ADVERTISEMENTREMOVE AD

पुलवामा हमले का बताकर इरान में हुए ब्लास्ट का वीडियो हो रहा वायरल

वेबकूफ की पड़ताल में वीडियो 7 साल पुराना निकला

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

पुलवामा हमले को 14 फरवरी को 2 साल पूरे हो गए. इस दौरान सोशल मीडिया पर एक बम धमाके का वीडियो जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए उस आतंकी हमले का बताकर शेयर किया जा रहा है, जिसमें CRPF के 40 जवान शहीद हुए थे. लेकिन वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि वीडियो सितंबर 2007 में इराक में हुए एक धमाके का है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

दावा

कुछ यूजर वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर कर रहे हैं- “14 Feb Black Day” and “Say no to Valentine’s Day.” हिंदी अनुवाद - 14 फरवरी काला दिवस और वेलेंटाइन डे को ना कहें

ADVERTISEMENTREMOVE AD
ADVERTISEMENTREMOVE AD

पड़ताल में हमने क्या पाया

वीडियो के की -फ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने से हमें यूट्यूब पर मार्च 2008 में अपलोड किया गया एक वीडियो मिला. डिस्क्रिप्शन में इस वीडियो को इराक का बताया गया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हमें Reddit पर भी यही वीडियो मिला, यहां ‘WhiteSix’ नाम के यूजर ने लिखा है कि वीडियो नॉर्थ बगदाद से 45 मिनट की दूरी पर हाइवे क्रमांक 1 पर हुए धमाके का है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्लू लेकर हमने अलग-अलग कीवर्ड के जरिए वीडियो सर्च करना शुरू किया. हमें Brian Spalding नाम के यूजर का दिसंबर 2008 में अपलोड किया गया यही वीडियो मिला.  यूजर ने दावा किया है कि 2 सितंबर को हादसे के वक्त वो बगदाद के कैंप ताजी इलाके में ही मौजूद था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कैंप ताजी को कैंप कुक भी कहा जाता है. इसका इस्तेमाल इराकी सेना के बेस के रूप में किया जाता है.

हमें military.com. वेबसाइट पर यही वीडियो मिला, यहां वीडियो 1 नवंबर 2007 को अपलोड किया गया है. न्यूज एजेंसी AP के आर्काइव में भी ये वीडियो फुटेज है. AP ने इस फुटेज का क्रेडिट हथियार बनाने वाली कंपनी Tencate को दिया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हमें कैलिफोर्निया की एक वेबसाइट पर 2 सितंबर, 2007 की न्यूज रिपोर्ट भी मिली. जिसके मुताबिक,इराकी सेना के ताज बेस के पास सुसाइड कार बम ब्लास्ट हुआ था. इस हादसे में दो सैनिक भी मारे गए थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इराकी जांच एजेंसी को बाद में घटना स्थल से मारुति कार भी मिली थी. जांच में सामने आया था कि ये कार सुसाइड बॉम्बर आदिल चला रहा था. हालांकि, ऐसी कोई रिपोर्ट हमें नहीं मिली जिससे पुष्टि होती हो कि वीडियो उसी घटना का है.

मतलब साफ है कि सोशल मीडिया पर 13 साल से ज्यादा पुराने वीडियो को पुलवामा हमले का बताकर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×