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फरीदाबाद में हुई मारपीट का वीडियो, अल्पसंख्यकों पर हमले के गलत दावे से वायरल

फरीदाबाद के बडखल झील चौक इलाके में हुई इस वारदात में पीड़ित और आरोपी दोनों ही हिंदू समुदाय से हैं

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सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में कुछ लोग एक शख्स की हथौड़े से बेरहमी से पिटाई करते दिख रहे हैं. वीडियो को अल्पसंख्यकों पर हुए हमले का बताया जा रहा है. हालांकि, क्विंट की वेबकूफ टीम ने जब इस दावे की पड़ताल की तो सामने आया कि इस वीडियो में जिस शख्स पर हमला हुआ है वह भी हिंदू समुदाय से है और हमला करने वाले भी हिंदू समुदाय से.

फरीदाबाद पुलिस ने क्विंट की वेबकूफ टीम से बातचीत में पुष्टि की कि मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. मामले की एफआईआर फरीदाबाद NIT पुलिस थाने में दर्ज हुई है, एफआईआर की कॉपी में भी सभी नाम हिंदू समुदाय से हैं.

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दावा

वीडियो को ट्विटर और फेसबुक पर शेयर कर इसे भारत में अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचार का बताकर शेयर किया जा रहा है.

भारत में अल्पसंख्यकों के साथ हुए अत्याचार का बताकर शेयर करने वाले ट्वीट को 1 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है.

फेसबुक और ट्विटर पर कई यूजर्स ने वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया, अर्काइव यहां और यहां देखे जा सकते हैं.

पड़ताल में हमने क्या पाया?

वायरल वीडियो से जुड़े कीवर्ड्स गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें 6 दिसंबर, 2021 की कुछ मीडिया रिपोर्टस मिलीं. इन रिपोर्टस में वीडियो के विजुअल्स इस्तेमाल किए गए थे और मामले को फरीदाबाद में हुई मारपीट का बताया गया था.

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फरीदाबाद पुलिस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर हमें प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो भी मिला, वीडियो में पुलिस अधिकारी द्वारा दी जा रही जानकारी से साफ हो रहा है कि मामले में पीड़ित और आरोपी दोनों ही हिंदू समुदाय से हैं.

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मामले की एफआईआर फरीदाबाद NIT पुलिस थाने में दर्ज की गई, इस एफआईआर में भी देखा जा सकता है कि मामले में पीड़ित का नाम मनीष है. साफ है कि मामले में कोई सांप्रदायिक ऐंगल नहीं है.

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ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट हमें नहीं मिली जिससे पुष्टि होती हो कि मामले में कोई भी सांप्रदायिक ऐंगल था.

मारपीट की ये घटना फरीदाबाद की पुलिस पोस्ट नं 21 के इलाके में हुई. इस पोस्ट पर तैनात ASI कुलदीप ने भी क्विंट से बातचीत में पुष्टि की कि ये कोई सांप्रदायिक मामला नहीं था.

साफ है कि फरीदाबाद में बेरहमी से हुई मारपीट के जिस घटना के वीडियो को सोशल मीडिया पर भारत में अल्पसंख्यकों पर हुए हमले का बताया जा रहा है, असल में उस मामले में आरोपी और पीड़ित एक ही समुदाय से हैं.

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