बुलंदशहर पुलिस द्वारा जारी एक नोटिस की फोटो को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि वो उन कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर रहे हैं, जो COVID-19 लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों को खाना देते हुए पाए गए हैं.
हालांकि, ये दावा गलत है, क्योंकि ये नोटिस असल में बीएसपी के पूर्व विधायक गुड्डू पंडित यानी कि भगवान शर्मा को जारी किया गया था. उन्हें ये नोटिस प्रवासियों के एक बड़े ग्रुप को खाने के लालच में अपने घर में इकट्ठा करने और लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का पालन नहीं करने के लिए जारी किया गया था.
दावा
बुलंदशहर पुलिस के इस नोटिस में लिखा है कि पुलिस के संज्ञान में आया है कि पैदल जा रहे प्रवासी मजदूरों को एक घर के आगे रोका जा रहा है. इसमें आगे लिखा है, “इस आश्य की गोपनीय जानकारी प्राप्त हुयी है कि आपके द्वारा रास्ते मे मजदूरो को अपने आवास पर खाने-पीने की वस्तुओ को वितरित करने का लालच देकर बुलाया जाता है। इससे कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन हो रहा है।” नोटिस में ये भी लिखा है कि कोविड-19 नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर महामारी अधिनियम के मुताबिक कार्यवाही की जाएगी.
देखने पर लग रहा है कि ये नोटिस एक व्यक्ति को संबोधित किया गया है.
कई लोगों ने ट्विटर पर इस नोटिस को शेयर कर दावा किया कि अगर किसी ने बुलंदशहर में मजदूरों को पानी दिया, तो वो जेल जा सकते हैं और पुलिस उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, जो 'इस मुश्किल वक्त में मदद कर रहे हैं.'
ये नोटिस फेसबुक पर भी इसी दावे के साथ वायरल हो गया.
हमें जांच में क्या मिला?
हमने देखा कि बुलंदशहर पुलिस ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस मामले को लेकर सफाई भी दी है कि वो नोटिस एक व्यक्ति को जारी किया गया था, जो COVID-19 सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन कर रहा था.
ट्विटर पर अपलोड किए वीडियो में, बुलंदशहर के एसएसपी कह रहे हैं कि अपने घर पर खाने का वादा कर प्रवासी मजदूरों को इकट्ठा करने पर पंडित को ये नोटिस जारी किया गया था.
एसएसपी आगे कहते हैं कि सोशल मीडिया पर नोटिस गलत दावे के साथ पुलिस को बदनाम करने के लिए शेयर किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कई सामाजिक कार्यकर्ता मजदूरों और बाकी जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं, और पुलिस इस काम में उनकी मदद कर रही है.
क्विंट ने बुलंदशहर पुलिस के पब्लिक रिलेशन्स अफसर (PRO) से भी संपर्क किया, जिन्होंने सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों को खारिज कर दिया.
“सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे निराधार हैं. नोटिस बीएसपी के पूर्व विधायक गुड्डू पंडित को जारी किया गया था, जिसने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद पुलिस ने नोटिस उनके घर के बाहर चिपका दिया. इस स्थिति का फायदा उठाते हुए, उन्होंने और उनके लोगों ने यूपी पुलिस की छवि बिगाड़ने के लिए सोशल मीडिया पर मैसेज शेयर कर दिया. पंडित राजनीतिक फायदे के लिए इसका फायदा उठाना चाहता है. वो अपने घर पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए बिना बड़ी संख्या में लोगों को खाना खिला रहे हैं. वो पहले से ही COVID-19 लॉकडाउन के दौरान उसके खिलाफ दर्ज चार एक जैसे मामलों का सामना कर रहे हैं.”बुलंदशहर पुलिस PRO
क्विंट को मिले एक दूसरे वीडियो बाइट में, एसएसपी ने विस्तार से बताया कि पंडित को नोटिस क्यों जारी किया था. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के लिए उसके खिलाफ पहले भी शिकायत दर्ज की गई है.
उन्होंने ये भी बताया कि पंडित का असल मकसद घर जा रहे प्रवासी मजदूरों को खाना खिलाकर उनकी मदद करना नहीं, बल्कि उन्हें एक जगह इकट्ठा कर उनकी फोटो खींचना था, जिसमें लोगों नजदीक खड़े देखा जा सकता है, ये सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन का है.
क्विंट से बात करते हुए, एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने साफ किया कि पुलिस नोटिस देने पंडित के घर गई थी और इस लेटर में उनका नाम भी है. उन्होंने बताया कि पंडित के नोटिस स्वीकार नहीं करने पर, इसे उनके घर के बाहर चिपका दिया गया.
पंडित ने भी अपने घर में बैठी पुलिस और इस नोटिस की फोटो अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट की है. अपने पोस्ट में उन्होंने पूछा है कि वो इस नोटिस को स्वीकार करें या नहीं.
हमें न्यूज रिपोर्ट भी मिलीं, जिसमें नियमों का उल्लंघन करने पर पंडित के खिलाफ नोटिस जारी होने की बात लिखी है. हिंदी न्यूज वेबसाइट पत्रिका और अमर उजाला, दोनों ने घटना को रिपोर्ट किया है, जिससे ये साफ होता है कि ये नोटिस एक खास व्यक्ति को जारी तिया गया था.
क्विंट ने बुलंदशहर में एक स्थानीय रिपोर्टर से भी बात की, जिसने बताया कि नोटिस केवल पंडित को जारी किया गया था, न कि कई लोगों को.
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