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अमेरिकी रक्षामंत्री ने भारत में मानवाधिकारों पर बात की?ये झूठ नहीं

ऑस्टिन ने 20 मार्च को प्रेस ब्रीफिंग में बताया था कि कैबिनेट मंत्रियों से मानवाधिकारों के मुद्दे पर उनकी बात हुई थी

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कुछ सोशल मीडिया यूजर ये झूठा दावा कर रहे हैं कि न्यूज चैनल NDTV ने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के भारत दौरे को लेकर फेक न्यूज फैलाई.

ऑस्टिन ने 20 मार्च को हुई प्रेस ब्रीफिंग में स्पष्ट कहा था कि उन्होंने भारत के मंत्रियों से मानवाधिकारों के मुद्दे पर बात की, इसी बयान पर NDTV ने रिपोर्ट की. ऑस्टिन का ये बयान रिकॉर्ड में होने के बावजूद ये झूठा दावा किया जा रहा है कि NDTV ने Fake News फैलाई.

भारत सरकार ने अब तक इस मामले में आधिकारिक तौर पर खंडन जारी नहीं किया है, लेकिन कई यूजर एएनआई के उस ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे हैं, जिसके मुताबिक अमेरिकी रक्षा मंत्री ने मानवाधिकारों पर कोई बात नहीं की.

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दावा

अविनाश नाम के यूजर ने ट्वीट कर एनडीटीवी पर फेक न्यूज फैलाने का आरोप लगाया. रिपोर्ट लिखे जाने तक इस पोस्ट को 5,700 से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं.

फेसबुक और ट्विटर पर कई यूजर यही दावा कर रहे हैं

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Presstitutes नाम के फेसबुक पेज से किए गए ऐसे ही पोस्ट को रिपोर्ट लिखे जाने तक 1200 से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं

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पड़ताल में हमने क्या पाया

यूएस के रक्षा मंत्री ने दिल्ली में हुई प्रेस ब्रीफिंग में बताया था कि उन्होंने भारत सरकार के मंत्रियों से मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही गई बातों का रिकॉर्ड अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी है.

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ऑस्टिन से पत्रकार ने सवाल किया था कि क्या उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ “विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर सवाल” करने का मौका मिला? ऑस्टिन ने जवाब में कहा था कि उन्हें पीएम मोदी के साथ तो ये चर्चा करने का मौका तो नहीं मिला, लेकिन उन्होंने कैबिनेट के सदस्यों से इसपर बात की है.
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एक अन्य सवाल में मानवाधिकारों का जिक्र है. पत्रकार ने उस लेटर का हवाला देते हुए ऑस्टिन से सवाल किया, जो सीनेटर रॉबर्ट ने ऑस्टिन को लिखा था. इस लेटर में सीनेटर ने ऑस्टिन से कहा था कि वे भारत से मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने का आग्रह करें.

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NDTV और ANI की रिपोर्ट्स क्या कहती हैं?

एनडीटीवी की रिपोर्ट में प्रेस ब्रीफिंग में ऑस्टिन दिए गए ऑस्टिन के ही बयान का जिक्र है. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो यहां देखा जा सकता है. पीटीआई की रिपोर्ट भी यही कहती है कि मानवाधिकारों को लेकर चर्चा हुई थी.

यहां तक कि एएनआई ने 20 मार्च रिपोर्ट में भी यही उल्लेख था कि रक्षा मंत्री ने भारतीय मंत्रियों के सामने मानवाधिकारों का मुद्दा उठाया था.

एनआई के नेशनल ब्यूरो चीफ नवीन कपूर ने भी यही ट्वीट किया था.

21 मार्च को एएनआई ने ट्वीट किया कि - सूत्रों ने ये पुष्टि की है कि अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ मानवाधिकारों को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. एएनआई की रिपोर्ट यहां देखी जा सकती है.

गौर करने वाली बात ये है कि भारत सरकार ने अब तक आधिकारिक तौर पर इस बात का खंडन नहीं किया है कि अमेरिकी रक्षा मंत्री  के साथ मानवाधिकारों को लेकर चर्चा हुई थी.
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ऐसे वक्त में मानवाधिकारों पर चर्चा का मुद्दा महत्वपूर्ण हो जाता है. जब रिपोर्ट्स में भारत को डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) की बजाए इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी (चुनावी निरंकुशता) घोषित किया जा रहा हो. अमेरिकी संस्था फ्रीडम हाउस की हालिया रिपोर्ट भी यही कहती है कि नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारत 'आजाद' से 'आंशिक रूप से आजाद' रह गया है

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