अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पश्चिमी हिस्से में 6 मार्च को एक राजनीतिक रैली के दौरान हुई गोलीबारी में 32 लोगों की मौत हो गई है, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए हैं. अधिकारियों के मुताबिक, पुलिस ने 2 हमलावरों को मार गिराया है. इस्लामिक स्टेट ग्रुप ने अपनी वेबसाइट पर इस हमले की जिम्मेदारी ली है.
इस हमले ने अफगानिस्तान की राजधानी के बेहद कड़ी सुरक्षा वाले इलाके में सुरक्षा की कमी को उजागर किया है वह भी तब जब 29 फरवरी को अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते के मुताबिक 14 महीनों के अंदर विदेशी बलों की देश से वापसी होनी है.
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता नसरत रहीमी ने कहा कि मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
यह हमला हाजरा जातीय समुदाय से आने वाले राजनेता अब्दुल अली माजारी की स्मृति में आयोजित एक समारोह के दौरान किया गया. इस समुदाय के अधिकांश लोग शिया हैं.
इस्लामिक स्टेट के एक समूह ने पिछले साल इसी समारोह में हमले का दावा किया था और तब एक के बाद एक दागे गए कई मोर्टार की वजह से कम से कम 11 लोगों की जान गई थी.
राष्ट्रपति अशरफ गनी ने नरसंहार की निंदा करते हुए इसे “मानवता के खिलाफ अपराध” करार दिया है. समारोह में अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला समेत देश के कई शीर्ष नेता शामिल हुए. गृह मंत्रालय ने बाद में संवाददाता से इस बात की पुष्टि की कि “सभी उच्च पदस्थ अधिकारियों को मौके से सुरक्षित निकाल लिया गया.” हाजरा नेता मोहम्मद मोहाकिक ने तोलो न्यूज को बताया कि गोलियां चलने के बाद वह समारोह से निकल गए थे.
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