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बंगाल चुनाव में धर्म के आधार पर वोटों को दिखाता ये चार्ट फेक है

दावा किया जा रहा है कि बंगाल में TMC को 91% मुस्लिमों ने और BJP को 41.61% हिंदुओं ने वोट किया है

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राइट विंग की प्रोपेगेंडा वेबसाइट Postcard News ने पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर एक झूठा इन्फोग्राफ शेयर किया है. जिसमें बताया गया है कि, भारत के चुनाव आयोग ने कहा है कि हाल ही में हुए पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस (TMC) को 91 प्रतिशत मुस्लिमों ने वोट किया है. वहीं BJP को 41.6 प्रतिशत हिंदुओं ने वोट किया है.

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हालांकि, हमने चुनाव आयोग की वेबसाइट देखी और आधिकारिक प्रवक्ता से बात की. उन्होंने बताया कि किसी भी चुनाव के दौरान पोल बॉडी मतदाताओं की धर्म या जाति से संबंधित जानकारी न तो इकट्ठा करती है और न ही इसे शेयर करती है. हमें चुनाव आयोग की वेबसाइट में भी इस तरह का कोई क्लासिफिकेशन नहीं मिला.

Postcard News इससे पहले भी कई झूठी और भ्रामक खबरें शेयर कर चुका है. जिन्हें क्विंट की वेबकूफ टीम पड़ताल में खारिज कर चुकी है.

दावा

Postcard News ने ECI को कोट करते हुए ग्राफिक शेयर किया है, जिसमें लिखा है:

  1. 32.8% हिंदुओं ने वोट नहीं किया
  2. शहरी और अर्द्धशहरी क्षेत्रों के 25.5% हिंदुओं ने TMC,CPM, कांग्रेस, ISF और नोटा के लिए बटन दबाया
  3. 41.6% हिंदुओं ने बीजेपी को वोट किया
  4. 91% मुस्लिमों ने TMC को वोट किया
  5. 3% ने लेफ्ट पार्टियों, कांग्रेस, आईएसएफ और नोटा का बटन दबाया
  6. 1% ने बीजेपी को वोट किया

हमने मतदाताओं पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट देखी. हमें मतदाताओं के धर्म या जाति से जुड़ा कोई डेटा नहीं मिला.

चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, 292 सीटों में चुनाव हुए हैं और TMC ने 213 सीटों में जीत हासिल की है. बीजेपी को 77 सीटें मिली हैं, जबकि लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन को सिर्फ 1 सीट मिली है.

चुनाव आयोग के रिजल्ट पोर्टल में वोटों की संख्या और हर पार्टी को मिले वोट शेयर से जुड़ा डेटा दिया गया है. इसके अलावा, किस पार्टी ने कितनी सीटें जीतीं, निर्वाचन क्षेत्र, सभी कैंडिडेट के लिए राउंड वाइज रुझान और हर निर्वाचन क्षेत्र में जीत के रुझान से संबंधित डेटा दिया गया है.

हमने चुनाव आयोग की आधिकारिक प्रवक्ता शेफाली शरण से संपर्क किया, ताकि किए जा रहे दावे से जुड़ा सच जान सकें. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग धर्म के आधार पर डेटा नहीं रखता है.

शरण ने कहा ‘’चुनाव आयोग पुरुष, महिला, थर्ड जेंडर, वरिष्ठ नागरिक, ETPBS के लिए योग्य सर्विस वोटर्स, विदेशी वोटर, दिव्यांग व्यक्ति जैसी जनसांख्यिकीय कैटेगरी के आधार पर वर्गीकरण करता है, लेकिन धर्म के आधार पर कभी कोई वर्गीकरण नहीं करता है.’’
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हमने पिछले चुनावों परिणामों को भी देखा और पाया कि चुनाव आयोग ने मतदाता के धर्म के आधार पर कोई डेटा जारी नहीं किया.

इसके अलावा, भारत में गुप्त मतदान प्रणाली अपनाई जाती है. जिसका मतलब है कि चुनाव आयोग के साथ-साथ और भी कोई, मतदाताओं की चॉइस से जुड़ी कोई जानकारी नहीं रखेगा.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 में झारखंड के जिला चुनाव कार्यालय ने एक विशेष समुदाय के मतदाताओं की संख्या के बारे में पूछा था.

चुनाव आयोग ने एक प्रेस रिलीज में कहा, ‘’आयोग ये स्पष्ट करना चाहता है कि हम मतदाताओं के धर्म या जाति से जुड़ी जानकारी नहीं इकट्ठा करते. आयोग की ओर से निर्देशित किया जा चुका है कि इस तरह की जानकारी किसी भी चुनाव प्राधिकरण की ओर से इकट्ठा नहीं की जानी चाहिए.

मतलब साफ है कि ये दावा गलत है कि चुनाव आयोग ने मतदाताओं के धर्म के आधार पर डेटा जारी किया है.

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