पश्चिम बंगाल में 2 मई को विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद से हिंसा की कई खबरें आ रही हैं, इस हिंसा में करीब 16 लोगों की मौत हुई है. ऐसे में सोशल मीडिया पर बंगाल हिंसा का बताकर तमाम तरह की खबरें शेयर हो रही हैं.
ठीक इसी तरह कई यूजर्स एक महिला के कथित रूप से रेप और हत्या की घटना को सांप्रदायिक और राजनीतिक ऐंगल देकर शेयर कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि इन्हें ‘गुंडों’ ने मार दिया. साथ ही, इस घटना की वजह बंगाल में TMC की जीत बता रहे हैं.
हमने स्थानीय पत्रकार और पुलिस के अधिकारियों से बात की. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए तीनों लोगों में से कोई भी मुस्लिम नहीं है. इसके अलावा, उन्होंने इस घटना पर किसी भी तरह के राजनीतिक ऐंगल से भी इनकार किया है.
दावा
बीजेपी के सौमित्र खान ने कई फोटो शेयर कर दावा किया है कि कॉलेज स्टूडेंट को ''गुंडों'' ने रेप करके मार दिया. उन्होंने इस घटना को सितंबर 2020 में यूपी के हाथरस मामले से जोड़कर लिखा, ''हाथरस में राजनीतिक मकसद था, लेकिन मेदिनीपुर में नहीं?''
(नोट: क्विंट ने महिला की प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए स्टोरी में कोई भी लिंक शामिल नहीं किया है)
कई फेसबुक यूजर्स ने इस फोटो को शेयर कर दावा किया है कि ''शांतिप्रिय राजमिस्त्रियों'' ने ऐसा किया है.
कुछ यूजर्स ने दावा किया है कि पीड़िता बीजेपी की समर्थक थी और इस घटना के पीछे टीएमसी समर्थकों का हाथ है.
पड़ताल में हमने क्या पाया
हमने घटना से जुड़ी न्यूज रिपोर्ट सर्च कीं. हमें Anandabazar Patrika पर 4 मई को पब्लिश एक रिपोर्ट मिली जिसमें बताया गया है कि ये घटना बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर के पिंगला इलाके की है.
Hindustan Times के बंगाली वर्टिकल में प्रकाशित एक आर्टिकल के मुताबिक कॉलेज की एक स्टूडेंट के साथ कथित तौर पर रेप किया गया और उसे मार दिया गया. इस घटना के बाद तीन लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें एक महिला भी शामिल है.
आरोपी मुस्लिम नहीं हैं: स्थानीय रिपोर्टर
हमने एक स्थानीय रिपोर्टर से संपर्क किया. रिपोर्टर ने घटना में किसी भी तरह से सांप्रदायिक ऐंगल से इनकार कर दिया. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों में से एक भी मुस्लिम नहीं है. घटना के बारे में जानकारी देते हुए रिपोर्टर ने कहा:
‘’पीड़िता के घर में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था और तीन राजमिस्त्री वहां काम कर रहे थे. इनमें से 2 पुरुष और एक महिला थी. पीड़िता का शव घर में पाया गया था और इसमें किसी भी तरह का पॉलिटिकल ऐंगल नहीं है.’’स्थानीय पत्रकार
पुलिस ने पॉलिटिकल या कम्युनल ऐंगल से किया इनकार
हमने घटना के संदर्भ में दो पुलिस अधिकारियों से बात की. हमने उनसे पूछा कि घटना के पॉलिटिकल या कम्युनल होने से जुड़े जो दावे किए जा रहे हैं, उनका सच क्या है? एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ''ये अफवाहें हैं. एक महिला सहित 2 और लोगों को गिरफ्तार किया गया है और हम पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. हम अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.''
इसके अलावा, पिंगला पुलिस स्टेशन में सब इंस्पेक्टर संखा चैटर्जी ने भी घटना के राजनीतिक और सांप्रदायिक ऐंगल से इनकार किया.
‘’कोई भी आरोपी मुस्लिम नहीं है. पकड़े गई तीनों आरोपियों में से दो लोग आदिवासी समुदाय से हैं और एक महिला हिंदू कम्युनिटी से है. आरोपियों की पहचान 27 वर्षीय बिकाश मुर्मू, 35 वर्षीय छोटू मुंडा और 37 वर्षीय तापती पत्रा के रूप में की गई है.’’सब इंस्पेक्टर संखा चैटर्जी, पिंगला पुलिस स्टेशन
फैक्ट चेकिंग वेबसाइट BOOM ने पीड़िता के चाचा से बात की. उन्होंने बताया कि वो बीजेपी वर्कर नहीं थी और इस घटना में किसी भी तरह का राजनीतिक ऐंगल नहीं है.
मतलब साफ है कि एक महिला की कथित रूप से रेप और हत्या की घटना को सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने झूठे सांप्रदायिक और राजनीतिक ऐंगल के साथ शेयर किया है.
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