America Presidential Election 2024: अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए रेस शुरू हो चुकी है. चुनाव के मैदान में डेमोक्रेटिक पार्टी से जो बाइडेन और रिपब्लिकन पार्टी से डोनाल्ड ट्रंप हैं. हालांकि रिपब्लिकन पार्टी के कन्वेंशन में ही ट्रंप के नाम का आधिकारिक ऐलान किया जाएगा.
प्राइमरी इलेक्शन के शुरुआती दौर में ट्रंप का नाम सबसे पीछे चल रहा था लेकिन आयोवा राज्य में कॉकस का चुनाव जीतने के बाद उनकी दावेदारी बढ़ने लगी. इसके उनकी पार्टी से विवेक रामास्वामी और हाल ही में निक्की हेली का रेस से बाहर हो जाना उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ.
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, बाइडेन और ट्रंप को पार्टी डेलिगेट्स का समर्थन मिल गया है. बाइडेन को डेमोक्रेटिक पार्टी से प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट बनने के लिए कुल 1,969 वोट चाहिए थे, लेकिन उन्हें 2,107 वोट मिले हैं. वहीं ट्रंप को 1,215 डेलिगेट्स समर्थन चाहिए था लेकिन उन्हें 1,228 वोट मिले.
इसके बाद अब दोनों पार्टियों के बीच राष्ट्रपति पद के लिए रेस होगी. लेकिन अमेरिकी चुनाव की प्रकिया इतना आसान नहीं है जितना आप समझ रहे हैं. इस प्रकिया में महीनों का समय लगता है. राजनीतिक पार्टियों में उम्मीदवारों के नाम तय होने में प्राइमरी और कॉकस चुनाव होते हैं, फिर जाकर कहीं उम्मीदवारों का नाम तय हो पाता है.
अमेरिका में कैसे चुना जाता है राष्ट्रपति? आसान भाषा में समझें बाइडेन vs ट्रंप का मुकाबला
1. कब होगा अमेरिका में चुनाव?
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव नवंबर के पहले सोमवार के अगले दिन यानी मंगलवार को होता है. इस बार ये तारीख 5 नवंबर को पड़ रही है. अमूमन चुनाव वाले दिन ही नतीजों की घोषणा हो जाती है. इसके बाद जनवरी के महीने में नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाया जाता है.
इसके बाद राष्ट्रपति को एक परेड में व्हाइट हाउस ले जााया जाता है.
Expand2. कैसे होता है अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव?
अमेरिका में सिर्फ दो पार्टियों का दबदबा है. इन्हीं दो पार्टियों में से किसी एक पार्टी का उम्मीदवार चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति बनता है.
अमेरिकी नागरिक अपने राष्ट्रपति का चुनाव सीधे तौर पर पॉप्यूलर वोट्स के जरिए नहीं कर सकते हैं. अमेरिका में अप्रत्यक्ष चुनाव का सहारे राष्ट्रपति को चुना जाता है. यानी ऐसा जरूरी नहीं है कि जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट मिले वह चुनाव जीत ही जाएगा.
राष्ट्रपति को वोट देने के लिए एक इलेक्टोरल कॉलेज होता है. हर राज्य में एक तय संख्या में इलेक्टोरल कॉलेज के वोट होते हैं. वोट की वैल्यू राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करती है.
अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज में कुल 538 वोट होते हैं. किसी भी उम्मीदवार को जीतने के लिए 270 से ज्यादा वोटों की जरूरत होती है.
हर वोट राज्य स्तर पर कराए गए चुनावों में एक प्रतिनिधि को चुनता है, एक बार जब इलेक्टोरल कॉलेज के लिए प्रतिनिधि चुन लिए जाते हैं तब वे राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. अमेरिकी चुनाव में विनर टेक्स ऑल नियम से चुनाव होता है, यानी किसी राज्य में कोई एक दल जीत जाता है तो बाकी के सभी सीटें भी उसी की हो जाएंगी.
अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज में 538 इलेक्टर्स होते हैं. दरअसल, ये संख्या अमेरिका के दोनों सदनों की संख्या का जोड़ है. अमेरिकी सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स यानी प्रतिनिधि सभा और सीनेट का जोड़ है. प्रतिनिधि सभा में 435 सदस्य होते हैं, जबकि सीनेट में 100 सांसद. इन दोनों सदनों को मिलाकर संख्या होती है 535. अब इसमें 3 सदस्य और जोड़ दीजिए. ये तीन सदस्य आते हैं अमेरिका के 51वें राज्य कोलंबिया से. इस तरह कुल 538 इलेक्टर्स अमेरिकी राष्ट्रपति चुनते हैं.
