दावा
सोशल मीडिया पर एक अखबार का फ्रंट पेज वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि तबलीगी जमात के लीडर मौलाना साद ने 'पीएम मोदी रिलीफ फंड' में 1 करोड़ रुपये दान दिए हैं. फोटो के साथ शेयर किए जा रहे मैसेज में ये भी लिखा है कि जब मौलाना साद से पूछा गया कि उन्होंने अपने दान की खबर को सार्वजनिक क्यों नहीं किया, तो उन्होंने कहा कि इस्लाम दिखावे की इजाजत नहीं देता.
शेयर हो रहा ये फ्रंट पेज 'न्यूज लेटर' का है और इसमें मौलाना के दान के ऊपर आर्टिकल है.
कई यूजर्स ने फेसबुक पर इसी कैप्शन के साथ अखबार की इस क्लिप को शेयर किया.
ये फोटो ट्विट पर भी वायरल हुई.
सच या झूठ?
ये फेक न्यूज है, और जो फोटो वायरल हो रही है, उसके साथ भी छेड़छाड़ की गई है.
हमें जांच में क्या मिला?
इस पेज के टॉप पर हमें 'The Pride of Northern Ireland' लिखा हुआ मिला, और इस पर 30 मार्च की तारीख थी.
इसके अलावा, गूगल पर 'Relief as abuse payout plan is one step closer' सर्च करने पर, हमें News Letter नाम के एक प्लैटफॉर्म का न्यूज आर्टिकल मिला, जिसका टाइटल था- 'Victims’ relief as abuse compensation moves a step closer'.
हमने पाया कि News Letter नॉर्थन आयरलैंड के बेलफास्ट का एक अखबार है, जिसने ये स्टोरी 6 जून 2019 को पब्लिश की थी.
हमने ये भी पाया की News Letter के डिजिटल प्लैटफॉर्म पर जो लोगो है, वही लोगो वायरल न्यूजपेपर के पेज पर भी इस्तेमाल किया गया है.
इसके बाद, हमने गूगल पर 'News Letter Belfast abuse compensation 6 June 2019' सर्च किय, जिसके बाद हमें बीबीसी का एक आर्टिकल मिला, जिसमें News Letter के 6 जून 2019 की असल फ्रंट पेज फोटो मिली.
हमने देखा कि ये पेज काफी हद तक वायरल फोटो जैसा ही था, हालांकि कुछ चीजें अलग थीं. जज, सीसीटीवी फुटेज और एब्युज पेआउट वाली खबरें वही थीं, लेकिन असल अखबार पर टोरी, ओलंपिक हीरो ग्रेग और क्वीन को लेकर भी खबरें छपी थीं, जिसे वायरल तस्वीर में बदल दिया गया था.
ये साफ है कि इन तीनों स्टोरी को बदलने के लिए वायरल तस्वीर से छेड़छाड़ की गई है. ये बात ध्यान देने वाली है कि अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की तरफ से दान की खबर सही है. लेकिन मौलाना साद के 1 करोड़ दान देने को लेकर कोई खबर नहीं है. साथ ही, 'पीएम मोदी रिलीफ फंड' नाम से कोई भी फंड नहीं है. कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में दो फंड हैं- प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड और PM CARES.
इससे ये साफ होता है कि जून 2019 में पब्लिश हुए आइरिश अखबार के साथ छेड़छाड़ कर गलत दावा किया जा रहा है.
(जबसे ये महामारी फैली है, इंटरनेट पर बहुत सी झूठी बातें तैर रही हैं. क्विंट लगातार ऐसी झूठ और भ्रामक बातों की सच उजागर कर रहा है. आप यहां हमारे फैक्ट चेक स्टोरीज पढ़ सकते हैं.)
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