क्षेत्र से आती भयानक तस्वीरों के पीछे 2.5 लाख ऐसे अफगानियों का दर्द है जो मई से अब तक अपना घर छोड़ अपने ही देश में रिफ्यूजी हो गए हैं.संयुक्त राष्ट्र रिफ्यूजी एजेंसी का कहना है कि इनको डर है कि तालिबान इस्लाम की अपनी सख्त और निर्मम व्याख्या को फिर से लागू करेगा और महिलाओं के अधिकारों को खत्म कर देगा. विस्थापितों में अस्सी प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं.
तालिबान अब राजधानी काबुल से महज 50 किलोमीटर दूर हैं.पूरी दुनिया की निगाहें अब अफगानिस्तान की ओर हैं.जिस लोकतंत्र की कतिथ स्थापना के लिये अमेरिका 20 सालों तक तालिबान से लड़ता रहा ,उसके पीछे हटने के 20 दिन के अंदर लोकतंत्र लगभग खत्म होने को है.बदलते अफगानिस्तान और बिना अधिकार के साथ जीने को जूझते लोगों की कुछ तस्वीरें अपनी कहानी खुद बयां कर रही हैं. आईये नजर डालते है.
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