सोशल मीडिया पर 8 अप्रैल 2024 को हुए सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) से जुड़ा एक पोस्ट वायरल है. रिपोर्ट लिखे जाने के वक्त सूर्य ग्रहण को दो दिन बीत चुके हैं. पर इसके बाद भी मैसेज को एक चेतावनी की तरह शेयर किया जा रहा है. क्विंट हिंदी की फैक्ट चेकिंग टीम वेबकूफ ने इस मैसेज में किए गए दावों की एक - एक कर पड़ताल की.
दावा : वायरल पोस्ट में 8 अप्रैल को हुए सूर्यग्रहण को लेकर कई भ्रामक दावे किए गए हैं. मसलन ऐसा सूर्य ग्रहण 2000 सालों में पहली बार आया है, नासा ने कहा है कि इस सूर्य ग्रहण के दौरान नेटवर्क बंद रहेगा, इन दावों के साथ वायरल पोस्ट में कुछ धार्मिक मान्यताओं से जुड़े दावे भी किए गए हैं.
2000 सालों के बाद हुआ है ऐसा ग्रहण ? : इस दावे की पुष्टि के लिए हमने नासा की वेबसाइट पर ग्रहण से जुड़ी जानकारी चेक की. तो सबसे पहले बता दें कि नासा के मुताबिक, ये ग्रहण पूर्वी अमेरिका, मैक्सिको, यूनाइटेड स्टेट्स और कनाडा के ऊपर से होकर गुजरा है. अब वायरल मैसेज में दावा किया गया है कि ऐसे ग्रहण 2000 साल बाद आया है, ये बिल्कुल भी सच नहीं है.
अमेरिका में इस तरह का पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) साल 2017 में ही आया था. वहीं 2017 से पहले अमेरिका में ऐसा ग्रहण 38 साल पहले आया था.
साफ है कि 2000 साल बाद ऐसा सूर्य ग्रहण आने वाली बात तथ्यात्मक रूप से सच नहीं है.
क्या NASA ने कहा सूर्य ग्रहण के दौरान नेटवर्क नहीं आएगा ? : NASA ने अपनी वेबसाइट पर 8 अप्रैल 2024 के ग्रहण को लेकर एक सेफ्टी गाइडलाइन जारी की थी. यहां कहीं भी ये जिक्र नहीं है कि सूर्य ग्रहण के दौरान नेटवर्क नहीं आएगा. यहां आंखों को ग्रहण से सुरक्षित रखने के लिए आंखों को कवर करके ही ग्रहण देखने की बात कही गई है. वहीं सूरज की तेज किरणों से बचने के लिए सन स्क्रीन का इस्तेमाल करने को भी कहा गया है.
सूर्य ग्रहण का हजरत मोहम्मद से कनेक्शन ? : वायरल मैसेज में दावा किया गया है कि 2000 साल पहले इस्लाम धर्म के पैगंबर हज़रत मोहम्मद के वक्त आया था. ये दावा अपने आप में ही तथ्यात्मक तौर पर सही नहीं है. पैगंबर मोहम्मद का जन्म साल 570 CE में हुई था. साल 2024 में उनके जन्म को 1454 साल ही पूरे हुए हैं. यानी 2000 साल पहले तो उनका जन्म भी नहीं हुआ था.
ग्रहण को धार्मिक मान्यताओं से जोड़कर भ्रामक दावे किए जाने का ये सिलसिला नया नहीं है. इससे पहले कई बार ये दावा किया जाता रहा है कि ग्रहण का कनेक्शन भूकंप से होता है. क्विंट हिंदी की फैक्ट चेकिंग टीम ने इस दावे की भी पड़ताल की थी, जिसे आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं.
निष्कर्ष : मतलब साफ है, सोशल मीडिया पर ग्रहण को लेकर वायरल हो रहे मैसेज में किए गए दावे तथ्यात्मक रूप से सच नहीं हैं. ये महज एक कॉन्सपिरेसी थ्योरी है.
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