ADVERTISEMENTREMOVE AD

लॉस एंजेलिस से मुंबई तक.. गाड़ियों के प्रदूषण से 20 लाख बच्चों पर अस्थमा का साया

"हमने स्टडी में पाया कि NO2 बच्चों को अस्थमा के खतरे में डालता है और शहरों में ये समस्या विशेष रूप से तीव्र है."

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

लैंसेट के एक नए स्टडी के मुताबिक लॉस एंजेलिस से मुंबई तक वाहनों की वजह से बढ़ रहे वायु प्रदूषण की वजह से हर साल लगभग 20 लाख बच्चे दुनियाभर में अस्थमा का शिकार हो जाते हैं. अस्थमा एक पुरानी बीमारी है, जो फेफड़ों के वायुमार्ग में सूजन का कारण बनती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने नाइट्रोजन डाइऑक्साइड या NO2 का अध्ययन किया. यह एक प्रदूषक है जो वाहनों से, बिजली संयंत्रों और औद्योगिक स्थलों से निकलता है. उन्होंने 2000 से 2019 तक 13,000 से अधिक शहरों में बच्चों में अस्थमा के नए मामलों पर नजर रखी.

इस पर लिखे गए लेख के सह-मुख्य लेखक और यूनिवर्सिटी में पर्यावरण और व्यावसायिक स्वास्थ्य के प्रोफेसर सुसान एनेनबर्ग ने कहा, "हमने अध्ययन में पाया कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड बच्चों को अस्थमा के खतरे में डालता है और शहरों में ये समस्या विशेष रूप से तीव्र है."

वो आगे कहती हैं, "निष्कर्ष बताते हैं कि बच्चों को स्वस्थ रखने के उद्देश्य को हासिल करने के लिए स्वच्छ हवा देना महत्वपूर्ण होना चाहिए."

लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलै है कि 2019 में वैश्विक स्तर पर NO2 के कारण 18 लाख से ज्यादा नवजात बच्चे अस्थमा का शिकार हुए हैं. इनमें से दो-तिहाई शहरों में रहते हैं.

यूरोप और अमेरिका में वायु गुणवत्ता में सुधार के बावजूद दक्षिण एशिया, उप-सहारा अफ्रीकी और मध्य पूर्व में दूषित हवा और विशेष रूप से NO2 का प्रदूषण बढ़ रहा है. NO2 प्रदूषण से जुड़े बच्चों में अस्थमा के मामले दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में ज्यादा हैं.

2019 में 18 लाख मौतें वायु प्रदूषण से हुई

लैंसेट में ही प्रकाशित एक दूसरे स्टडी में यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ने बताया कि अकेले 2019 में 18 लाख अतिरिक्त मौतें शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण से हुई है.

रिसर्चर ने पाया कि दुनियाभर के शहरों में रहने वाले 86 प्रतिशत वयस्क और बच्चे वायु प्रदूषण में घूम रहे सूक्ष्म कणों के संपर्क में हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों के अनुसार ठीक नहीं है.

रिसर्चर ने कहा, "फॉसिल फ्यूल से चलने वाले वाहनों को कम करने से बच्चों और वयस्कों को आसानी से सांस लेने में मदद मिल सकती है. इससे बच्चों में बढ़ते अस्थमा के मामलों और इससे होने वाली मौतों में कमी आ सकती है. साथ ही, यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को भी कम करेगा जिससे एक अच्छा वातावरण बनेगा."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×