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मंदिर में पेशाब करते शख्स का वीडियो, गलत दावे से वायरल

वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि वायरल वीडियो में दिख रहा शख्स मुस्लिम नहीं है 

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मंदिर में घुसकर पेशाब करते एक युवक का वीडियो सोशल मीडिया पर झूठे सांप्रदायिक दावे से शेयर किया जा रहा है. कई यूजर्स ने दावा किया कि वीडियो में दिख रहा शख्स मुस्लिम है और वो हिंदू मंदिर का अपमान कर रहा है.

वीडियो उस वक्त शेयर किया जा रहा है जब यूपी में मंदिर में पानी पीने गए 14 साल के बच्चे के साथ कथित मारपीट का मामला सामने आया है. हालांकि मंदिर में पेशाब करते हुए युवक के इस वीडियो को लेकर अनकापल्ले पुलिस ने द क्विंट की वेबकूफ टीम को बताया कि वायरल वीडियो में दिख रहे लोग मुस्लिम नहीं हैं.

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दावा

वीडियो के साथ शेयर किया जा रहा कैप्शन है - “See why they go to the Temples. They don't go there to drink water but to pee on our sacred Shivling

प्रवीण चौहान नाम के यूजर ने भी वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया. इस वीडियो को अब तक 70,600 व्यूज मिल चुके हैं.

वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि वायरल वीडियो में दिख रहा शख्स मुस्लिम नहीं है 
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सोर्स : स्क्रीनशॉट/ ट्विटर
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वीडियो हिंदू इकोसिस्टम नाम के ट्विटर हैंडल से बिना पूरा संदर्भ बताए शेयर किया गया. इस वीडियो को रिपोर्ट लिखे जाने तक 74,000 व्यू मिल चुके हैं.

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वीडियो फेसबुक पर भी शेयर किया जा रहा है

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पड़ताल में हमने क्या पाया

वायरल वीडियो में वॉटरमार्क Top Most Media दिख रहा है. इससे जुड़े कीवर्ड सर्च करने से हमें इसी नाम के यूट्यूब चैनल पर वायरल हो रहा वीडियो मिला. ये वीडियो 11 अप्रैल, 2018 को अपलोड किया गया है.

वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि वायरल वीडियो में दिख रहा शख्स मुस्लिम नहीं है 
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हमें लोकल न्यूज चैनल ABN Telugu पर भी अप्रैल, 2018 में अपलोड किया गया यही वीडियो मिला. इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक वीडियो आंध्र प्रदेश के अनकापल्ले जिले के गांव पिसिनकाड़ा का है.

तेलुगू वेबसाइट आंद्रज्योति में भी इस घटना की रिपोर्ट है.

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अनकापल्ले के एक क्षेत्रीय पत्रकार ने द क्विंट की वेबकूफ टीम को बताया कि ये पिसिनकाड़ा गांव का 3 साल पुराना मामला है. उस समय सभी आरोपी नाबालिग थे और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.
हमने अनकापल्ले के एडिशनल सब इंसपेक्टर ए वेंकटेश्वर राव से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि वीडियो में दिख रहे लोग मुस्लिम नहीं हैं.

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ए वेंकटेश्वर राव ने बताया कि,

घटना साल 2018 की है. आरोपी 16 वर्षीय दो नाबालिग लड़के हैं. इनकी पहचान सुब्रमण्यम कॉलोनी के रहने वाले जगन्नाथ रमेश और कृष्णापुरम के रहने वाले देसारी आनंद के रूप में हुई थी. आनंद ने ही ये वीडियो रिकॉर्ड किया था.
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आरोपियों को कोर्ट में पेश करने वाले कॉन्सटेबल चिन्ना बाबू ने बताया कि दोनों ही लड़के ईसाई समुदाय से थे.

आरोपियों पर एफआईआर नंबर 52/2018 में आईपीसी की धारा 153A ( धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए किए गए कृत्य के लिए), धारा 295A ( धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने), धारा 34 और आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया गया. इन सभी पर 1500 रुपये का जुर्माना लगाया गया था.

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वीडियो साल 2019 में भी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर का बताकर शेयर किया गया था. फैक्ट क्रीसेंडो वेबसाइट ने साल 2019 में इस दावे का फैक्ट चेक किया था.

मतलब साफ है - सांप्रदायिक रंग देते हुे सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा झूठा है कि वायरल वीडियो में दिख रहा लड़का मुस्लिम है.

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