न्यूज एजेंसी IANS समेत कई मीडिया आउटलेट ने एक झूठी 'अजीब' घटना रिपोर्ट की है, जिसमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश में कानपुर पुलिस ने बेकनगंज इलाके में एक बकरी को मास्क न पहनने की वजह से 'गिरफ्तार' कर लिया.
हालांकि, क्विंट को पुलिस से पता चला कि घटना को गलत तरह से रिपोर्ट किया गया है क्योंकि एक जानवर को 'अपराध' का आरोपी नहीं बनाया जा सकता है.
दावा
घटना को सबसे पहले न्यूज एजेंसी IANS ने 26 जुलाई को ट्वीट किया था. IANS ने अपने ट्वीट में कहा कि बेकनगंज इलाके में बिना मास्क के घूम रही एक बकरी को कानपुर पुलिस ने पकड़ लिया है.
इंडिया TV, न्यूज18 और नेशनल हेराल्ड जैसे कई मीडिया आउटलेट ने IANS की रिपोर्ट को पब्लिश किया. रिपब्लिक वर्ल्ड ने भी इस घटना को रिपोर्ट किया.
रिपोर्ट में कहा गया कि अनवरगंज पुलिस स्टेशन के सर्किल अफसर सैफुद्दीन बेग ने कहा कि 'पुलिस ने बिना मास्क के एक युवक को पकड़ा है, जो बकरी ले जा रहा था'.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि एक पुलिसवाले ने बकरी के 'लॉकडाउन का उल्लंघन' करने की बात स्वीकारी और कहा, "लोग अब अपने कुत्तों को मास्क पहना रहें तो बकरी को क्यों नहीं?"
हमें क्या मिला?
घटना को भ्रामक हेडलाइनों के साथ रिपोर्ट किया गया है. बकरी 'गिरफ्तार' नहीं हुई थी और न ही लॉकडाउन का उल्लंघन कर रही थी.
बेकनगंज इलाका अनवरगंज पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है. क्विंट ने सर्किल अफसर सैफुद्दीन बेग से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि असल में बकरी को एक लड़के ने पुलिस-चेकिंग बैरिकेड के पास छोड़ दिया था.
बेग ने कहा कि ये बिलकुल सच नहीं है, आप जानवर को गिरफ्तार नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, "लोगों ने इस खबर को ऐसे फैलाया है जैसे कि हमने मास्क न पहनने पर बकरी को पकड़ा है. असल में बकरी को एक लड़का पुलिस बैरिकेड के पास छोड़ कर भाग गया था, जब उसने देखा कि लॉकडाउन उल्लंघन की चेकिंग हो रही है. अधिकारी जानवर को स्टेशन ले आए कि कहीं बाद में मिसिंग रिपोर्ट न दर्ज हो."
लड़का बाद में अपनी बकरी वापस लेने स्टेशन आया था और उसे मास्क न पहनने के लिए फाइन किया गया. बेग ने पुष्टि की, "हमने बकरी की गिरफ्तारी का कोई बयान नहीं दिया."
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