Expand3. रेड, ब्लू और स्विंग स्टेट क्या होते हैं?
अमेरिका का हर राज्य किसी दल के प्रभाव की वजह से जाना जाता है. जिन राज्यों में डेमोक्रेट्स पार्टी का ज्यादा प्रभाव होता है उसे ब्लू स्टेट कहते हैं. रिपब्लिकन पार्टी के प्रभाव वाले राज्यों को रेड स्टेट कहा जाता है. इसमें कुछ राज्य ऐसे भी होते हैं जिसके बारे में चुनाव से पहले कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि यहां के नतीजे अनिश्चित होते हैं, इसे स्विंग स्टेट कहा जाता है.
फ्लोरिडा और ओहियो को स्विंग स्टेट माना जाता है. हालांकि हर चुनाव में स्विंग स्टेट का नाम जुड़ता या हटता रहता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
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कब होगा अमेरिका में चुनाव?
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव नवंबर के पहले सोमवार के अगले दिन यानी मंगलवार को होता है. इस बार ये तारीख 5 नवंबर को पड़ रही है. अमूमन चुनाव वाले दिन ही नतीजों की घोषणा हो जाती है. इसके बाद जनवरी के महीने में नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाया जाता है.
इसके बाद राष्ट्रपति को एक परेड में व्हाइट हाउस ले जााया जाता है.
कैसे होता है अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव?
अमेरिका में सिर्फ दो पार्टियों का दबदबा है. इन्हीं दो पार्टियों में से किसी एक पार्टी का उम्मीदवार चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति बनता है.
अमेरिकी नागरिक अपने राष्ट्रपति का चुनाव सीधे तौर पर पॉप्यूलर वोट्स के जरिए नहीं कर सकते हैं. अमेरिका में अप्रत्यक्ष चुनाव का सहारे राष्ट्रपति को चुना जाता है. यानी ऐसा जरूरी नहीं है कि जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट मिले वह चुनाव जीत ही जाएगा.
राष्ट्रपति को वोट देने के लिए एक इलेक्टोरल कॉलेज होता है. हर राज्य में एक तय संख्या में इलेक्टोरल कॉलेज के वोट होते हैं. वोट की वैल्यू राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करती है.
अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज में कुल 538 वोट होते हैं. किसी भी उम्मीदवार को जीतने के लिए 270 से ज्यादा वोटों की जरूरत होती है.
हर वोट राज्य स्तर पर कराए गए चुनावों में एक प्रतिनिधि को चुनता है, एक बार जब इलेक्टोरल कॉलेज के लिए प्रतिनिधि चुन लिए जाते हैं तब वे राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. अमेरिकी चुनाव में विनर टेक्स ऑल नियम से चुनाव होता है, यानी किसी राज्य में कोई एक दल जीत जाता है तो बाकी के सभी सीटें भी उसी की हो जाएंगी.
अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज में 538 इलेक्टर्स होते हैं. दरअसल, ये संख्या अमेरिका के दोनों सदनों की संख्या का जोड़ है. अमेरिकी सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स यानी प्रतिनिधि सभा और सीनेट का जोड़ है. प्रतिनिधि सभा में 435 सदस्य होते हैं, जबकि सीनेट में 100 सांसद. इन दोनों सदनों को मिलाकर संख्या होती है 535. अब इसमें 3 सदस्य और जोड़ दीजिए. ये तीन सदस्य आते हैं अमेरिका के 51वें राज्य कोलंबिया से. इस तरह कुल 538 इलेक्टर्स अमेरिकी राष्ट्रपति चुनते हैं.
रेड, ब्लू और स्विंग स्टेट क्या होते हैं?
अमेरिका का हर राज्य किसी दल के प्रभाव की वजह से जाना जाता है. जिन राज्यों में डेमोक्रेट्स पार्टी का ज्यादा प्रभाव होता है उसे ब्लू स्टेट कहते हैं. रिपब्लिकन पार्टी के प्रभाव वाले राज्यों को रेड स्टेट कहा जाता है. इसमें कुछ राज्य ऐसे भी होते हैं जिसके बारे में चुनाव से पहले कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि यहां के नतीजे अनिश्चित होते हैं, इसे स्विंग स्टेट कहा जाता है.
फ्लोरिडा और ओहियो को स्विंग स्टेट माना जाता है. हालांकि हर चुनाव में स्विंग स्टेट का नाम जुड़ता या हटता रहता है.
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