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रूस के ड्यूमा चुनाव में पुतिन की पार्टी पर धोखाधड़ी जैसे कई गंभीर आरोप

Germany समेत कई अन्य देशों ने भी रूस में हुए चुनावों पर सवाल खड़े किए है

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रूसी ड्यूमा चुनावों (Russian elections) में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरतने की विश्वसनीय रिपोर्ट हैं. ये दावा जर्मन (German) सरकार के एक प्रवक्ता ने किया है.

रूस की सत्तारूढ़ यूनाइटेड रशिया पार्टी (URP), जो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) का समर्थन करती है, उसने चुनाव के बाद अपने विपक्षी दल पर बड़ी जीत हासिल करने के बाद अपने संसदीय बहुमत को बरकरार रखा है, लेकिन विरोधियों ने इसमें बड़ी धोखाधड़ी का आरोप लगाया है.

पुतिन विरोधियों के आरोप

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विरोधियों ने सोमवार को रूसी अधिकारियों पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया, क्योंकि सत्तारूढ़ संयुक्त रूस पार्टी (URP) जो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Putin) का समर्थन करती है उसने रूस में आमजनों का मुश्किल जीवन स्तर होने के बावजूद उम्मीद से अधिक संसदीय बहुमत हासिल किया.

99 प्रतिशत वोटों की गिनती के साथ 'केंद्रीय चुनाव आयोग' ने कहा कि संयुक्त रूस (United Russia) ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, कम्युनिस्ट पार्टी के साथ, केवल 19 प्रतिशत से कम मत प्राप्त करते हुए, लगभग 50 प्रतिशत वोट जीते थे. जीत के पैमाने का मतलब है कि संयुक्त रूस के पास संसद के 450 सीटों वाले स्टेट ड्यूमा के निचले सदन में दो-तिहाई से अधिक प्रतिनिधि होंगे. यह अन्य पक्षों का सहारा लिए बिना कानून बनाने की ओर जारी रहेगा.

यूनाइटेड रशिया (United Russia) पार्टी को पुतिन ने खोजने में मदद की. इस पार्टी की हमेशा जीतने की उम्मीद की गई थी.

इसके सबसे मुखर आलोचक जेल में बंद 'क्रेमलिन' के आलोचक 'एलेक्सी नवालनी' के सहयोगियों को जून में एक अदालत द्वारा चरमपंथी करार दिए जाने के बाद चुनाव में भाग लेने से रोक दिया गया था.

चुनाव से पहले होने वाले सर्वे ने सुझाव दिया था कि वर्षों से लड़खड़ाते जीवन स्तर और भ्रष्टाचार के आरोपों से असंतोष यूनाइटेड रशिया के समर्थन में इस बार सेंध लगेगी.

अंतिम आधिकारिक परिणामों ने दिखाया कि यह पिछली बार 2016 के चुनाव की तुलना में लगभग 4 प्रतिशत कम वोट हासिल कर रहा था.

बाकी देशों ने भी चुनाव प्रक्रिया पर उठाए सवाल

अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि चुनाव की स्थिति स्वतंत्र और निष्पक्ष कार्यवाही के लिए अनुकूल नहीं थी. ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने इन चुनाव को लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के लिए एक झटका कहा और यूरोपीय संघ (EU) की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा कि ब्लॉक ने गंभीर उल्लंघन की रिपोर्ट की.

पुलिस ने देखा की 200 से अधिक कम्युनिस्ट प्रदर्शनकारी जिन्होंने ठगा हुआ महसूस किया सोमवार शाम को मास्को में एक प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए थे.

रूस की राजधानी में संयुक्त रूस का विरोध करने वाले उम्मीदवार 15 चुनावी जिलों में से आधे से अधिक में आगे थे, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मतदाताओं को जोड़ने के बाद सभी हार गए. कम्युनिस्ट उम्मीदवार वालेरी रश्किन (Rushkin) ने कहा कि, "यह एक अपमान और एक वास्तविक अपराध है!"

वालेरी रश्किन (Rushkin) ने भीड़ से कहा कि उनकी पार्टी तब तक विरोध करती रहेगी, जब तक कि वह गलत इलेक्ट्रॉनिक मॉस्को परिणाम को उलट नहीं देते. रश्किन ने कहा कि प्रदर्शनकारी शनिवार को वापस आएंगे.

ल्युबोव सोबोल (Sobol) जो कि नावालनी की भागीदार है, उसने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में उल्लंघनों के साथ, राज्य ड्यूमा चुनावों के परिणामों को स्वच्छ, ईमानदार या वैध के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती है.

सोबोल ने खुद संसद के लिए रेस की उम्मीद की थी, लेकिन उग्रवाद के पदनाम के बाद नवालनी के सहयोगियों को भाग लेने से रोक दिया गया था. चुनाव अभियान में महत्वपूर्ण मीडिया और गैर-सरकारी संगठनों को भी अधिकारियों ने निशाना बनाया.

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पुतिन की 'लोकप्रियता' या 'तानाशाही'

चुनावी परिणाम से राजनीतिक दशा के बदलने की कोई संभावना नहीं है. पुतिन जो 1999 से राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के रूप में सत्ता में हैं वो 2024 में अगले राष्ट्रपति चुनाव से पहले अभी भी हावी हैं.

मॉस्को के एक पेंशनधारी ने अनातोली के रूप में अपना नाम बताया और उसने कहा कि उसने संयुक्त रूस को वोट दिया क्योंकि उसे रूस की सही महान शक्ति की स्थिति के रूप में देखे जाने वाले पुतिन के प्रयासों पर गर्व था.

मॉस्को के एक हेयरड्रेसर, जिसने अपना नाम इरीना बताया, तानाशाही रैवये की ओर इशारा करते हुए कहा कि, "मेरे वोट देने का कोई मतलब नहीं दिख रहा है वैसे भी हमारे लिए पहले से सब तय किया गया है."

(इनपुट्स- रॉयटर्स)

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