सोशल मीडिया पर एक ग्राफिक शेयर कर दावा किया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) सरकार ने घोषणा की है कि वो राज्य में मुस्लिम व्यवसायों की ओर से टैक्स को भुगतान करेगा.
इसमें ये भी बताया गया है कि राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने घोषणा इसलिए की, क्योंकि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) की वजह से मुस्लिम व्यापारियों को नुकसान पहुंचा है.
हालांकि, हमारी पड़ताल में ये दावा झूठा निकला. ग्राफिक में किया गया दावा 2018 से सोशल मीडिया पर मौजूद है और ऐसी कोई न्यूज रिपोर्ट या सरकारी घोषणा नहीं मिली, जो दावे को सच साबित करती है. इसके अलावा, चालू वित्त वर्ष या 2018 में जब पहली बार ये दावा सामने आया था, ऐसा कोई उल्लेख नहीं मिलता कि किसी भी समुदाय को उनके धर्म के आधार पर टैक्स में माफी दी गई है.
दावा
ग्राफिक शेयर कर दावा किया गया कि पश्चिम बंगाल सरकार मुस्लिम व्यापारियों की ओर से टैक्स का भुगतान करेगी.
पड़ताल में हमने क्या पाया
हमने ध्यान से देखने पर पाया कि ग्राफिक के बैकग्राउंड में एक वॉटरमार्क था, जिस पर हिंदी में 'पत्रिका टुडे' लिखा था.
हमने कीवर्ड सर्च की मदद से न्यूज रिपोर्ट्स तलाशीं, ताकि पता कर सकें कि क्या ऐसी कोई घोषणा पश्चिम बंगाल में की गई थी, लेकिन हमें ऐसी कोई न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली.
इसके बाद, हमने पूर्व मंत्री के नाम के साथ हिंदी कीवर्ड का इस्तेमाल कर ज्यादा जानकारी सर्च की. हमें 'पत्रिका टुडे' नाम के एक ब्लॉग पेज पर यही ग्राफिक मिला.
पेज के यूआरएल के मुताबिक, ये जुलाई 2018 में पब्लिश हुआ था. पेज में 2018 का एक ट्वीट था जिसमें इसी दावे वाले एक न्यूजपेपर आर्टिकल की फोटो का इस्तेमाल किया गया था.
हमने देखा कि आर्टिकल की हेडलाइन में व्यवसायियों की गलत स्पेलिंग 'व्यसायियों' लिखी हुई थी. अगर इसे टाइपिंग एरर भी समझ लिया जाए, तो भी इस तरह की हेडलाइन वाली हमें कोई प्रासंगिक न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली.
इसके अलावा, ये ध्यान देना जरूरी है कि पश्चिम बंगाल में फाइनेंस पोर्टफोलियो इस समय चंद्रिमा भट्टाचार्य के पास है, जिन्होंने 2022 की शुरुआत में ही मित्रा की जगह ली थी.
हमने चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के साथ-साथ वित्त वर्ष 2018-2019 के लिए (जब ये दावा पहली बार किया गया था) राज्य के बजट को भी चेक किया.
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए, पश्चिम बंगाल सरकार ने चाय उद्योग में कार्यरत लोगों के लिए ग्रामीण और शैक्षिक कर छूट और इलेक्ट्रिक और सीएनजी ऑटोमोबाइल खरीदने वालों के लिए सड़क और पंजीकरण कर माफ करने का प्रस्ताव दिया है.
इसमें घर खरीदने वालों के लिए भी टैक्स में छूट को 6 महीने के लिए बढ़ाया गया है.
बजट में 'मुस्लिम' के बारे में उल्लेख सिर्फ राज्य विकास योजना के तहत किया गया है. इसका उद्देश्य ''मुस्लिम/ईसाई कब्रिस्तानों के आसपास की दीवार को निर्माण करना है.''
वित्त वर्ष 2018-2019 के बजट में भी ऐसी किसी छूट के बारे में नहीं बताया गया है.
सरकार ने डेढ़ करोड़ रुपये से कम वार्षिक कारोबार वाले व्यवसायों को जीएसटी में छूट देने का प्रस्ताव किया था और ये छूट धर्म के आधार पर नही दी गई थी.
मतलब साफ है, पश्चिम बंगाल सरकार ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की है कि वो मुस्लिम कारोबारियों का टैक्स भरेगी. वायरल दावा झूठा है और इसे सच साबित करने वाले प्रमाण नहीं हैं.
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