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UP: वोटिंग में फर्जीवाड़े के दावे से वायरल ये वीडियो 2019 का है,इस चुनाव का नहीं

उत्तर प्रदेश की 2019 की इस घटना को तब कई न्यूज ऑर्गनाइजेशन ने कवर किया था.

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अंतिम चरण के मतदान 7 मार्च 2022 को हुए. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने लगा, जिसमें एक बीजेपी (BJP) कैंडिडेट पर लोग वोटर फ्रॉड का आरोप लगा रहे हैं.

वीडियो में लोगों ने आरोप लगाया कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने यूपी के कुछ जिलों में लोगों को 500 रुपये देकर वोटिंग करने से रोका.

हालांकि, हमने पाया कि ये वीडियो 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान का है. हमें कई न्यूज ऑर्गनाइजेशन में ऐसी वीडियो रिपोर्ट मिलीं, जिसमें मौजूदा वीडियो में दिख रहे लोग ही दिख रहे हैं.

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दावा

2 मिनट 20 सेकंड लंबे इस वीडियो को यूजर्स ने इस कैप्शन के साथ शेयर किया है, "दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र!"

इस वीडियो को Jansatta के पूर्व एडिटर ओम थानवी ने पहले शेयर किया था. इसके बाद, फेसबुक और ट्विटर दोनों जगह कई लोगों ने इसी वीडियो को शेयर किया. इनमें से कुछ के आर्काइव यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.

पड़ताल में हमने क्या पाया

हमने वीडियो वेरिफिकेशन टूल InVID का इस्तेमाल कर, वायरल वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा और उनमें से कुछ पर रिवर्स इमेज सर्च किया.

हमने इसके साथ ही "Rs 500, BJP, Voting" कीवर्ड का इस्तेमाल भी किया, जिससे हमें कई ऐसी न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें वायरल वीडियो की ही तरह के स्क्रीनशॉट और वीडियो क्लिप थीं.

News18 Urdu के यूट्यूब चैनल पर अपलोड एक रिपोर्ट में इसी वीडियो का इस्तेमाल किया गया था. वीडियो का टाइटल था, "Lok Sabha 2019: Locals From UP's Chandauli Village Accuse BJP Workers Of Bribing Them For Votes" (अनुवाद- "लोकसभा 2019: यूपी के चंदौली गांव के स्थानीय लोगों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं पर वोट के लिए रिश्वत देने का आरोप लगाया"). ये वीडियो 19 मई 2019 को अपलोड किया गया था.
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न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, चंदौली गांव के लोगों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाया था कि उन्होंने लोगों को वोट देने से रोकने के लिए 500 रुपये की रिश्वत दी है और उनकी उंगली में जबरन स्याही लगाई है.

Mirror Now पर भी इस घटना से जुड़ी रिपोर्ट पब्लिश हुई थी. हमें NDTV और News18 पर इस घटना से जुड़ी रिपोर्ट विस्तार में मिली.

चंदौली पुलिस के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से किए गए एक ट्वीट के मुताबिक, पुराना वीडियो बिना किसी उचित संदर्भ के शेयर किया जा रहा है.

मतलब साफ है, 2019 का एक पुराना वीडियो 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों से जोड़ गलत दावे से शेयर किया गया.

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