भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) प्रेसीडेंट और बेंगलुरु साउथ से सांसद तेजस्वी सूर्या ने बुधवार, 25 अगस्त को छ्त्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार पर आरोप लगाया कि ये सरकार राज्य के हर विभाग में ''माफिया राज'' चला रही है.
युवा मोर्चा की ओर से आयोजित एक प्रोटेस्ट से पहले हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में, सूर्या ने सीएम पर निशाना साधते हुए राज्य में ''बढ़ती बेरोजगारी और भ्रष्टाचार'' के लिए उन्हें दोषी ठहराया.
इसके बाद, BJYM और BJP ने सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ प्रोटेस्ट किया और उनके आवास का घेराव किया.
वैसे सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) और पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में साल 2021 से बेरोजगारी दर लगातार नीचे जा रही है. हालांकि, एक दो बार इस दर में उछाल भी देखा गया है.
इसके अलावा, बघेल सरकार में श्रम बल की भागीदारी दर और राज्य में बेरोजगारों की संख्या में पिछले चार सालों में गिरावट का ट्रेंड दिखा है. हालांकि, कोरोना महामारी में इसमें उछाल भी दिखा है. बता दें कि कामकाजी उम्र की आबादी में काम करने वाले लोगों की संख्या, श्रम बल की भागीदारी दर कहलाती है.
छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर देश में सबसे कम: CMIE
भारत में रोजगार से जुड़ा डेटा बुलेटिन पब्लिश करने वाले इंडिपेंडेंट थिंक टैंक CMIE के मुताबिक, जुलाई 2022 के महीने के लिए छत्तीसगढ़ की लेटेस्ट बेरोजगारी दर 0.8 प्रतिशत है. जोकि देश में सबसे कम है.
इस अवधि में देश की औसत बेरोजगारी दर 6.8 प्रतिशत है.
वर्तमान कांग्रेस सरकार ने 2018 में सत्ता संभाली, इसलिए हमने नवंबर 2018 से बेरोजगारी दर को भी ट्रैक किया. हमने पाया कि कोरोना महामारी के दौरान बेरोजगारी दर में तेजी से आई बढ़ोतरी के अलावा, राज्य में बेरोजगारी दर में कमी आई है.
रमन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के तहत नवंबर 2018 में बेरोजगारी दर 5.5 प्रतिशत थी. रमन सिंह 2003 से 2018 के बीच 3 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
CMIE के आंकड़ों के मुताबिक, जून 2020 में पहले कोरोना लॉकडाउन के दौरान राज्य में बेरोजगारी दर 14.2 प्रतिशत थी.
हालांकि, बेरोजगारी दर सितंबर 2018 (रमन सिंह के कार्यकाल के दौरान) में 22.2 प्रतिशत से ज्यादा थी.
श्रम बल भागीदारी दर (%) (LPR) यानी कामकाजी उम्र की आबादी में काम करने वाले लोगों की संख्या का प्रतिशत, वर्तमान सरकार में ऊपर बना हुआ है. जनवरी-अप्रैल 2019 के दौरान LPR 42.98 प्रतिशत था, जो सितंबर-दिसंबर 2019 के दौरान बढ़कर 44.67 प्रतिशत हो गया. इसके बाद, कोरोना महामारी के दौरान ये कम हुआ और वर्तमान में जनवरी-अप्रैल 2022 तिमाही के लिए 40.55 प्रतिशत पर है.
CMIE डेटा से ये भी पता चलता है कि ऐसे बेरोजगार जो सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश कर रहे हैं, उनकी संख्या सितंबर-दिसंबर 2018 में 10,77,000 से घटकर जनवरी-अप्रैल 2022 के लेटेस्ट आंकड़ों में 1,57,000 हो गई.
PLFS डेटा के मुताबिक भी बेरोजगारी दर में कमी आई है
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) की ओर से कराए गए पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) ये भी दिखाता है कि कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी नहीं हुई. NSO केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत एक सरकारी एजेंसी है.
PLFS 2017 में शुरू हुआ था और इसकी जो लेटेस्ट सर्वे रिपोर्ट है वो 2020-21 के लिए है.
2019-2020 में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 4.8 प्रतिशत और 2020-2021 में 4.2 प्रतिशत थी.
हालांकि, CMIE डेटा के उलट PLFS ने छत्तीसगढ़ को देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में सबसे ऊपर नहीं रखा. लेकिन बेरोजगारी दर पिछली सरकार की तुलना में ज्यादा नहीं बढ़ी है.
PLFS करेंटली वीकली स्टेटस (CWS) में तिमाही बुलेटिन भी पब्लिश करता है. तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 की जुलाई से सितंबर तिमाही में बेरोजगारी दर (CWS) 15.4 प्रतिशत थी. भारत में कोविड की दूसरी लहर के दौरान 2021 की अप्रैल-जून तिमाही में ये बढ़कर 19 प्रतिशत हो गई.
हालांकि, ये 2021 की जुलाई-सितंबर तिमाही में गिरकर 10.8 प्रतिशत पर आ गई. जो कि 2022 की जनवरी-मार्च तिमाही में मामूली बढ़कर 11.7 प्रतिशत हो गया. इससे पता चलता है कि सरकारी आंकड़े इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि राज्य में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से बेहतर रही है. हालांकि, बीच में कुछ उछाल भी देखा गया है, लेकिन इसे छोड़ दें तो इसका रुझान नीचे की ओर ही रहा है.
इसलिए, केंद्र सरकार के आंकड़े और एक स्वतंत्र निकाय के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में बेरोजगारी की दर पिछली सरकार के मुकाबले ज्यादा नहीं बढ़ी है।
तेजस्वी सूर्या के ऑफिस से CMIE डेटा पर उठाए गए सवाल
हमने सांसद के दावों के संबंध में सूर्या के ऑफिस से संपर्क किया. उनके ऑफिस ने हमारे ईमेल के जवाब में एक डॉक्यूमेंट भेजा. इसमें उन्होंने CMIE ने जो मेथडोलॉजी (सर्वे के दौरान अपनाया गया तरीका) अपनाई है, उस पर सवाल उठाए हैं.
''छत्तीसगढ़ - अ रिअलिटी चेक'' टाइटल वाले इस डॉक्यूमेंट में, विधानसभा में किए गए सवालों और उनके जवाबों के आधार पर रोजगार की स्थिति के बारे में विस्तार से बताया गया है.
डॉक्यूमेंट के मुताबिक, ''परिवार के ऐसे लोग जो दुकान और खेत जैसे पारिवारिक कामों में मदद करते हैं, और उन्होंने कहा है कि उनके पास रोजगार है, तो ऐसे लोगों को भी रोजगार वाली कैटेगरी में रखा गया है. ऐसे मामलों में उनकी स्थिति के बारे में खुद से मूल्यांकन करने की जरूरत है.''
इसमें बताया गया है कि जो लोग प्रोबेशन में हैं या ट्रेंनिंग कर रहे हैं, उन्हें भी रोजगार वाली कैटेगरी में रखा गया है.
हमने सूर्या से PLFS डेटा के बारे में भी पूछा है. हालांकि, हमें उनकी तरफ से इसका जवाब नहीं आया है.
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