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यूक्रेन युद्ध में मारे गए रूसी सैनिकों के लिए खोदी गई कब्रों का नहीं ये वीडियो

ये कब्रें सर्दियों के पहले इसलिए खोदी जाती है, क्योंकि सर्दी में कब्रें खोदना मुश्किल हो जाता है.

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सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक शख्स कार चलाते दिख रहा है. जिस इलाके में वो कार चला रहा है वहां खोदी गई जमीन और कब्रें दिख रही हैं.

चलती गाड़ी से बनाया गया ये वीडियो इस दावे से शेयर किया जा रहा है कि रूसी सरकार ने यूक्रेन (Ukraine) के खिलाफ युद्ध में मारे गए अपने सैनिकों के लिए ये कब्रें खोदी हैं.

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हालांकि, हमने पाया कि ये वीडियो 2021 का है यानी यूक्रेन में चल रहे संघर्ष से पहले का है. वीडियो में दिख रही इन कब्रों को सर्दियां शुरू होने से पहले रूस के सुर्गुत में खोदा गया था, क्योंकि सर्दियों में जमीन को खोदना मुश्किल हो जाता है.

दावा

वीडियो शेयर कर कैप्शन में लिखा गया, ''रूस के कब्रिस्तानों में सैकड़ों कब्र खोदी गई हैं - वो रूसी कार्गो 200 के दफन होने का इंतजार कर रहे हैं, जो यूक्रेन से आना शुरु हो गया है.''

ये पोस्ट 5 मार्च को किया गया था. आर्टिकल लिखते समय तक वीडियो को करीब 3 लाख बार देखा जा चुका है.

सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने वीडियो को इसी दावे से शेयर किया है. इनके आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

पड़ताल में हमने क्या पाया

वीडियो वेरिफिकेशन टूल InVid की मदद से हमने वीडियो से कई कीफ्रेम निकाले और उन पर रिवर्स इमेज सर्च किया.

हमें यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर 2021 में अपलोड किया गया यही वीडियो मिला.

वीडियो का कैप्शन रूसी में था. इसे गूगल का इस्तेमाल कर ट्रांसलेट करने पर पता चला कि इसमें लिखा था कि ऐसा वहां हमेशा किया जाता है क्योंकि सर्दियों में जमीन जम जाने की वजह से खोदना मुश्किल हो जाता है.

हमें रूसी वेबसाइटों SiTV.RU और Muksun.fm पर 2021 की रिपोर्ट्स मिलीं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये कब्रें इसलिए खोदी गई थीं ताकि सर्दियों में जमीन जम जाने की वजह से खोदने में की जाने वाली मेहनत से बचा जा सके.

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इसके अलावा, सुर्गुत के मेयर, एंड्री फिलाटोव ने इस गलत सूचना को खारिज किया और बताया कि कब्रें सर्दियों के लिए तैयार की जा रही थीं. उन्होंने बताया कि ऐसा पिछले 15 सालों से किया जा रहा है.

मेयर ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के साथ अपना बयान भी पोस्ट किया है.

मतलब साफ है कि ये वीडियो रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले का है, जिससे साफ होता है कि इसे यूक्रेन में चल रहे युद्ध से जोड़ गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.

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