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पश्चिम बंगाल पुलिस में सिर्फ मुस्लिमों की भर्ती? झूठा है ये दावा

वायरल लिस्ट के अलावा भी कई और लिस्ट हैं जिनमें पश्चिम बंगाल के दूसरे समुदायों के कैंडिडेट के नाम हैं.

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बीजेपी सांसद शिव प्रताप शुक्ला ने पश्चिम बंगाल पुलिस भर्ती बोर्ड के 50 कैंडिडेट की एक मेरिट लिस्ट शेयर की है. इसे शेयर करते हुए उन्होंने राज्य सरकार पर "तुष्टीकरण की राजनीति" का आरोप लगाते हुए कहा कि ''सूची में हिंदू'' नहीं हैं.

हालांकि, जिस लिस्ट को शुक्ला ने शेयर किया है उस लिस्ट के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है और न ही वो एडिटेड है. लेकिन, लिस्ट शेयर करने के साथ किया जाने वाला दावा भ्रामक है, क्योंकि जिस लिस्ट को शुक्ला ने शेयर किया है वो ओबीसी कैटेगरी की लिस्ट का सिर्फ एक हिस्सा है. इसके अलावा, दूसरी लिस्ट भी हैं (यहां तक कि ओबीसी कैटेगरी के लिए भी) जिनमें दूसरे समुदायों के कैंडिडेट के नाम हैं.

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पश्चिम बंगाल राज्य ओबीसी कैटेगरी के तहत दो डिविजन, ओबीसी (ए) और ओबीसी (बी) को मान्यता देता है. 21 जून 2021 तक, पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग की वेबसाइट से पता चलता है कि कैटेगरी ए में ज्यादातर कैंडिडेट मुस्लिम समुदाय से हैं, वहीं ओबीसी (बी) में हिंदू समुदाय के लोगों का अनुपात ज्यादा है.

दावा

उत्तर प्रदेश के बीजेपी सांसद शिव प्रताप शुक्ला ने इस लिस्ट को ट्विटर पर रिट्वीट किया और लिखा, ''मुझे आश्चर्य है कि ये भारत है या पाकिस्तान में, हिंदू समुदाय से कोई नहीं है? पश्चिम बंगाल राज्य नया कश्मीर है और ये राज्य की जनसांख्यिकी को बिगाड़ने के प्रयास है. ये तुष्टीकरण और राजनीतिक अक्षमता की पराकाष्ठा है.''

भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष वैभव पवार ने भी इस दावे को शेयर किया है. जिसे आप यहां देख सकते हैं.

फेसबुक और ट्विटर पर कई लोगों ने ऐसे ही दावे करते हुए पूछा है कि क्या हिंदू योग्य नहीं है और कहीं ये तुष्टीकरण तो नहीं. इनके आर्काइव यहां, यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.

पड़ताल में हमने क्या पाया

हमने पश्चिम बंगाल पुलिस की वेबसाइट देखी. हमें कई आधिकारिक लिस्ट मिलीं. जिनके मुताबिक ये भर्ती एसआई (आर्म्ड और अनआर्म्ड ब्रांच) पद के लिए थी.

वेबसाइट में हमने पाया कि पुलिस भर्ती बोर्ड ने अलग-अलग सोशल कैटेगरी के लिए परिणाम पोस्ट किए थे. और इनमें से हर एक कैटेगरी को आर्म्ड (एबी) और अनआर्म्ड (यूबी) ब्रांच के लिए अस्थाई रूप से चयनित कैंडिडेट में वर्गीकृत किया गया था.

हमने देखा कि ओबीसी कैटेगरी में दो कैटेगरी, ए और बी हैं. जिस लिस्ट को ऑनलाइन शेयर किया जा रहा है वो ओबीसी-ए (यूबी) लिस्ट है.

पश्चिम बंगाल राज्य ओबीसी कैटेगरी के तहत दो डिविजन, ओबीसी (ए) और ओबीसी (बी) को मान्यता देता है. कैटेगरी ‘ए’ को ‘अधिक पिछड़ा’ और कैटेगरी ‘बी’ को ‘पिछड़ा’ कहा जाता है.

ओबीसी (बी) लिस्ट के तहत आर्म्ड और अनआर्म्ड ब्रांच में हमें हिंदू ज्यादा मिले. अनुसूचित जाति और जनजाति की लिस्ट में भी किसी विशेष अल्पसंख्यक धर्म के कैंडिडेटों की संख्या ज्यादा नहीं थी.

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पुलिस भर्ती में 'तुष्टीकरण'?

ओबीसी (ए) मेरिट लिस्ट में ज्यादातर कैंडिडेट्स मुस्लिम समुदाय से ही क्यों हैं, ये समझने के लिए हमने राज्य सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट्स को देखा.

पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग की वेबसाइट पर, हमें एक पेज मिला. ये पेज 1994 से 'अन्य पिछड़ा वर्ग' कैटेगरी में जोड़ी गई जातियों को और हर समूह की अधिसूचना की जानकारी को दर्शाता है.

इसके अलावा, इस वेबसाइट पर राज्य में ओबीसी की लिस्ट, उनकी कैटेगरी ओबीसी (ए) और ओबीसी (बी) के हिसाब से देखी जा सकती है.

यहां, लिस्ट में मुस्लिम जातियों के ऊपर स्टार (तारांकन) लगाकर दिखाया गया है. इस लिस्ट में ये साफ तौर पर देखा जा सकता है कि 80 में से 72 जातियां ऐसी हैं जो ओबीसी (ए) के तहत आती हैं और मुस्लिम समुदाय से हैं. इसकी तुलना में ओबीसी (बी) में 91 में से 40 मुस्लिम जातियां हैं.

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ये सच नहीं है कि ओबीसी (ए) कैटेगरी के तहत ज्यादातर कैंडिडेट का चयन इसलिए हुआ है क्योंकि वो अल्पसंख्यक हैं. और न ही उनका चयन वोट बैंक की राजनीति की वजह से किया गया है. इस विशेष कैटेगरी में आने वाली करीब 90 प्रतिशत जातियां मुस्लिम समुदाय से हैं, इसलिए मेरिट सूची में उनका प्रभुत्व ज्यादा है.

मतलब साफ है कि ये दावा भ्रामक है कि तुष्टीकरण की राजनीति करके और विशेष समुदाय को तरजीह देकर पश्चिम बंगाल को 'नया कश्मीर' बनाया जा रहा है.

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