दुनिया में अलग-अलग देशों और धर्मों में अलग-अलग तरीकों से अंतिम संस्कार किया जाता है. कहीं शव को दफनाया जाता है, तो कहीं जलाया जाता है. भारत में भी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरे रीति रिवाज के साथ की जाती है, लेकिन क्या हो अगर मरने के बाद शरीर को दफनाने या जलाने की बजाय इससे खाद बना दिया जाए?
जी हां! अब ये भी मुमकिन है. डेड बॉडी से खेती के लिए खाद बनाना अभी भारत में तो शुरू नहीं हुआ है, लेकिन अमेरिका में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है.
अब यहां मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए सिर्फ गोबर और दूसरे केमिकल युक्त फर्टिलाइजर का प्रयोग ही नहीं, बल्कि डेड बॉडी से बने खाद का प्रयोग भी किया जाएगा.
पर्यावरण में होगी कार्बन की मात्रा कम
अमेरिका का वॉशिंगटन इस बिल को कानूनी तौर पर मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला राज्य बन गया है. इससे अंतिम संस्कार के समय रिलीज होने वाले कार्बन में कमी आएगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी. इस प्रक्रिया को री-कम्पोजिशन कहा जाता है.
इसकी फाउंडर कैटरीना स्पेड ने इस पहल को वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी की मदद से डेवेलप किया है, जिन्होंने बॉडी डोनर्स के साथ क्लीनिकल ट्रायल किया.
इस प्रक्रिया में किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, जिससे पर्यावरण के लिए ये एकदम अनुकूल है.
कैसे होगा री-कम्पोजिशन
री-कम्पोजिशन के लिए डेड बॉडी को एक स्टील के बक्से में, अल्फाल्फा और लकड़ी के बुरादे के साथ डाला जाता है. प्रोसेसिंग के लिए इसे तीस दिन के लिए रखा जाता है और इसके बाद डेड बॉडी गमलो में डाली जाने वाली मिट्टी में परिवर्तित हो जाती है. इस प्रक्रिया में किसी भी केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता, सिर्फ नेचुरल प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल किया जाता है.
होगा भूमि का सही प्रयोग
वॉशिंगटन में हर साल 75 % लोगों को दफनाया या उनका अंतिम संस्कार किया जाता. दोनों ही प्रक्रिया में भूमि का प्रयोग होता है. डेड बॉडी से बने फर्टिलाइजर से मिट्टी का उपजाऊपन तो बढ़ेगा ही, साथ ही कब्रिस्तान भी कम बनाने पड़ेंगे.
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