पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा की कई खबरें आई हैं. ऐसे में कोलकाता पुलिस की गाड़ी पर बैठे कुछ लोगों की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इन्हें शेयर कर दावा किया जा रहा है कि कोलकाता पुलिस तृणमूल कांग्रेस के वर्कर्स को सुरक्षा दे रही है और हिंसा में उनका साथ दे रही है.
हालांकि, हमने पाया कि ये फोटो हाल की नहीं, बल्कि अगस्त 2020 के आसपास की है.
दावा
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने फोटो को इस कैप्शन के साथ शेयर किा है, ''विशेष समुदाय के TMC नेता'' कोलकाता पुलिस का इस्तेमाल हिंसा के लिए कर रहे थे.
पड़ताल में हमने क्या पाया
हमने Yandex पर रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. इससे हमें अगस्त 2020 का एक एक ट्वीट मिला जिसमें इन दोनों फोटो का इस्तेमाल किया गया था.
हमने जरूरी कीवर्ड सर्च किए और ट्विटर पर एडवांस्ड सर्च करके भी देखा. हमें एक अन्य ट्वीट मिला जिसमें और भी तस्वीरें थीं. पुलिस की गाड़ी में लिखे टेक्स्ट से पता चला कि वो उत्तरी कोलकाता के राजाबाजार के पास नारकेलडांगा पुलिस स्टेशन की गाड़ी है.
हमने कोलकाता के जॉइंट पुलिस कमिश्नर (क्राइम), आईपीएस मुरलीधर शर्मा से संपर्क किया. उन्होंने दावों को खारिज करते हुए बताया कि ये दावे झूठ हैं.
उन्होंने क्विंट की वेबकूफ टीम को ये भी बताया कि ये फोटो 5 अगस्त 2020 को एक सांप्रदायिक झड़प के दौरान की हैं, जब राम मंदिर भूमि पूजन हुआ था. दो समुदायों के लोगों ने रोड को दोनों ओर से बंद कर दिया था.
आईपीएस शर्मा ने ये भी बताया कि ‘’ये फोटो तब खींची गई थीं जब कोलकाता पुलिस एक स्थानीय इमाम, सराफत इबरार को अपने साथ उस जगह लेकर जा रही थी, ताकि मामले को सुलझाया जा सके. और जो लोग वहां इकट्ठा हुए हैं उन्हें वहां से जाने के लिए मनाया जा सके. गाड़ी के बाहर की ओर खड़े लोग भीड़ को हटाने और कार के लिए रास्ता साफ करने का काम कर रहे थे.’’
उन्होंने बताया कि गाड़ी के बोनट में बैठे शख्स के खिलाफ कार्रवाई भी कई गई थी.
नारकेलकांडा पुलिस स्टेशन में, गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने के लिए आईपीसी की धारा 143, अवज्ञा के लिए 188 और अपराध के बारे में गलत सूचना देने के लिए धारा 203 के तहत मामला दर्ज किया गया था. साथ ही, आपदा प्रबंधन अधिनियम 51 (B) के तहत भी मामला दर्ज किया गया था और 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
हमें इन तस्वीरों का मूल स्रोत नहीं मिल पाया और न ही इस घटना पर कोई न्यूज रिपोर्ट मिली. हालांकि, ये साफ है कि पुरानी तस्वीरों को हाल की बताकर इस झूठे दावे से शेयर किया जा रहा है ये तस्वीरें पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा की हैं.
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