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अफगानिस्तान में मारा गया अल कायदा आतंकी आसिम, UP से की थी पढ़ाई

देवबंद की दारुल उलूम यूनिवर्सिटी से की थी ग्रेजुएशन की पढ़ाई

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आतंकी संगठन अल कायदा के इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) चीफ को अफगानिस्तान में मार गिराया गया है. अमेरिकी और अफगानिस्तानी सैनिकों के ज्वाइंट ऑपरेशन में आतंकी मौलाना आसिम उमर को मार गिराया गया. खास बात ये है कि आतंकी आसिम उमर भारतीय मूल का था. बताया गया है कि आसिम उत्तर प्रदेश के संभल जिले का रहने वाला था. लेकिन बाद में वो पाकिस्तान जाकर आतंकी बन गया.

AQIS के आतंकी आसिम उमर के साथ उसके 6 साथियों को भी मार दिया गया है. जिनमें से ज्यादातर पाकिस्तानी मूल के हैं. ये सभी अफगानिस्तान में तालिबान के एक अड्डे में छिपे हुए थे.
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यूपी का सनाउल हक कैसे बना आसिम उमर

आतंकी आसिम उमर का जन्म भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में हुआ था. जहां उसका नाम सनाउल हक था. सनाउल हक ने साल 1991 में देवबंद की दारुल उलूम यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. जिसके बाद वो आगे की पढ़ाई करने पाकिस्तान चला गया. जहां उसने नौशेरा की दारुल उलूम हकनिया यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. जिसे बाद में यूनिवर्सिटी ऑफ जिहाद के नाम से भी लोग जानने लगे. यहीं से सनाउल हक का आतंकी बनने का सफर शुरू हुआ. जिसके बाद उसे मौलाना आसिम उमर के नाम से लोग जानने लगे.

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2014 में बनाया आतंकी संगठन

मौलाना आसिम उमर ने 2014 में अपना एक आतंकी संगठन बनाने की तैयारी की. उसने अल कायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) बनाया. बता दें कि इस आतंकी संगठन का नाम तब खुलकर सामने आया जब सितंबर 2014 में अल कायदा ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि भारत, म्यांमार और बांग्लादेश में लड़ाई लड़ने के लिए अल कायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) बना दिया गया है.

आसिम उमर को अमेरिका ने ग्लोबल टेररिस्ट की कैटगरी में डाल दिया था. उसके संगठन अल कायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) को साल 2016 में विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया था.
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कई हमलों को दिया अंजाम

आतंकी संगठन अल कायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) ने कई हमलों को अंजाम दिया था. सितंबर 2014 में इस संगठन ने कराची नेवल डॉकयार्ड में किए गए हमले की जिम्मेदारी ली थी. जिसमें आतंकियों ने पाकिस्तानी नेवी के लड़ाकू जहाज को हाईजैक करने की कोशिश की थी. इसके अलावा इस संगठन का नाम बांग्लादेश के कई एक्टिविस्ट और राइटर्स की हत्याओं में भी सामने आया था. इसमें अमेरिकी नागरिक अविजीत रॉय, यूएस एंबेसी के कर्मचारी जुलाह मनन और बांग्लादेशी नागरिक ओयसिकुर रहमान बाबू, अहमद रजीब हैदर और एकेएम शफील इस्लाम की हत्याएं भी शामिल हैं.

अमेरिका लगातार ऐसे आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करता आया है. अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिक लंबे समय से तालिबान और ऐसे आतंकी संगठनों से लड़ रहे हैं. साल 2015 में भी अमेरिकी आर्मी ने कांधार में AQIS से जुड़े एक ठिकाने पर हमला किया था. बताया गया था कि इस हमले में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे.

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