सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. दावा किया जा रहा है कि उत्तरप्रदेश के बरेली में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने चालान काटने पर पुलिस कर्मियों की पिटाई कर दी. वीडियो असल में 2018 का है, और घटना गाजियाबाद की है, न कि बरेली की.
दावा
वीडियो के साथ शेयर किया जा रहा मैसेज है - “बरेली सिविल लाईन्स न्यूज पुलिस द्वारा चालान काटने पर मुसलमानो ने उनकी पिटाई की,जो कानून को चुनौती है,यह विडियो बताता है कि आगे हिन्दुस्तान मे क्या क्या होगा,कौन देश चलाएगा,सबका भविष्य क्या होगा,सच यह है कि देश को बाहर से ज्यादा अन्दर से ज्यादा खतरा है”
दक्षिणपंथी टिप्पणीकार मधु किश्वर ने भी वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया
पड़ताल में हमने क्या पाया
वीडियो के फ्रेम को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें बरेली पुलिस का ट्वीट मिला .बरेली पुलिस ने ये ट्वीट सोशल मीडिया पर वीडियो को लेकर किए जा रहे दावों के जवाब में किया है. पुलिस ने बताया कि वीडियो बरेली नहीं गाजियाबाद का है और 2 साल पुराना है.
बरेली पुलिस के ट्वीट से क्लू लेकर हमने अलग-अलग कीवर्ड सर्च कर 2 साल पुरानी गाजियाबाद की घटना से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट सर्च कीं. आज तक की अगस्त 2018 की रिपोर्ट हमें मिली.
एडवांस ट्विटर सर्च के जरिए हमें गाजियाबाद पुलिस का 27 अगस्त, 2018 को किया गया ट्वीट मिला. ट्वीट किए गए वीडियो में एसएसबी गाजियाबाद बता रहे हैं कि घटना गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर पुलिस स्टेशन की है.
एसएसपी ने बताया कि एक व्यक्ति कि किसी बात पर बैंक कर्मचारी से बहस हो गई थी. जिसके बाद बैंक कर्मचारी ने पुलिस को फोन कर दिया. कुछ स्थानीय लोगों ने पुलिस के साथ हाथापाई कर दी. इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
टाइम्स ऑफ इंडिया में 28 अगस्त, 2018 को छपी रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी का नाम इमरान है. इमरान भारतीय स्टेट बैंक की बलरामपुर ब्रांच में अपने आधार कार्ड की जानकारी में कुछ बदलाव कराने गया था. लेकिन, लाइन में लगने की बजाय आरोपी सीधे बैंक अधिकारी के पास पहुंच गया. अधिकारी ने जब उसे लाइन में लगने को कहा तो वह हंगामा करने लगा.
घटना स्थल पर पहुंचे कॉन्स्टेबल अनूप ने जब इमरान से बैंक के बाहर जाने को कहा, तो वह 10-15 लोगों को अपने साथ लेकर आया और पुलिस के साथ हाथापाई करने लगा. हालांकि, इमरान के रिश्तेदारों का आरोप है कि पहले कॉन्स्टेबल ने उसकी पिटाई की थी.
वीडियो को बरेली का बताते दावे का फैक्ट चेक नवभारत टाइम्स ने भी किया है. इस रिपोर्ट में पुलिस का प्रेस नोट भी है. प्रेस नोट में आरोपियों के नाम इमरान, राशिद, मोहम्मद इजरायल और फईम हैं.
मतलब साफ है कि सोशल मीडिया पर 2 साल पुराने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
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