोई दावा नहीं किया गया है कि उन्हें परेशान किया गया. मतलब साफ है कि अपने चुनाव प्रचार के दौरान दौड़तीं सायनी के वीडियो को इस गलत दावे से शेयर किया जा रहा है कि उन्हें ''उनकी ही पार्टी के लोगों ने परेशान किया.''
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