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Covid: क्या XBB 'डेल्टा वैरिएंट से 5 गुना ज्यादा घातक' है? भ्रामक है वायरल मैसेज

डॉ. चंद्रकांत लहारिया का कहना है कि मैसेज का ज्यादातर हिस्सा गलत है.

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कोरोना (Corona) के XBB वैरिएंट को लेकर एक लंबा मैसेज सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.

क्या है दावा?: वायरल मैसेज में कोविड से जुड़ी गाइडलाइन को फॉलो करने के सुझाव के साथ-साथ XBB वेरिएंट को पहले से घातक और खतरनाक बताया गया है.

क्या लिखा है मैसेज में?:

  • मैसेज में XBB वैरिएंट के लक्षण बताते हुए लिखा गया है कि इसमें खांसी और बुखार नहीं होता.

  • वहीं जोड़ों, सिर, गर्दन और कमर में दर्द बहुत कम होता है.

  • ये वेरिएंट डेल्टा से 5 गुना ज्यादा घातक होता है और इसकी तुलना में मृत्युदर ज्यादा है.

  • बीमारी की गंभीरता बहुत जल्दी बढ़ जाती है और कभी-कभी इसके स्पष्ट लक्षण भी नहीं दिखते.

(ये दावा सोशल मीडिया और WhatsApp पर शेयर किया जा रहा है. ऐसे और भी पोस्ट के आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.)

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सच क्या है?: XBB कोरोना का नया वैरिएंट नहीं, बल्कि ओमिक्रॉन का ही सबवैरिएंट है. साथ ही, स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी ट्वीट कर इस मैसेज को फेक बताया है. एक्सपर्ट के मुताबिक भी वायरल मैसेज में किए गए ज्यादातर दावे गलत हैं.

क्या है XBB सबवैरिएंट? : कीवर्ड सर्च करने पर हमें वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की वेबसाइट पर 27 अक्टूबर 2022 को पब्लिश एक स्टेटमेंट मिला. जिसमें XBB और BQ.1 सबलीनिएज के बारे में बताया गया था.

  • इस स्टेटमेंट में XBB और BQ.1 को ओमिक्रॉन वैरिएंट का ही सबलीनिएज बताया गया है. यानी ये उसी वंश से संबंधित है.

  • साथ ही, ये भी बताया गया था कि XBB सबवैरिएंट ओमिक्रॉन वैरिएंट के BA.2.10.1 और BA.2.75 सबलीनिएज के रिकॉम्बिनेशन से बना है.

  • स्टेटमेंट के मुताबिक, अभी और स्टडी की जरूरत है. स्टेटमेंट बताया गया है कि 9 अक्टूबर तक ये सबवैरिएंट 35 देशों में पाया गया है. लेकिन, उस समय तक उपलब्ध डेटा ऐसा नहीं बताता कि ''XBB इनफेक्शन किसी और वैरिएंट से हुई बीमारी से ज्यादा गंभीर है.''

  • हालांकि, शुरुआती प्रमाण इस ओर इशारा करते हैं कि इस सबवैरिएंट से दूसरे ओमिक्रॉन सबलीनिएज की तुलना में दोबारा इनफेक्शन होने का जोखिम ज्यादा है. और दोबारा इनफेक्शन होने का खतरा उनको ज्यादा है, जिन्हें ओमिक्रॉन वैरिएंट के आने से पहले इनफेक्शन हुआ था.

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IHME के मुताबिक, पहले संक्रमित हो चुके लोगों पर कैसा है इसका वैरिएंट का असर?:

हमें इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स और इवैल्युएशन (IHME) का कोविड-19 से जुड़ी जानकारी वाला ब्लॉगपोस्ट भी मिला, जो 24 अक्टूबर को पब्लिश हुआ था. इसमें XBB को ''नया ओमिक्रॉन सबवैरिएंट'' बताया गया है.

  • इसके मुताबिक, जो लोग पहले ओमिक्रॉन (BA.5) वैरिएंट से इनफेक्टेड हो चुके थे. उनमें ''इस नए सबवैरिएंट के खिलाफ इम्यूनिटी रहेगी.''

  • ब्लॉग में ये भी बताया गया था कि ''नई एनालिसिस'' के मुताबिक, ओमिक्रॉन के जितने भी सबवैरिएंट हैं वो ओमिक्रॉन से पहले आ चुके वैरिएंट की तुलना में कम गंभीर हैं.

  • इसमें ये भी अनुमान लगाया गया था कि पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दियों के समय इस सबवैरिएंट से ज्यादा इनफेक्शन हो सकते हैं. हालांकि, इसे होने वाली मौतों की संख्या में ज्यादा वृद्धि नहीं होगी.

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फिजीशियन और एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. चंद्रकांत लहारिया का क्या है कहना?:

क्या वायरल मैसेज पूरी तरह से सच है?: डॉ. चंद्रकांत लहारिया का कहना है कि मैसेज का ज्यादातर हिस्सा गलत है. वो कहते हैं कि-

मैसेज में बताया गया है कि XBB से संक्रमित को खांसी-बुखार नहीं होता. असल में जिन लोगों को पहले इनफेक्शन हो चुका है या जिन्हें वैक्सीन लग चुकी है. अगर वो ओमिक्रॉन के किसी भी वैरिएंट से संक्रमित होते हैं, तो उनको भी खांसी-बुखार नहीं होगा.

क्या ओमिक्रॉन के पहले आए वैरिएंट से अलग है ये सब वैरिएंट?: ये BA.2 का सबवैरिएंट है. ये ओमिक्रॉन के पहले के वैरिएंट से ज्यादा अलग नहीं है. सच ये है कि किसी भी नए वैरिएंट में कुछ अलग तरह के म्यूटेशन यानी बदलाव होते हैं. थोड़ा-बहुत इम्यून इस्केप यानी एक शख्स को दोबारा इनफेक्शन हो सकता है. लेकिन ऐसा होने के चांसेज बहुत कम यानी 1 से 2 प्रतिशत ही हैं.

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क्या पहले के वैरिएंट से ज्यादा घातक है XBB?: डॉ. लहारिया ने हमें बताया, ''ऐसे लोग जो ओमिक्रॉन के किसी अन्य वैरिएंट से इनफेक्ट हो चुके हैं, उनके लिए भी इससे ज्यादा नुकसान नहीं हैं.''

किसके लिए खतरनाक हो सकता है ये वैरिएंट? :

  • ऐसे लोग जो पहले आए कोविड-19 के वैरिएंट से संक्रमित नहीं हुए हैं. उनके लिए कोई भी वैरिएंट खतरनाक हो सकता है.

  • XBB किसी अन्य वैरिएंट की तरह ही है. चिंता की जरूरत नहीं है. चीन में हाल में जो BF.7 वैरिएंट फैला हुआ है, वो सभी ओमिक्रॉन वैरिएंट ही हैं.

वायरल मैसेज को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय का क्या है कहना?:

हमें स्वास्थ्य मंत्रालय का 22 दिसंबर 2022 को किया गया एक ट्वीट भी मिला, जिसमें वायरल मैसेज की फोटो का इस्तेमाल कर इसे फेक और भ्रामक बताया गया है.

Conclusion?

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