अफगानिस्तान में तालिबान के राज (Taliban In Afghanistan) और राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) के देश छोड़ के भाग जाने के बाद, देश के उप-राष्ट्रपति ने कहा है कि वो तालिबान के सामने कभी नहीं झुकेंगे. 15 अगस्त को तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद, उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने कहा कि वो उन लाखों लोगों को कभी निराश नहीं करेंगे, जिन्होंने उनकी बात सुनी.
उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने कहा, "मैं तालिबान के आतंकियों के आगे किसी भी परिस्थिति में नहीं झुकूंगा. मैं अपने नायक अहमद शाह मसूद, कमांडर, लेजेंड और गाइड की आत्मा और विरासत के साथ कभी विश्वासघात नहीं करूंगा. मैं उन लाखों लोगों को निराश नहीं करूंगा, जिन्होंने मेरी बात सुनी. मैं तालिबान के साथ कभी भी एक छत के नीचे नहीं रहूंगा. कभी नहीं."
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्वीट के एक दिन बाद, सालेह की अपने मेंटर और नामी एंटी-तालिबान फाइटर अहमद शाह मसूद के बेटे के साथ पंजशीर में मुलाकात की तस्वीरें सामने आईं.
सालेह और मसूद के बेटे, जो एक मिलिशिया बल की कमान संभालते हैं, विजयी तालिबान का मुकाबला करने के लिए गुरिल्ला आंदोलन के लिए टुकड़ी तैयार कर रहे हैं.
कौन हैं सालेह?
छोटी उम्र में अनाथ हुए सालेह ने पहली बार 1990 के दशक में गुरिल्ला कमांडर मसूद के साथ लड़ाई लड़ी थी. 1996 में तालिबान के काबुल पर कब्जा करने से पहले, सालेह ने मसूद की सरकार में अपनी सेवा भी दी थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, सालेह ने कहा था कि कट्टरपंथियों ने उनकी तलाश के लिए उनकी बहन को प्रताड़ित किया था.
सालेह ने पिछले साल टाइम मैगजीन के संपादकीय में लिखा था, "1996 में जो हुआ उसके कारण तालिबान के बारे में मेरा नजरिया हमेशा के लिए बदल गया."
11 सितंबर के आतंकी हमले के बाद, सालेह, सीआईए के लिए जरूरी एसेट बन गए थे. इसके कारण, 2004 में अफगानिस्तान की नई खुफिया एजेंसी, नेशनल सिक्योरिटी डायरेक्टोरेट (NDS) का नेतृत्व उन्हें मिला.
माना जाता है कि NDS प्रमुख सालेह ने पाकिस्तान और सीमा पार मुखबिरों और जासूसों का एक विशाल नेटवर्क जमाया था, जहां पश्तो बोलने वाले एजेंट तालिबान नेताओं पर नजर रखते थे.
2010 में, काबुल शांति सम्मेलन पर अपमानजनक हमले के बाद उन्हें अफगानिस्तान के जासूस प्रमुख के रूप में बर्खास्त कर दिया गया था.
मार्च 2017 में, राष्ट्रपति अशरफ गनी ने उन्हें सुरक्षा सुधार राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था. दिसंबर 2018 में, गनी ने उन्हें आंतरिक मंत्री के रूप में नियुक्त किया. अशरफ गनी की चुनावी टीम में शामिल होने के लिए 19 जनवरी, 2019 को आंतरिक मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. वो 19 फरवरी 2020 से अफगानिस्तान के उप-राष्ट्रपति थे.
पंजशीर घाटी पर नहीं कर पाया कोई कब्जा
राजधानी काबुल से 150 किलोमीटर की दूरी पर, हिंदु कुश पहाड़ियों के पास बसी पंजशीर घाटी ने सोवियत यूनियन से लेकर तालिबान का मुकाबला किया है. 90 के दशक में पंजशीर घाटी ने मसूद की अगुवाई में तालिबान का मुकाबला किया था. अगस्त 2021 में तालिबान ने लगभग पूरे देश पर कब्जा कर लिया है, लेकिन पंजशीर घाटी अभी भी इसकी पहुंच से दूर है.
एक स्थानीय ने AFP से कहा, "हम तालिबान को पंजशीर में घुसने नहीं देंगे और अपनी पूरी ताकत से विरोध करेंगे और उनसे लड़ेंगे."
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