अफगानिस्तान (Afghanistan) के बिगड़ते हालात देखकर राजधानी काबुल (Kabul) के भविष्य की चिंता बढ़ गई है. तालिबान (Taliban) एक के बाद एक प्रांतीय राजधानी अपने कब्जे में कर रहे हैं. अमेरिकी सेना की वापसी के बीच अफगानिस्तान एक बार फिर अशांति और हिंसा के दौर में चला गया है. इसी बीच अमेरिकी इंटेलिजेंस का काबुल को लेकर परेशान करने वाला अनुमान सामने आया है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने इंटेलिजेंस का जिक्र करते हुए कहा कि तालिबान अगले 90 दिनों में काबुल पर कब्जा कर सकते हैं. अधिकारी का कहना है कि अगले 30 दिनों में तालिबान काबुल को अलग-थलग कर सकता है.
अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर रॉयटर्स से कहा काबुल पर नया आकलन तालिबान के बढ़ते क्षेत्रीय कब्जे की वजह से आया है. हालांकि, उनका कहना है कि अगर अफगान सुरक्षा बल प्रतिरोध तेज करते हैं तो इसे रोक सकते हैं.
तीन और प्रांतीय राजधानी तालिबानी नियंत्रण में
तालिबान अब तक कुल नौ प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर चुके हैं. 11 अगस्त से पहले तक तालिबान के कब्जे में सिर्फ 6 राजधानी थीं, लेकिन बदख्शां, बगलान और फराह प्रांत की राजधानियों पर नियंत्रण पाने के बाद स्थिति और खराब हो गई है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान का अब अफगानिस्तान के 65 फीसदी क्षेत्र पर नियंत्रण है. उत्तरपूर्वी प्रांत बदख्शां की राजधानी फैजाबाद 11 अगस्त को संगठन के कब्जे में जाने वाली नौवीं प्रांतीय राजधानी बनी.
कंधार शहर में लड़ाई बड़े स्तर पर चल रही है. हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्करगाह में भी कई दिनों से संघर्ष चल रहा है. काबुल आने वाले सभी रास्तों पर हिंसा से दूर भाग रहे नागरिकों की बड़ी संख्या जमा है.
राष्ट्रपति मजार-ए-शरीफ पहुंचे
राष्ट्रपति अशरफ गनी के लिए परिस्थिति हाथों से निकलती जा रही है. ज्यादा से ज्यादा प्रांतीय राजधानी तालिबान के नियंत्रण में जाने से गनी सरकार शांति वार्ता में कमजोर पड़ सकती है.
तालिबान की रफ्तार देखते हुए अशरफ गनी मजार-ए-शरीफ पहुंच गए हैं. गनी इस शहर की सुरक्षा के लिए पुराने वारलॉर्डस से मिल रहे हैं. 90 के दशक में भी ज्यादातर संघर्ष तालिबान और वारलॉर्डस के बीच देखा जाता था.
हालांकि, गनी ने राष्ट्रपति बनने के बाद इन्हीं वारलॉर्डस को किनारे किया था. बिना ऐसे किए उनके लिए केंद्रीय सरकार चलाना मुश्किल हो जाता क्योंकि कई प्रांतों में वारलॉर्डस सामांतर सरकार चलाते थे.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 10 अगस्त को कहा कि वो अफगानिस्तान से सेना वापसी के अपने फैसले पर 'पछता नहीं रहे हैं.' बाइडेन ने अफगान नेताओं से अपने देश के लिए लड़ने की अपील की.
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