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'सिर काट लो पर नहीं बढ़ेगा DA' ममता ने क्यों कहा? बंगाल के सरकारी खजाने का हाल

कर्मचारियों की मांग: केंद्र सरकार जितना DA अपने कर्मचारियों को दे रही हैं उतना ही DA बंगाल के कर्मचारियों को मिले.

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पश्चिम बंगाल (West Bengal) सरकार के कर्मचारियों ने 10 मार्च को कहा कि महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की मांग को लेकर एक दिन की हड़ताल कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. दरअसल कर्मचारी लंबे समय से महंगाई भत्ते (DA - Dearness Allowance) में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं. वहीं ममता बनर्जी ने कहा है कि इस दिन के लिए किसी को छुट्टी नहीं दी जाएगी. ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने यह भी साफ कर दिया कि वह डीए नहीं बढ़ाएंगी, भले ही कर्मचारी उनका सिर क्यों न काट लें.

आइए इस पूरे मुद्दे को आपको डिटेल में समझाते हैं और बताएंगे कि पश्चिम बंगाल और केंद्र अपने कर्मचारियों को कितना डीए देती है और बंगाल के पास वाकई डीए बढ़ाने का फंड है या नहीं?

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बंगाल में महंगाई भत्ता (डीए) बढ़ाने की मांग 18 सरकारी कर्मचारियों के संघ द्वारा की जा रही है. जिसमें लाखों कर्मचारी शामिल हैं. वे मानते हैं कि महंगाई भत्ता उनका अधिकार है और सरकार को महंगाई भत्ता बढ़ाना चाहिए.

कर्मचारी चाहते हैं कि केंद्र सरकार जितना डीए अपने कर्मचारियों को दे रही हैं उतना ही डीए बंगाल के कर्मचारियों को मिले.

ममता ने कहा मेरा सिर काट लो, लेकिन नहीं बढ़ेगा डीए 

ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार के पास कर्मचारियों को अधिक पैसे देने के लिए अब फंड नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर प्रदर्शन करने वाले कर्मचारी उनका सिर भी काट दें, तब भी सरकार उन्हें अधिक DA नहीं दे सकती.

''कर्मचारी कितना चाहते हैं? आपको कितने से संतुष्टि मिलेगी? मेरा सिर काट दें...उससे आप संतुष्ट हो जाएंगे? यदि आप मुझे पसंद नहीं करते हैं, तो मेरा सिर काट दें. लेकिन सरकार आपको और नहीं दे पाएगी.''
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल

केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल अपने कर्मचारी को कितना डीए देते हैं? 

पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार के कर्मचारी केंद्र सरकार के बराबर महंगाई भत्ता (डीए) बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को उनकी बेसिक सैलेरी का 38% डीए देती है. वहीं पश्चिम बंगाल 1 मार्च 2023 से अपने कर्मचारियों को 6% के रेट से डीए देगी. लेकिन इससे भी राज्य के कर्मचारी खुश नहीं हैं. एक्सप्रेस से बातचीत में साकेत चक्रवर्ती ने कहा:

"इस घोषणा के बाद भी राज्य के कर्मचारियों को मिलना वाले डीए और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाले डीए में 32% का अंतर है. अभी केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए और 4% डीए की घोषणा करेगी. इसके लागू होते ही अंतर बढ़कर 36% हो जाएगा. राज्य सरकार की यह घोषणा कर्मचारियों का अपमान है."
साकेत चक्रवर्ती, स्टेट गवर्नमेंट एंप्लॉइज काउंसिल के जनरल सेक्रेटरी
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महांगाई भत्ता क्या होता है?  

जितनी महंगाई बढ़ी उतनी सैलरी भी बढ़ेगी, ऐसा कोई प्रावधान तो होता नहीं है. इसलिए महंगाई भत्ता दिया जाता है ये वो पैसा होता है, जो महंगाई बढ़ने के बावजूद सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए दिया जाता है. महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशन धारकों को दिया जाता है.

देश की मौजूदा महंगाई दर के अनुसार हर 6 महीने पर डीए का गणित निकाला जाता है. भारत में दो तरह की महंगाई होती है. एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई यानी होलसेल. रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है. इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं.

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ये है पश्चिम बंगाल का हिसाब-किताब

  • पश्चिम बंगाल 17 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था है.

  • साल 2022-23 में राज्य की जीएसडीपी (वृद्धि दर) 10.6% रही.

  • राज्य सरकार को 60,541 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाना है.

  • साल 2023-24 में सरकार 2,78,622 करोड़ रुपये का कुल खर्च करेगी जो पिछले खर्च की तुलना में 8.6% ज्यादा है.

  • 2023-24 में सरकार ने 2,12,783 करोड़ की कमाई का अनुमान लगाया है.

  • सरकार का फिस्कल डेफिसिट यानी कुल घाटा जीएसडीपी का 3.8% है यानी 65,839 करोड़ रुपये के घाटे में है पश्चिम बंगाल सरकार.

  • साल 2023-24 में सरकार सैलेरी, पेंशन और ब्याज पर 1,31,192 करोड़ रुपये (अनुमानित आंकड़ा) खर्च करेगी.

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