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25 US सांसदों का ट्रंप को खत- भारत की तरह TikTok पर करें कार्रवाई

‘अमेरिका को TikTok पर भरोसा नहीं करना चाहिए’

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अमेरिकी संसद के 25 सदस्यों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भारत की तरह चीन के ऐप्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है. संसद के इन सदस्यों ने 'TikTok के यूजर कंटेंट पर सेंसरशिप लगाने के जरिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की विदेश नीति को फायदा पहुंचाने' पर चिंता जाहिर की है. इन 25 सदस्यों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से 'अमेरिकी लोगों की निजता और सुरक्षा' की रक्षा करने के लिए 'ठोस कदम' उठाने की अपील की है.

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15 जुलाई को संसद के 25 सदस्यों ने राष्ट्रपति ट्रंप को एक खत भेजा जिसमें कहा गया कि भारत ने 'TikTok समेत चीन से जुड़े मोबाइल ऐप्स को राष्ट्र्रीय सुरक्षा कारणों से बैन' करने का 'असाधारण कदम' उठाया था. लेटर में कहा गया कि CCP का चीन की सरकार के लिए यूजर डेटा इकट्ठा करना सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है.

'अमेरिका को TikTok पर भरोसा नहीं करना चाहिए'

संसद सदस्यों ने अपने लेटर में लिखा, "ये साफ है कि अमेरिका को TikTok या किसी और भी चीनी ऐप या सोशल मीडिया वेबसाइट पर अमेरिकी लोगों के डेटा की सुरक्षा, निजता के लिए भरोसा नहीं करना चाहिए. हम अपील करते हैं कि CCP के हमारे देश के खिलाफ जासूसी के कैंपेन और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा में आप कड़े कदम उठाएं."

सदस्यों ने कहा कि वो ट्रंप प्रशासन के TikTok और चीन से जुड़ीं सोशल मीडिया वेबसाइट के अमेरिकी बाजार मे पहुंच बढ़ाने पर प्रतिबंध लगाने की कोशिशों को समर्थन देते हैं.

इन पॉपुलर ऐप्स की डेटा इकट्ठा करने की हरकतें और साथ में चीन के साइबरसिक्योरिटी कानूनों का हर चीनी कंपनी को यूजर डेटा CCP के साथ शेयर करने के लिए बाध्य करना अमेरिका के लिए बड़ा खतरा है. इसके अलावा TikTok के यूजर कंटेंट पर सेंसरशिप लगाकर CCP के विदेश नीति लक्ष्यों को आगे बढ़ाना भी परेशान करने वाली बात है. लीक हुए डॉक्युमेंट्स से पता चलता है कि ऐप तियानमेन स्क्वायर, तिब्बत की आजादी, या प्रतिबंधित धार्मिक समुदायों की वीडियो पर बैन लगाता है.
अमेरिकी संसद के 25 सदस्यों का लेटर

भारत ने लगाया था 59 चीनी ऐप्स पर बैन

केंद्र सरकार ने 29 जून को TikTok , वीचैट, यूसी ब्राउजर जैसे 59 चीनी ऐप पर बैन लगा दिया था. सरकार ने कहा था, "हमारे पास विश्वसनीय सूचना है कि ये ऐप ऐसे गतिविधि में लगे हुए थे, जिससे हमारी संप्रभुता और अखंडता और रक्षा को खतरा था, इसलिए ये कदम उठाए गए हैं.''

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