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पश्चिम बंगाल के हुगली में हिंसा, इंटरनेट-दुकानें बंद, जमीन पर क्या है माहौल?

हुगली हिंसा को लेकर बीजेपी का आरोप- मस्जिद से फैंके गए पत्थर, मौलवी ने जुलूस में शामिल लोगों को ठहराया जिम्मेदार.

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पश्चिम बंगाल (West Bengal) के हुगली (Hugli) जिले में रिशरा के संध्या बाजार इलाके में जामा मस्जिद (Jama Masjid) के नीचे सिलाई का काम करने वाले मोहम्मद पप्पू ने कहा, "हम शांति से रहते हैं और यहां हमारी कई पीढ़ियां बरसों से रह रही हैं. लेकिन हमने पहले कभी सांप्रदायिक झड़पें नहीं देखी."

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रामनवमी के जुलूस के दौरान हावड़ा में भड़की हिंसा के कुछ दिनों बाद रविवार, 2 अप्रैल को कोलकाता से 25 किमी दूर रिशरा में सांप्रदायिक झड़पें हुईं. झड़पों में पांच पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 15 लोग घायल हुए, 25 से अधिक वाहनों में तोड़फोड़ भी की गई.

पप्पू ने कहा, "शुक्र है कि ज्यादातर दुकानदार रोजे के लिए अपने घर चले गए थे, क्योंकि यह रमजान का महीना है."

द क्विंट ने सोमवार, 3 अप्रैल को रिशरा का दौरा किया, स्थिति तनावपूर्ण बनी रही. हालांकि स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहीं, लेकिन कुछ इलाकों में पथराव की सूचना मिली, जहां स्थानीय पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े.

रविवार को क्या हुआ?

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बीजेपी समेत 13 अन्य हिंदू संगठनों द्वारा दो जुलूस आयोजित किए गए थे. आयोजकों के मुताबिक, पहला जुलूस शांतिपूर्ण ढंग से निकाला गया था, जबकि दूसरा जुलूस जो बीजेपी नेता दिलीप घोष के नेतृत्व में निकाली गई उस पर मस्जिद से पत्थर बरसाए गए. यह घटना शाम करीब 6 बजे की है जब जुलूस जामा मस्जिद के सामने से गुजर रहा था.

रिशरा के एनएस रोड से शुरू होने वाले इस जुलूस को जगन्नाथ स्नान घाट तक जाना था. यह शोभा यात्रा 3 किलोमीटर लंबी थी. भले ही रामनवमी गुरुवार, 30 मार्च को मनाई गई, लेकिन 'शोभा यात्रा' आमतौर पर त्योहार के कुछ दिनों बाद भी निकाली जाती हैं.

जुलूस में शामिल स्थानीय बीजेपी नेता मोहन अदोक ने इसे संगठित अपराध करार दिया है. उन्होंने कहा कि, “यह एक संगठित और पूर्व नियोजित अपराध था, क्योंकि मस्जिद से हम पर पत्थर फेंके गए थे और पुलिस मूकदर्शक बनी खड़ी रही. जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई तो वे भाग गए."

"सत्तारूढ़ पार्टी (पश्चिम बंगाल में) मुसलमानों में डर पैदा करने और अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को बचाने के लिए ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रही है. मैं पिछले 12 साल से जुलूस में हिस्सा ले रहा हूं लेकिन ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई. अब ऐसा क्यों हो रहा है?”
दिलीप घोष

हालांकि, अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने हिंसा के लिए रामनवमी के जुलूस में शामिल लोगों को जिम्मेदार ठहराया है.

मस्जिद के मौलाना (मौलवी) जाकिर हुसैन नूरी ने द क्विंट को बताया कि, “मस्जिद के समिति के सदस्य (शाम 6 बजे के आसपास) जुलूस का स्वागत कर रहे थे और बिल्कुल भी तनाव नहीं था. अचानक रैली में शामिल लोगों ने मस्जिद पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. मस्जिद के अंदर 20 लोग शाम की नमाज (नमाज) अदा करने के बाद अपना रोजा तोड़ने वाले थे, लेकिन हमने उन्हें अंदर ही रहने को कहा और दरवाजे बंद कर दिए."

हिंसा के एक दिन बाद भी मस्जिद के अंदर पत्थरों के टुकड़े देखे जा सकते हैं.

नूरी ने आगे आरोप लगाया कि भगवा झंडे लिए करीब 6 लोगों ने मस्जिद में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन गेट बंद होने के कारण वह अंदर नहीं घुस पाए.

संध्या बाजार निवासी मोहम्मद सरफराज अहमद ने आरोप लगाया कि रैली में शामिल लोगों के पास "छोटी रिवाल्वर" थी.

अहमद ने कहा कि, "हमने उन्हें बंदूक और तलवारें लिए हुए देखा. उनके पास एक छोटी रिवाल्वर थी जिसे वे हवा में लहरा रहे थे."

बता दें कि, स्थानीय बीजेपी नेता अदोक ने रैली में हथियार ले जाने के आरोपों का खंडन किया है.

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आगे क्या हुआ?

सोमवार को राज्य की पुलिस ने विपक्ष के नेता (बीजेपी) नेता सुवेंदु अधिकारी को हिंसा प्रभावित क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया.

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार पर आरोप लगाते हुए अधिकारी ने कहा, “हमारा धर्म त्योहारों के दौरान हमें हिंसक होने की अनुमति नहीं देता है. हम हमेशा शांत रहने की कोशिश करते हैं लेकिन इन सबके पीछे राज्य सरकार है क्योंकि वह अपना वोट बैंक बचाना चाहती है. ऐसी घटनाओं की निंदा करने के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं.”

इस बीच, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को भी हिंसा प्रभावित क्षेत्र में जाने से रोका गया, जिसके के बाद वे अपने समर्थकों के साथ सड़क पर बैठ गए.

उन्होंने आरोप लगाया कि, “पुलिस हमारे समर्थकों को उनके घरों से गिरफ्तार कर रही है, लेकिन वे उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही, जिन्होंने हम पर बम फेंके थे. यहां तक ​​कि हमारे पार्षद कार्यालय पर भी हमला किया गया है, लेकिन पुलिसकर्मियों ने कुछ नहीं किया है.”

बता दें कि इस मामले में अब तक, कम से कम 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

द क्विंट से बातचीत में चंदननगर पुलिस कमिश्नरेट के पुलिस कमिश्नर अमित पी जावलगी ने कहा, "हमने इलाके में धारा 144 लागू कर दी है और हिंसा में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है."

हालांकि स्थानीय लोगों ने पुलिस पर ज्यादती का आरोप लगाया है. मोहम्मद अफरोज ने कहा कि, “पुलिस रविवार रात से छापेमारी कर रही है और बिना किसी कारण के लोगों को गिरफ्तार कर रही है. हमने कुछ भी गलत नहीं किया है लेकिन फिर भी कल रात से हमारे घरों की तलाशी ली जा रही है. हम आज काम पर नहीं जा पाए हैं.”

बता दें कि, दिन में दुकानें बंद रहीं और देश की सबसे पुरानी जूट मिल रिशरा के वेलिंगटन जूट मिल में भी काम ठप रहा.

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